ग्रामीण प्रौद्योगिकी
ग्रामीण प्रौद्योगिकी उन प्रौद्योगिकियों को कहते हैं, जिनका संबंध मुख्यतः ग्रामीण जनता से होता है। गाँवों के लिए उपयोगी प्रौद्योगिकियों की सूची बहुत बड़ी है जिसमें से कुछ ये हैं- टिकाऊ जैविक खेती, जल संसाधन का प्रबन्धन, कृषि पर आधारित ग्रामीण सूक्ष्म-उद्योग, विकेन्द्रित ग्रामीण ऊर्जा प्रणाली, सस्ती निर्माण प्रौद्योगिकी आदि।
ग्रामीण प्रौद्योगिकी उन्नयन परिषद्
संपादित करेंग्रामीण प्रौद्योगिकी उन्नयन परिषद् (सीएआरटी) की स्थापना केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने फरवरी 1984 में की। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद और अन्य संबद्ध संगठनों द्वारा देखे जा रहे क्षेत्रों के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित प्रौद्योगिकी के उन्नयन के लिए सभी प्रयासों को समन्वित करने का व्यापक अनुदेश प्रदान किया गया था।[1]
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- ग्रामीण प्रौद्योगिकी योजना (कपार्ट)
- Gujarat Matikam Kalakari and Rural Technology Institute
- Welcome to Appropriate Rural Technology Institute
- Rural Technology Park
- Integrated Rural Technology Centre (IRTC), Mundur, Palakkad
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