चने का फली छेदक इस कीट का वैज्ञानिक नाम हेलिकोवरपा आर्मीजेरा है। यह एक सर्वभक्षी कीट एवं सर्वव्यापी नाशीकीट है। अमेरिका में यह कपास का अत्यंत विनाशकारी कीट है, वहां पर इसे काटन बालवर्म के नाम से पुकारते हैं। चना, मटर , कपास,अरहर, मक्का के कच्चे भुट्टे, ज्वार, सूर्यमुखी,भिण्डी, टमाटर तथा तम्बाकू आदि इसके प्रमुख पोसी पौधे हैं। यह कीट लगभग पूरे वर्ष सक्रिय रहता है। इस कीट की लट चने की पत्तियों व कोमल टहनियों को नुकसान पहुंचाती है तथा बाद में कलियों, फूलों तथा फलियों पर आक्रमण करती है। फसल में फलियां आ जाने पर सुंडी छिद्र करके अन्दर घुस जाती है तथा दानों को खा जाती है। इस प्रकार सभी दानों को नष्ट कर फलियों को खोखली कर देती हैं।[1]


इस कीट के प्रकोप से टमाटर 30-60% तक फल खराब हो जाते हैं। प्रबंधन कम खड़ी फसल में फल वेधक कीट का नियंत्रण करने के लिए मिथाइल पैराथियान (२%) या मैलाथियान (५%) या क्यूनालफास (१.५%) चूर्ण का २०-२५ कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव या फसल की पुष्पित अवस्था में क्यूनालफास (२५ई.सी.) १.२५ लीटर या कार्बेरिल (५०डब्ल्यू.पी.) २.५कि.ग्रा. घुलनशील चूर्ण का प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। छिड़काव १५ दिन पश्चात पुनः किया जाना चाहिए।[1]

  1. डाॅ. रामफूल घासोलिया (2018). चने का फली छेदक (2018 संस्करण). राजस्थान राज्य पाठयपुस्तक मण्डल 2-2ए, झालाना डूंगरी, जयपुर. पपृ॰ 47–48. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789387089754.