अशासकीय संस्था

संस्थान saanvi
(गैर सरकारी संस्था से अनुप्रेषित)

गैर सरकारी संगठन (NGO) एक ऐसा शब्द है जो बिना किसी सरकार की भागीदारी या प्रतिनिधित्व के साथ प्राकृतिक या कानूनी व्यक्तियों के द्वारा बनाए गए विधिवत संगठित गैर सरकारी संगठनों को संदर्भित करने के लिए व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। उन मामले में जिनमें गैर सरकारी संगठन पूरी तरह से या आंशिक रूप से सरकारों द्वारा निधिबद्ध होते हैं, NGO अपना गैर-सरकारी ओहदा बनाए रखता है और सरकारी प्रतिनिधिओं को संगठन में सदस्यता से बाहर रखता है। शब्द इंटरगवर्नमेंटल ओर्गेनाइज़ेशन के विपरीत, "गैर सरकारी संगठन" एक आम उपयोग का शब्द है, लेकिन एक कानूनी परिभाषा नहीं है। कई न्यायालयों में इस प्रकार के संगठनों को "नागरिक समाज संगठन" के रूप में परिभाषित किया जाता है या अन्य नामों से निर्दिष्ट किया जाता है।

अनुमान है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय गैर सरकारी संगठनों की संख्या 40,000 है।[1] राष्ट्रीय संख्या और भी अधिक है: रूस में 277,000 गैर सरकारी संगठन हैं।[2] भारत में 1 मिलियन और 2 मिलियन के बीच गैर सरकारी संगठन होने का अनुमान है।[3]

राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों की शुरुआत प्राचीन काल से हुई थी। अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के इतिहास का तिथि-निर्धारन कम से कम 1839 से है।[4] रोटरी, बाद में रोटरी इंटरनेशनल, 1905 में स्थापित किया गया था। अनुमान लगाया गया है कि 1914 तक 1083 गैर सरकारी संगठन स्थापित हो चुके थे।[5] अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन गुलामी-विरोध आंदोलन और महिला मताधिकार आंदोलन में महत्वपूर्ण थे और विश्व निरस्त्रीकरण सम्मेलन के समय एक चोटी पर पहुंच गए।[6] हालांकि, वाक्यांश "गैर सरकारी संगठन" 1945 में संयुक्त राष्ट्र संगठन की स्थापना के साथ ही लोकप्रिय प्रयोग में आया, संयुक्त राष्ट्र चार्टर[7] के अध्याय 10 के अनुच्छेद 71 में उन संगठनों के लिए सलाहकार भूमिका के प्रावधानों के साथ, जो ना तो सरकारी है और न ही राज्य सदस्य - सलाहकार ओहदा देखें. "अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन" (INGO) की परिभाषा पहली बार 27 फ़रवरी 1950 को ECOSOC के 288 (X) संकल्प में दी गई है: इसे, "कोई भी अंतरराष्ट्रीय संगठन जो एक अंतर्राष्ट्रीय संधि द्वारा स्थापित नहीं है" के रूप परिभाषित किया गया है। वहनीय विकास में, गैर सरकारी संगठनों और अन्य समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका को अजेंडा 21 के अध्याय 27[8] में मान्यता दी गई, जिसके परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र और गैर सरकारी संगठनों के बीच एक सलाहकार रिश्ते के लिए तीव्र व्यवस्था की गई।[9]

पश्चिमी देशों में गैर-सरकारी क्षेत्रों का त्वरित विकास कल्याणकारी राज्य के पुनर्गठन की प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप हुआ। उस प्रक्रिया का अतिरिक्त वैश्वीकरण साम्यवादी व्यवस्था के पतन के बाद हुआ और वाशिंगटन सर्वसम्मति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।[10]

20 वीं सदी के दौरान वैश्वीकरण ने गैर सरकारी संगठनों के महत्त्व को बढ़ावा दिया। कई समस्याएं एक राष्ट्र के अंदर हल नहीं की जा सकती. अंतरराष्ट्रीय संधियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे विश्व व्यापार संगठन को पूंजीवादी उद्यमों के हितों पर बहुत अधिक केंद्रित माना गया। कुछ लोगों का तर्क था कि इस प्रवृत्ति के समभार के प्रयास में, गैर सरकारी संगठन मानवीय मुद्दों, उन्नतिशील सहायता और वहनीय विकास पर ज़ोर देने के लिए विकसित हो गए हैं। इस का एक प्रमुख उदाहरण है विश्व सामाजिक मंच जो दावोस, स्विट्ज़रलैंड में प्रतिवर्ष जनवरी में आयोजित होने वाले विश्व आर्थिक मंच का एक प्रतिद्वंद्वी सम्मेलन है। जनवरी 2005 में पोर्टो एलेग्रे, ब्राजील, में पांचवे विश्व सामाजिक मंच में 1,000 से अधिक गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए.[उद्धरण चाहिए] कुछ का कहना है कि इस तरह के मंचों में, जो गरीबों की प्रचलित गतिविधियों से संबंधित होना चाहिए उसका स्थान गैर सरकारी संगठन ले लेते हैं। अन्य लोगों का तर्क है कि गैर सरकारी संगठन अक्सर प्रकृति में साम्राज्यवादी होते हैं, कि वे कभी कभी प्रमुख देशों में एक जातिगत तरीके से काम करते हैं और यह कि वे उच्च औपनिवेशिक काल के दौरान पादरियों द्वारा किये गए कार्य के जैसा कार्य पूरा करते हैं। दार्शनिक पीटर हाल्वार्ड का तर्क है कि वे राजनीति का एक भव्य रूप हैं। बहरहाल, यह धारणा संकेत करती है कि स्वदेशी लोगों के संगठनों का प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता, जो गलत है।[11] जो भी मामला हो, गैर सरकारी संगठन का अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क अब व्यापक है।[12]



