गोविन्दनारायण मिश्र () हिन्दी साहित्यकार थे। सन् १९११ में सम्पन्न दूसरे हिन्दी साहित्य सम्मलेन के वे सभापति रहे।

इन्होने 'विभक्ति विचार' नामक पुस्तक की रचना की जिसमें इन्होंने हिन्दी की विभक्तियों को शुद्ध बताते हुए उन्हें मिलाकर लिखने की सलाह दी है। ये 'सारसुधानिधि' पत्र में सामयिक और साहित्यिक लेख लिखा करते थे।

गोविन्द नारायण मिश्र ने ऐसे वंश में जन्म लिया था जहाँ संस्कृत का विशेष प्रचार था। वे स्वयं भी संस्कृत के विद्वान थे। अतएव यह स्वाभाविक था कि वे हिन्दी गद्य-रचना करते समय संस्कृतगर्भित वाक्य-विन्यास की ओर झुकें।