गोपामऊ
गोपामऊ (Gopamau) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]
गोपामऊ Gopamau | |
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निर्देशांक: 27°33′N 80°17′E / 27.55°N 80.28°Eनिर्देशांक: 27°33′N 80°17′E / 27.55°N 80.28°E | |
ज़िला | हरदोई ज़िला |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
देश | भारत |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 12,604 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
विवरण
संपादित करेंगोपामऊ जिले के पूर्वी भाग में स्थित है। यहाँ की स्थानीय प्रशासन नगर पंचायत के अधिकार क्षेत्र में है। जिला मुख्यालय हरदोई यहाँ से 24 किलोमीटर है। इसकी पूर्वी सीमा सीतापुर जिले की सीमा से मिलती है जो गोमती नदी से विभाजित होती है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कस्बे की कुल जनसंख्या 18078 है जिसमे पुरुष 8248, महिलायें 7285 तथा 0 से 6 वर्ष तक के बच्चो की संख्या, बालक 1283 तथा बालिकायें 1260 हैं। इसी प्रकार साक्ष्ररता के अनुसार साक्षर पुरुष 4166 तथा साक्षर महिलायें 2924 हैं यानी 47% साक्षर लोग हैं। यहाँ कुल 12 वार्ड हैं, विधान सभा लिस्ट 2014 के अनुसार यहाँ कुल 6676 वोटर हैं जिनमें पुरुष 3771 तथा महिलायें 2905 हैं।
गोपामऊ नगर पंचायत की स्थापना 1972 में तथा पहले बोर्ड का गठन 1989 में हुआ तब से आज तक चेयरमैनी की यह पांचवी पंचवर्षी चल रही है| गोपामऊ के इतिहास और प्रशाशन की विस्तृत जानकारी के लिये प्रशाशन पेज देखें| निकटतम रेलवे स्टेशन हरदोई रेलवे स्टेशन है यहां निकटतम पोस्ट ऑफिस गोपमाऊ में ही है और अमौसी हवाई अड्डा लखनऊ निकट्तम हवाई अड्डा है| यह समुद्र तल से 143 मीटर (469 फीट) की एक औसत ऊंचाई पर 27.55Â डिग्री उत्तरी अक्षांश और 80.28Â डिग्री पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है।
इतिहास
संपादित करेंयहाँ के प्रशिद्ध स्थल निम्न हैं- माँ सीतला देवी मंदिर, लाल मस्जिद ,लालपीर मस्जिद आदि हैं सैय्यद सालार मसूद ने पहला आक्रमण ईस्वी सन १०२८ ईस्वी मे बावन पर किया शेख घोषणा करते हैं कि उन्होंने सन १०१३ में बिलग्राम को जीत लिया पर इम्पीरियल गजेटियर का मानना है कि १२१७ से पहले स्थाई मुस्लिम कब्जा नहीं हो पाया था। अवध के गजेटियर के पेज ५५ पर बताया गया है कि१०२८ ईस्वी में सैयद सल्लर ने बावन पर कब्जा कर लिया l इसी के आस पास गोपामऊ को भी जीत लिया गया सैयद मखदूम -उद- उल- अजीज- शेख उर्फ़ लाल पीर कनौज की और से गंगा पार भेजा गया जो गोपामऊ की लडाई में मारा गया किन्तु सैयद सल्लर ने दो नुमाइन्दो को यहाँ छोड़ दिया जिन्होंने यहाँ अपना कब्जा बनाने में सफलता प्राप्त की इनका नाम था -नुसरत खान और जफ़र खान l और शेखों के मुताबिक़ १० १३ ईस्वी में बिलग्राम को जीत लियाl इसके बावजूद १२१७ ईसवी तक नियमित रूप से मुस्लिम नियन्त्रण न हो सका इसका अर्थ है कि लगभा २०० वर्षों तक वे यहाँ के निवासियों से लगातार विरोध पाते रहे। सैय्य्द शाकिर ने सबसे पहली जीत गोपामऊ पर हासिल की इसौली पर सैय्यद सालेह ने विजय प्राप्त की। किन्तु साण्डी और सण्डीला पर लम्बे समय तक जीत हासिल न कर पाए सण्डीला पासी साम्राज्य की राजधानी थी।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975