गैर-सरकारी संगठन एक विषम समूह हैं। "NGO" शब्द के आसपास आदिवर्णिक शब्दों की एक लंबी सूची विकसित हो गयी है।

इन में शामिल हैं:

  • CSO, सिविल सोसाइटी ओर्गेनाइज़ेशन के लिए संक्षेप
  • DONGO: डोनर ओर्गनाइज़ड NGO;
  • ENGO: एन्वाइरन्मेनटल NGO के लिए संक्षेप; जैसे वैश्विक 2000;
  • GONGOs सरकार-संचालित गैर सरकारी संगठन हैं, जो सरकारों द्वारा गैर सरकारी संगठनों की तरह दिखने के लिए स्थापित किये हो सकते हैं, ताकि बाहरी सहायता के लिए योग्य बना जा सके या विवाद से घिरी सरकार के हितों को बढ़ावा दिया जा सके।
  • INGO अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के लिए प्रयोग किया जाता है; ओक्सफाम (Oxfam) एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन है।
  • QUANGOs अर्ध-स्वायत्त गैर सरकारी संगठन हैं, जैसे मानकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन (ISO). (ISO वास्तव में विशुद्ध रूप से एक गैर सरकारी संगठन नहीं है, क्यूंकि इसकी सदस्यता राष्ट्र द्वारा है और प्रत्येक राज्य का वर्णन, ISO परिषद द्वारा निश्चित राज्य की सबसे स्थूल रूप से प्रतिनिधिक मानकीकरण निकाय द्वारा होता है। वह निकाय स्वयं भी एक गैर सरकारी संगठन हो सकती है, जैसे, संयुक्त राज्य अमेरिका ISO में अमेरिकी राष्ट्रीय मानक संस्थान द्वारा वर्णित किया गया है, जो संघीय सरकार से स्वतंत्र है। हालांकि, अन्य देश राष्ट्रीय सरकारी एजेंसियों द्वारा वर्णित किये सकते हैं, यूरोप में यह प्रचलन है।)
  • TANGO: टेक्निकल एसिस्टेंस NGO का संक्षेप;
  • GSO: ग्रासरूट सपोर्ट ओर्गेनाइज़ेशन
  • MANGO: मार्केट एडवोकेसी NGO का संक्षेप
  • CHARDS: कम्युनिटी हेल्थ एंड रुरल डेवेलपमेंट सोसाइटी

गैर सरकारी संगठनों के अनेक वर्गीकरण भी हैं। विश्व बैंक द्वारा उपयोग की गई टाईपोलोजी उन्हें परिचालनात्मक और प्रतिपालन में विभाजित करती है:[13]

एक परिचालनात्मक गैर सरकारी संगठन का प्राथमिक उद्देश्य विकास-संबंधित परियोजनों को डिजाइन और कार्यान्वित करना है। एक प्रायः इस्तेमाल किया जाने वाला वर्गीकरण, राहत-उन्मुख विपरीत विकास-उन्मुख संगठनों में विभाजन है; उनका विभाजन इसके अनुसार भी हो सकता है कि वह सेवा प्रदान करने पर अधिक ज़ोर डालते हैं या भागीदारी पर, या वह धार्मिक हैं या धर्मनिरपेक्ष और वह अधिक सार्वजनिक हैं या निजी उन्मुख. परिचालनात्मक गैर सरकारी संगठन समुदाय-आधारित, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय हो सकते हैं।

एक प्रतिपालन गैर सरकारी संगठन का प्राथमिक उद्देश्य एक विशिष्ट विषय को बढ़ावा देना या उसका पक्ष समर्थन करना है। परिचालनात्मक परियोजना प्रबंधन के विपरित, यह संगठन आम तौर पर प्रचार, प्रेस कार्य और कार्यकर्ता घटनाओं के द्वारा जागरूकता, स्वीकृति और जानकारी बढाने की कोशिश करते हैं।

USAID गैर सरकारी संगठनों को निजी स्वैच्छिक संगठनों के रूप में संदर्भित करता है। हालाँकि कई विद्वानों का कहना है कि यह परिभाषा अत्यधिक अनिश्चित है क्यूंकि कई गैर सरकारी संगठन वस्तुतः राज्य और कंपनीयों द्वारा निधिबद्ध हैं और परियोजनाओं को पेशेवर कर्मचारियों के साथ संभालते हैं।[उद्धरण चाहिए]

