चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती
जगद्गुरु चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती स्वामिगल (तमिल : சந்திரசேகரேந்திர சரஸ்வதி சுவாமிகள்) (20 मई 1894 – 8 जनवरी 1994) काँची कामकोटिपीठम के 68वें जगद्गुरु थे। उन्हे प्रायः परमाचार्य या 'महा पेरिययवाल' कहा जाता है।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Parmacharya Sri Chandrashekhar Saraswati - God in human form (डॉ सुब्रह्मणियन स्वामी)
कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य परमाचार्य स्वामी चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनका जन्म 20 मई 1894 को तमिलानाडु के अर्काट जिले में कर्नाटक के स्मार्त होयसल ब्राह्णण परिवार में हुआ। उनके पिता सुब्रमण्यम शास्त्री जिला शिक्षा अधिकारी थे। परमाचार्य का नाम गृहदेवता स्वामीनाथ के आधार पर स्वामीनाथ रखा गया। उनकी आरंभिक शिक्षा अर्काट अमेरिकन मिशन हाईस्कूल, तिंडिवनम् में हुई। स्वामीनाथ बचपन से मेधावी से थे और कई विषयों में दक्ष थे। सन 1905 में माता-पिता ने उनका उपनयन संस्कार कराया। आचार्यश्री के बचपन में उनके पिता ने एक ज्योतिषी को उनकी कुंडली दिखाई, जिसे देखकर वह हतप्रभ रह गया। बालक स्वामीनाथ के सामने दंडवत होते हुए बोला कि एक दिन पूरा विश्व आपकी चरणों में होगा। सन् 1906 में कांची कामकोटि पीठम के 66वें आचार्य तिंडिवनम् के समीप चातुर्मास कर रहे थे। स्वामीनाथ उसमें सम्मिलित हुए और आचार्यश्री से बेहद प्रभावित हुए। वहीं से उनके जीवन की दिशा बदल गयी।
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