चकवड़
चकवड़ को पवाड़, पवाँर, जकवड़ आदि नामों से पुकारा जाता है।
- भाषा भेद से नाम भेद
संस्कृत- चक्रमर्द। हिन्दी-पवाड़, पवाँर, चकवड़। मराठी- टाकला। गुजराती- कुवाड़ियों। छत्तीसगढ़ी - चिरौठा । बंगला- चाकुन्दा। तेलुगू- तागरिस। तामिल- तगरे। मलयालम- तगर। फरसी- संग सबोया। इंगलिश- ओवल लीव्ड केशिया। लैटिन- केशिया टोरा।
वर्षा ऋतु की पहली फुहार पड़ते ही इसके पौधे खुद उग आते हैं और गर्मी के दिनों में जो-जो जगह सूखकर खाली हो जाती है, वह घास और पवाड़ के पौधे से भरकर हरी-भरी हो जाती है। इसके पत्ते अठन्नी के आकार के और तीन जोड़े वाले होते हैं।
वर्षाकाल में पवाड़ का पौधा अपने आप सब तरफ पैदा हो जाता है। यह दो प्रकार का होता है- चक्र मर्द और कासमर्द। त्वचा पर दाद गोलाकार में होती है अतः दाद को अंग्रेजी में रिंग वार्म कहते हैं। चक्र मर्द नाम का पौधा दाद के गोल-गोल घेरे (चक्र) को नष्ट करता है, इसीलिए इसे संस्कृत में चक्र मर्द यानी चक्र नष्ट करने वाला कहा गया है।
चक्रमर्द शब्द का अपभ्रंश नाम ही चकवड़ हो गया। इसके पत्ते मेथी के पत्तों जैसे होते हैं। इसी से मिलता-जुलता एक पौधा और होता है, जिसे कासमर्द या कसौंदी कहते हैं। यह पौधा चक्र मर्द से थोड़ा छोटा होता है और इसकी फलियाँ पतली व गोल होती हैं। यह खाँसी के लिए बहुत गुणकारी होता है, इसलिए इसे कासमर्द यानी कास (खाँसी) का शत्रु कहा गया है।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- पवाड़ : एक उपयोगी वनस्पति (वेबदुनिया)
- Cassia Seed page from ENaturalHealthCenter.com site
- Photos from Missouriplants.com site
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