गैर सरकारी संगठन कई कारणों के लिए मौजूद हैं, आमतौर पर अपने सदस्यों या मूलधारकों के राजनैतिक या सामाजिक लक्ष्यों को प्रोत्साहन देने के लिए। उदाहरणों में शामिल हैं: प्राकृतिक पर्यावरण की स्थिति में सुधार करना, मानव अधिकारों के पालन को बढ़ावा देना, वंचित के कल्याण में सुधार करना, या किसी कंपनी के एजेंडे का प्रतिनिधित्व करना। हालांकि, ऐसे संगठनों की एक बड़ी संख्या हैं और उनके लक्ष्य राजनीतिक और दार्शनिक पदों की एक विस्तृत श्रेणी को समाविष्ट करते हैं। यह आसानी से निजी स्कूलों और खेल संगठनों पर भी लागू किया जा सकता है।m

गैर सरकारी संगठनों (NGO) की कार्य प्रणाली में अन्तर होता है। कुछ मुख्य रूप से पैरवी करते हैं जब कि अन्य मुख्य रूप से कार्यक्रम तथा गतिविधियां संचालित करते हैं। उदाहरण के लिये, ओक्सफाम, जैसा एक गैर सरकारी संगठन, जो कि गरीबी उन्मूलन से संबंधित है, भोजन तथा स्वच्छ पेय जल का पता लगाने के लिये जरूरतमन्द लोगों को उपकरण तथा कुशलता प्रदान करता है, जब कि FFDA जैसे गैर सरकारी संगठन (NGO) जांच तथा दस्तावेजों के द्वारा मानवाधिकार उल्लंघ्न के मामलों में सहायता देते हैं तथा मानवाधिकार उत्पीड़न के शिकार लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करते हैं। अफगानिस्तान सूचना प्रबंधन सेवा जैसे संगठन अन्य संगठनों द्वारा क्षेत्र में विकास गतिविधियों को कार्यान्वित करने के लिये विशिष्ट तकनीक उत्पाद तथा सेवाऐं प्रदान करते हैं।

सार्वजनिक संबंध

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गैर सरकारी संगठनों को अपने लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिये जनता के साथ स्वस्थ संबंधों की आवश्यकता होती है। संगठन तथा धर्मार्थ संस्थाऐं सरकार के साथ मानक लॉबिंग तकनीक का प्रयोग करने तथा कोष को बढ़ाने के लिये परिष्कृत जन सम्पर्क अभियान का प्रयोग करते हैं। अभिरुचि समूह उनके सामाजिक तथा राजनीतिक परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता के कारण राजनीतिक महत्त्व के हो सकते हैं। गैर सरकारी संगठनों के विश्व संगठन द्वारा नीतिशास्त्र का एक कोड[14] 2002 में स्थापित किया गया था।

सहायता चाहिए समिति को

परियोजना प्रबंधन

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इस जागरुकता में वृद्धि हुई है कि गैर सरकारी संगठनों में सफलता दर्शाने के लिये प्रबंधन तकनीक महत्त्वपूर्ण होती है।[15] सामान्यतः, गैर सरकारी संगठन, जो निजी होते हैं, या तो उनके पास समुदाय होता है अथवा पर्यावरण की ओर झुके होते हैं। वे धर्म, आकस्मिक सहायता अथवा मानवीय मामलों जैसे कई मुद्दों को उठाते हैं। वे जन समर्थन तथा स्वैच्छिक योगदान प्राप्त करते हैं; उनका विकासशील देशों में कम्यूनिटी समूहों के साथ बहुधा मजबूत संपर्क होते हैं, तथा वे बहुधा ऐसे क्षेत्रों में कार्य करते हैं जहां पर सरकारी मदद संभव नहीं होती. गैर सरकारी संगठन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध परिदृश्य के भाग के रूप में स्वीकार किये जाते हैं, तथा जब कि वे राष्ट्रीय तथा बहुपक्षीय नीति-निर्धारण को प्रभावित करते हैं, वे स्थानीय क्रियाओं में अधिकतर प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित होते हैं।

कर्मचारी व्यवस्था

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गैर सरकारी संगठनों में कार्य करने वाले सभी व्यक्ति स्वयं सेवक नहीं होते. इसका कारण, स्वयं सेवक आवश्यक रूप से पूर्ण परोपकारी नहीं होते, तथा कुशलता, अनुभव तथा सम्पर्कों से स्वयं को, साथ साथ जिनकी वे सेवा कर रहे हैं, उनको तत्काल लाभ प्रदान कर सकते हैं।

इस संबंध में कुछ विवाद है कि क्या प्रवासियों को विकासशील देशों में भेजा जाना चाहिये। बार बार इस प्रकार के व्यक्तियों को, दानकर्ता, जो देखना चाहता है कि सहायता प्राप्त परियोजना औद्योगिक देश के किसी व्यक्ति द्वारा प्रबंधित हो, को संतुष्ट करने के लिये रोजगार दिया गया जाता है। यद्यपि, विशेषज्ञता, जो इन कर्मचारियों तथा स्वयं सेवकों में है, कई प्रकार के घटकों द्वारा प्रति संतुलित की जाती सकती है, विदेशियों की लागत आमतौर पर उच्च होती है, वे जहां पर भेजे जाते हैं उस देश में उनके बुनियादी सम्पर्क नहीं होते तथा स्थानीय विशेषज्ञता को अधिकतर कम आंका जाता है।[13]

संख्या की दृष्टि से गैर सरकारी संगठन (NGO) क्षेत्र एक महत्त्वपूर्ण नियोक्ता है।[उद्धरण चाहिए] उदाहरण के लिये 1995 के अन्त तक CONCERN वर्ल्ड वाइड, एक अंतर्राष्ट्रीय उत्तरी गैर सरकारी संगठन जो कि गरीबी के विरुद्ध कार्य करता है, ने 174 प्रवासियों तथा अफ्रिका, एशिया तथा हैती जैसे दस विकासशील देशों में कार्य करने वाले 5,000 राष्ट्रीय कर्मियों को रोजगार दिया।

वित्त व्यवस्था

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बड़े गैर सरकारी संगठन का वार्षिक बजट सैकड़ों मिलियन्स अथवा कई विलयन डॉलर्स हो सकता है। उदाहरण के लिये, अमेरिकन एसोसियेशन ऑफ रिटायर्ड पर्सन्स (AARP) का 1999 में बजट US$540 मिलियन से अधिक था।[16] इस प्रकार के बड़े बजट की वित्त व्यवस्था के लिये अधिकतर गैर सरकारी संगठनों को वित्त व्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास करने पड़ते हैं। गैर सरकारी संगठन की वित्त व्यवस्था में सदस्यता शुल्क, सामान तथा सेवाओं की बिक्री, अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों अथवा राष्ट्रीय सरकारों से सहायता, तथा निजी दान सम्मिलित है। कई यूरापीय संघ EU-अनुदान गैर सरकारी संगठन को वित्त प्रदान करते हैं।

यद्यपि शब्द 'गैर सरकारी संगठन' सरकारों से स्वतंत्रता प्रदर्शित करता है, अधिकतर गैर सरकारी संगठन अपने वित्त के लिये सरकारों पर बहुत अधिक निर्भर होते हैं।[10] [17]1998 में फेमीन-रिलीफ संगठन ओक्सफाम का US$ 162 मिलियन आय का एक चौथाई भाग ब्रिटिश सरकार तथा यूरोपीय यूनियन (EU) ने दान किया था। क्रिस्चियन राहत तथा विकास संगठन 'वर्ल्ड विजन' ने अमेरिकन सरकार से 1998 में US$55 मिलियन के बराबर सामान इकट्ठा किया। नोबल प्राइज विजेता मेद्सिन्स साँस फ्रोंतिएरेस (MSF) को यू एस ए में डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर के नाम से जाना जाता है, अपनी आय का 46 प्र.श. सरकारी स्त्रोतों से प्राप्त करता है।[18]

निरीक्षण तथा नियंत्रण

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संयुक्त राष्ट्र सुधार प्राथमिकताओं पर मार्च 2000 के प्रतिवेदन में पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ने नीतिगत स्वच्छता, जाति संहार तथा मानवता के विरुद्ध अपराध के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को विश्व के नागरिकों के लिये 'बचाव के अधिकार' पर बहस करते हुए अन्तर्राष्ट्रीय मानवीय मध्यस्थता के समर्थन में लिखा है। प्रतिवेदन के समर्थन में, कनाडा की सरकार ने मानवतावादी मध्यस्थता के मुद्दे पर जोर देते हुए 'बचाव की जिम्मेदारी' R2Pपीडीऍफ (434 KiB) की परियोजना प्रारंभ की। यद्यपि R2P सिद्धांत की व्यापक प्रासंगिकता है, कनाडियन सरकार का हैती में तख्तापलट Archived 2006-01-03 at the वेबैक मशीन में मध्यस्थता तथा समर्थन को उचित सिद्ध करने के लिये R2P का प्रयोग विवादों में अधिक विवादित रहा है।[उद्धरण चाहिए]

R2P के वर्षों बाद, विश्व संघीय आन्दोलन, एक संगठन जो "प्रजातांत्रिक अंतर्राष्ट्रीय ढ़ांचा, जो विश्व के नागरिकों के लिये जवाब देय है तथा अलग अलग संस्थाओं में अंतर्राष्ट्रीय अधिकार के विभाजन" की सहायता करता है, ने बचाव की जिम्मेदारी - नागरिक संस्थाओं को शामिल करना (R2Pcs), को प्रारंभ किया है। कनाडियन सरकार तथा WFM के बीच सहयोग के रूप में यह परियोजना मूल R2P परियोजना के अन्तर्गत बने स्वरूप के सिद्धांतों के साथ गैर सरकारी संगठन को लॉकस्टेप में लाता है।

जिन देशों में गैर सरकारी संगठन कार्य करते हैं अथवा पंजीकृत है, वहां की सरकार को रिपोर्टिंग अथवा अन्य निरीक्षण तथा सर्वेक्षण की आवश्यकता हो सकती है। वित्त प्रदान करने वालों को साधारणतः रिपोर्टिंग तथा मूल्यांकन की आवश्यकता होती है, इस तरह की सूचना आवश्यक रूप से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होती. ऐसी संस्थाऐं तथा पैनी नज़र रखने वाले संगठन भी हो सकते हैं जो विशिष्ट भौतिकी तथा कार्यक्रम क्षेत्रों में कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठन पर अनुसंधान करते हैं तथा उनके क्रियाकलापों के विवरण को प्रकाशित करते हैं।[उद्धरण चाहिए]

हाल के वर्षों में, कई बड़े निगमों ने गैर सरकारी संगठन आन्दोलन को कई कार्पोरेट तरीकों के विरुद्ध स्थान पर रखने के लिये अपने कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व विभागों में वृद्धि की है। तर्क के अनुसार, यदि निगम गैर सरकारी संगठनों के साथ कार्य करेंगे तो गैर सरकारी संगठन निगम के खिलाफ कार्य नहीं करेंगे।

दिसम्बर 2007 में, एस. वार्ड स्कैसेल्स, सहायक रक्षा सचिव, संयुक्त राज्य, रक्षा विभागों ने फोर्स हैल्थ प्रोटेक्शन तथा रेडिनेस के अधीन अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन स्थापित किया। [1] अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का एक भाग पारस्परिक हितों के क्षेत्र में गैर सरकारी संगठन के साथ आदान प्रदान करता है। डिपार्टमेन्ट ऑफ डिफेन्स डायरेक्टिव 3000.05 [2] ने 2005 में, यह चाहा था कि डी ओ डी स्थिरता - विस्तार के क्रिया कलापों को युद्ध लड़ने के बराबर महत्त्व देने का मिशन मान्य करे. अन्तर्राष्ट्रीय नियमों के अनुपालन में डी ओ डी ने, इराक जैसे संघर्षरत क्षेत्रों में, जहां पर परम्परागत नेतृत्व करने वाली संस्थाओं (स्टेट डिपार्टमेन्ट, तथा USAID) को कार्य करने में दिक्कते आती हैं। आवश्यक सेवाओं में सुधार करने की क्षमता का आवश्यक रूप से निर्माण किया है। निगमों के लिये व्याख्यायित की गई "सह-विकल्प " की नीति के विरुद्ध, OASD (HA), स्वास्थ्य की तटस्थता को आवश्यक सेवाओं की मान्यता देता है। अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य, गैर सरकारी संगठन (NGO) के साथ सहयोगी संबंध जैसा महत्त्व देता है, हालांकि उनके परम्परागत स्वतंत्रता, विशेषज्ञता तथा ईमानदार ब्रोकार के दर्ज को मान्यता देते हुए उनसे सुरक्षित दूरी रखता है। जब कि डी ओ डी तथा गैर सरकारी संगठन (NGO) के लक्ष्य असंगत दिखते है, परंतु सावधानीपूर्वक विश्लेषण, महत्त्वपूर्ण पारस्परिक हितों के कारण संघर्ष को कम करने तथा रोकने के लिये तथा सुरक्षा पर डी ओ डी जोर देता है।

कानूनी हैसियत

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गैर सरकारी संगठनों का कानूनी रूप विविध है और प्रत्येक देश के कानूनों और प्रथाओं में देसी रूपांतरों पर निर्भर करता है। बहरहाल, गैर सरकारी संगठनो के चार मुख्य परिवार समूह दुनिया भर में पाए जा सकते हैं:[19]

राज्यों की तरह, गैर सरकारी संगठन अंतरराष्ट्रीय कानून का विषय नहीं हैं। रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय कमेटी एक अपवाद है, जो कुछ विशिष्ट मामलों, मुख्यतः जिनेवा कन्वेंशन से संबंधित, के अधीन है।

स्ट्रासबर्ग में यूरोप की परिषद ने 1986 में अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के कानूनी व्यक्तित्व की पहचान पर यूरोपीय दस्तूर प्रारूप किया, जो यूरोप में गैर सरकारी संगठनों के काम और अस्तित्व के लिए एक आम कानूनी आधार स्थापित करती है। मानव अधिकारों पर यूरोपीय दस्तूर का अनुच्छेद 11 संघ की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है, जो गैर सरकारी संगठनों के लिए भी एक बुनियादी नियम है।

नागरिक संगठन

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"गैर"-लाभ और "गैर"-सरकारी क्षेत्र में खुद को एक अधिक रचनात्मक, सटीक ढंग से परिभाषित करने का बढ़ता चलन है। "गैर" शब्दों द्वारा परिभाषित होने के बजाय, संगठन क्षेत्र का वर्णन करने के लिए नई शब्दावली का सुझाव दे रहे हैं। शब्द "नागरिक समाज संगठन" (CSO) का प्रयोग एक बढ़ती संख्या के संगठनों जैसे वैश्विक शासन के अध्ययन के लिए केंद्र, द्वारा किया गया है।[20] शब्द "नागरिक क्षेत्र संगठन" (CSO) भी इस क्षेत्र के वर्णन के लिए वकालित किया गया है - नागरिकों का, नागरिकों के लिए एक के रूप में.[21] यह सरकार या व्यापार क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल की गई भाषा पर निर्भर किये बिना, क्षेत्र को अपनी ही इकाई के रूप में उपनाम और अवस्थिति करता है। हालांकि कुछ ने कहा है कि यह विशेषत: सहायक नहीं है, क्यूंकि ज्यादातर गैर सरकारी संगठन वस्तुतः सरकारों और व्यापार के द्वारा निधिबद्ध हैं और कुछ गैर सरकारी संगठन स्पष्टतया स्वतंत्र रूप से आयोजित लोगों के संगठनों के विरोधी हैं।[10][22]

इन्हें भी देखें

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नोट्स और सन्दर्भ

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  1. (एन्हेइएर एट आल. "ग्लोबल सिविल सोसाइटी 2001", 2001)
  2. "मेदवेदेव के होब्ब्लड NGOs वेरी - - chicagotribune.com". मूल से 10 मई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 मई 2008.
  3. http://www.indianngos.com/ngosection/newcomers/whatisanngo.htm Archived 2008-03-12 at the वेबैक मशीन "एक NGO क्या है?" 5 जनवरी 2007
  4. अंतर्राष्ट्रीय सिविल सोसाइटी का उत्थान और पतन: 1839 के बाद से अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों का विकास. टी.आर. डेविस के द्वारा सिटी युनिवेरसिपवेल इज़ गेटी लंदन वर्किंग पेपर Archived 2009-10-11 at the वेबैक मशीन. स्टीव चार्नोवित्ज़, "भागीदारी की दो सदियां: NGOs और अंतर्राष्ट्रीय शासन, अंतर्राष्ट्रीय कानून का मिशिगन जर्नल, शीतकालीन 1997.
  5. सबकोंन्ट्रेकटिंग पीस - द चैलेंजिज़ ऑफ़ NGO पीस बिल्डिंग रिचमंड, ओलिवर पी. और केरी, हेनरी ऍफ़. द्वारा संपादित. अश्गेट, 2005 द्वारा प्रकाशित. पेज 21.
  6. Davies, Thomas Richard (2007). The Possibilities of Transnational Activism: the Campaign for Disarmament between the Two World Wars. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978 9004162 58 7.
  7. "चार्टर ऑफ़ द यूनाईटिड नेशन: अध्याय दस". मूल से 18 अगस्त 2000 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2010.
  8. "एजेंडा 21 अध्याय 27: स्ट्रेंदनिंग द रोल ऑफ़ नॉन-गवर्नमेंटल ओर्गेनाइज़ेशन: पार्टनर्ज़ फॉर सस्टेनेबल डेवेलपमेंट, अर्थ समित, 1992". मूल से 17 फ़रवरी 2003 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2010.
  9. 1996/31. Archived 2009-08-06 at the वेबैक मशीनसंयुक्त राष्ट्र संघ और गैर सरकारी संगठनों के बीच परामर्शक संबंध Archived 2009-08-06 at the वेबैक मशीन
  10. पावेल ज़लेसकी ग्लोबल नॉन-गवर्नमेंटल एडमिनिस्ट्रेटिव सिस्टम: जियोसोशिओलोजी ऑफ़ द थर्ड सेक्टर, [इन:] गविन, डरिउस्ज़ और ग्लिंसकी, पिओट्र [एड.]: "सिविल सोसायटी इन द मेकिंग", IFiS प्रकाशक, वर्स्ज़वा 2006
  11. उनकी डेमिंग द फ्लड (वर्सो, लंदन, 2007) देखें
  12. स्टोन, डाइने. "ट्रांसफर एजेंट्स एंड ग्लोबल नेटवर्कस इन द 'ट्रांसनेशनलआइज़ेशन' ऑफ़ पोलिसी", यूरोपीय पब्लिक पोलिसी का जर्नल. औस्तिनीस्केव्ल, 11(3) 2004: 545–66.
  13. http://docs.lib.duke.edu/igo/guides/ngo/define.htm Archived 2007-06-21 at the वेबैक मशीन NGO परिभाषित करता विश्व बैंक मानदंड
  14. "संग्रहीत प्रति". मूल से 1 मई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अप्रैल 2010.
  15. http://www.lse.ac.uk/collections/CCS/pdf/int-work-paper4.pdfपीडीऍफ (100 KiB)मुकासा, सारा. क्या अंतरराष्ट्रीय विकास NGOs में प्रवासी स्टाफ आवश्यक है? युगांडा में एक अंतरराष्ट्रीय NGO के एक मामले का अध्ययन. लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स में सिविल सोसायटी के लिए केंद्र का प्रकाशन. 2002, पी. 11-13.
  16. "Poll shows power of AIPAC drops slightly". Jewish News Weekly of Northern California. 1999-12-19. मूल से 22 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-06-25.
  17. "Grants". NGOs in India (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-12-16.
  18. http://www.intractableconflict.org/m/role_ngo.jsp Archived 2004-12-17 at the वेबैक मशीन कोलोराडो विश्वविद्यालय में संघर्ष रिसर्च कंसोर्टियम का इंटरस्टेबल कनफ्लिक्ट नोलेज बेस प्रोजेक्ट .
  19. ग्रांट बी. स्टीलमैंन (2007), ग्लोबल स्टैंडर्ड NGOs Archived 2011-05-11 at the वेबैक मशीन, जिनेवा: लुलु, पीपी. 13-14.
  20. ग्लेसिउस, मार्लिस, मेरी कल्डोर और हेल्मुट एन्हेइएर (ईडीएस.) "ग्लोबल सिविल सोसायटी 2006/7" Archived 2007-04-24 at the वेबैक मशीन लंदन: सेज, 2005.
  21. ड्राईटन, W. "वर्ड मेटर्ज़ Archived 2007-07-04 at the वेबैक मशीन". एलाएंस पत्रिका, खंड 12/No.2, जून 2007.
  22. दक्षिण अफ्रीका के ग्रासरूट आंदोलन NGO तानाशाही के विरुद्ध बागी हुए Archived 2011-04-30 at the वेबैक मशीन.

अतिरिक्त अध्ययन

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  • थुलानी नडलज़ी, डेविड नटसेंग, ग्राहम फिल्पोट और नोमुसू सोखेला के साथ मार्क बटलर. NGO प्रेक्टिस एंड द पोसिबिलीटी ऑफ़ फ्रीडम चर्च भूमि कार्यक्रम, पीटरमैरिट्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका 2007 [3]
  • ओलिवर बर्थोउड, NGOs: समवेयर बिटवीन कम्पैशन, प्रोफिटेबिलीटी एंड सोलिडेरिटी [4], PDF [5] एन्वियो, मानागुआ, 2001
  • टेर्जे त्वेद्त, 19982/2003: दया या विकास राजनयिकों के फरिश्ता. NGOs और विदेशी सहायता, ऑक्सफोर्ड: जेम्स कर्रे
  • स्टीव डब्ल्यू. विट, एड. विकासशील देशों में जानकारी के निर्माण, संचयन, एंव विकीर्णन में NGOs की बदलती भूमिका (सौर, 2006). ISBN 3-598-22030-8
  • कॉक्स, पी, एन शेमस, जी सी जहन, पी एरिक्सन और पी हिक्स. 2002. NGOs और कृषि अनुसंधान संस्थाओं के बीच सहयोग का निर्माण. कृषि 6 की कंबोडिया पत्रिका: 1-8. [6]
  • एन फ्लोरिणी, एड. तीसरी ताकत: अंतर्राष्ट्रीय नागरिक समिति की वृद्धि (अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए कार्नेजी वृत्तिदान और अंतर्राष्ट्रीय विनिमय के लिए जापान केंद्र, 2001)
  • मार्गरेट क़ैक और कॅथ्रीन सिकिंक. 1998. सीमाओं से परे कार्यकर्ता: अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पक्ष समर्थन नेटवर्क. कॉरनेल यूनिवर्सिटी प्रेस
  • रॉडने ब्रूस हॉल और बिएरस्टेकर, थॉमस. विश्वीय संचालन में निजी प्राधिकरण का आविर्भाव (अंतर्राष्ट्रीय संबंध में कैम्ब्रिज अध्ययन, 2003)
  • डोर्थेआ हिल्होर्स्ट, NGOs की असल दुनिया, संभाषणा, विविधता और विकास, जेड पुस्तकें, 2003
  • जोंन रोएलोफ्स, मूलाधार और सार्वजनिक नीति: बहुलवाद का मुखौटा (एल्बानी : न्यूयार्क प्रेस का राज्य विश्वविद्यालय, 2003).
  • इयान स्मिल्ली और मिनेर, लैरी, संपादक. राष्ट्रों की उदारता: धूर्त विश्व में मानवीय कार्य, कुमरियन प्रेस, 2004
  • सिमन मैक्सवेल और डाइने स्टोन. (इडीएस) विश्वीय जानकारी नेटवर्क्स और अंतर्राष्ट्रीय विकास: सीमाओं के पार संपर्क (रोउटलेज, 2005: I-xix; 1-192).
  • सिडनी टेरो, नया अंतर्राष्ट्रीय सक्रियतावाद, न्यूयॉर्क: कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस, 2005
  • थॉमस वार्ड, संपादक. विकास, सामाजिक न्याय और सिविल सोसायटी: NGOs की राजनीतिक अर्थव्यवस्था का एक समावेशन, परागोंन हाउस, 2005
  • एच. तीगेंन, 2003. विश्वीय संस्थाओं के रूप में अंतर्राष्ट्रीय NGOs: 'बहुराष्ट्रीय उद्यम और सरकारों को प्रभावित करने के लिए सामाजिक पूंजी का प्रयोग', अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन का जर्नल.
  • जेनिफर ब्रिन्करहोफ्फ़, स्टीफन सी. स्मिथ और हिल्डी तीगेंन, NGOS और सहस्राब्दि विकास लक्ष्य: गरीबी कम करने के लिए नागरिक लड़ाई, पल्ग्राव मैकमिलन, 2007.
  • एस गूनाटिलेक. रीकोलोनाइज़ेशन: श्रीलंका में विदेशी निधिबद्ध NGOs, सेज प्रकाशन 2006.
  • तीगेंन, एच. डोह, जे., वाचानी, एस., 2004. "विश्वीय प्रशासन और मूल्य निर्माण में गैर सरकारी संगठन का महत्व: एक अंतरराष्ट्रीय व्यापार अनुसंधान एजेंडा" अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अध्ययन के जर्नल में". वॉशिंगटन: खंड. 35, इसस.6.
  • के रोडमन, (1998). "'सार्वभौमिक रूप से सोचो, स्थानीय रूप से सज़ा दो: अंतर्राष्ट्रीय मामलों में नीतिशास्त्र में गैर-राज्य अभिनेता, बहुराष्ट्रीय निगम और मानवाधिकार प्रतिबंध" खंड. 12.
  • ग्रांट बी. स्टिलमेंन (2006), NGO लॉ और संचालन: एक साधन किताब, ADB संस्थान, टोक्यो, ISBN 4-89974-013-1.

NGOs के अनुभव का विश्लेषण और क्षेत्रीय इतिहास अधिक उपयोगी है। विशिष्ट कार्यों (हालांकि यह किसी भी माध्यम से एक विस्तृत सूची नहीं है) में शामिल हैं:

  • टी.आर. डेविस, अंतर्राष्ट्रीय सक्रियतावाद की संभावनाएं: दो विश्व युद्धों के बीच निरस्त्रीकरण के लिए अभियान, ब्रिल, 2007. ISBN 3-598-22030-8
  • एच. इंग्लंड, प्रिज़नरज़ ऑफ़ फ्रीडम: हयूमन राइट्स एंड द एफ्रिका पूअर, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी प्रेस, 2006
  • कैरी मेयेर, द इकोनोमिक्स एंड पोलिटिक्स ऑफ़ NGOs इन लैटिन अमेरिका, प्रेगेर प्रकाशक, जुलाई 30, 1999
  • छानडासी पंड्या. 2006. प्राइवेट अथोरिटी एंड डिज़ास्टर रिलीफ: द केसिज़ ऑफ़ पोस्ट-सुनामी अकेह एंड निआस . महत्वपूर्ण एशियाई अध्ययन. खंड. 38, नंबर 2. पृष्ठ. 298-308. रोउटलेज प्रेस: टेलर और फ्रांसिस समूह
  • महा अब्डेलराह्मन, सिविल सोसायटी एक्सपोज्ड: द पोलिटिक्स ऑफ़ NGOs इन इजिप्ट, काइरो प्रेस में अमेरिकी यूनिवर्सिटी, 2004. अल-अहरम वीकली ने पुस्तक की एक समीक्षा की है।
  • संगीता कामत, डेवेलपमेंट हेजेमनी: NGOs एंड द स्टेट इन इंडिया, दिल्ली, न्यूयॉर्क: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 2002
  • अडामा सोव, चेंसेंन उंड रिसिकेंन वॉन NGOs - डाई गिवार्क्सचफ्टन इन गुइनिया वह्रेंड डेर उन्रुहेंन 2007 - EPU अनुसंधान दस्तावेज: अंक 03/07, सटादतस्च्लेनिंग 2007 (जर्मन)[41]
  • लयल एस. संगा, "गठबंधन-अधिकृत ईराक में असमंजस का सामना कर रहे INGOs", अभियोग में नीतिशास्त्रों में: द एथिकल चैलेंजिज़ ऑफ़ इंटरनैशनल हयूमन राइट्स नॉनगोवेर्नमेंटल ओर्गेनाइज़ेशनस, डेनिअल ए. बेल और जीन-मार्क कोइकाउड द्वारा संपादित, केम्ब्रिज यूनिव. और संयुक्त राष्ट्र यूनिव. प्रेस, 2007.
  • लयल एस. संगा, "अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार निगरानी, अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार कानून और गैर सरकारी संगठनों में NGO का हस्तक्षेप". (2005) 41-69.
  • वर्कर और अहमद (2008): गैर सरकारी संगठन क्या करते हैं?
  • स्टीव चर्नोवित्ज़, "भागीदारी की दो सदियां: NGOs और अंतर्राष्ट्रीय शासन," अंतर्राष्ट्रीय कानून की मिशिगन पत्रिका, खंड. 18, 183-286 पर शीतकालीन 1997.

अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के संघ द्वारा उत्पादित, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की वार्षिक पुस्तक, अंतर्राष्ट्रीय NGOs (INGOs) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन प्रकारों पर जानकारी और आंकड़ो के लिए वस्तुत: संदर्भ संसाधन है।

बाहरी कड़ियाँ

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