चाक (उपन्यास)
चाक[1] मैत्रेयी पुष्पा द्वारा लिखित हिंदी उपन्यास है। इस उपन्यास में अतरपुर गाँव की कथा कही गई है
विशेषताएँ
संपादित करेंचाक की विशेषताओं का ज़िक्र करते हुए मैत्रेयी पुष्पा लिखती हैं कि- इस गाँव के जर्रे-जर्रे में किसानों के आपसी रिश्ते, लगाव और मुहब्बतभरा व्यवहार उन्हेे एक-दूसरे से जोड़े रखता है तो स्वाभाविक ईर्ष्या, डाह और महत्त्वाकांक्षाओं का उफान आपस में छीलता-काटता भी है।[2]
पात्र
संपादित करें- सारंग
- रेशम
- रंजीत- सारंग का पति
- डोरिया
- चंदन- सारंग का बेटा
- श्रीधर- मास्टर
- भँवर
- बाबा- रंजीत के पिता
- खेरापतिन दादी
- हरिप्यारी
- बिसुनदेवा
- हरपरसाद
- फत्तेसिंह प्रधान
- पन्नासिंह
- कुँवरपाल सिंह
- हुकमकौर
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसंदर्भ
संपादित करें- ↑ मैत्रेयी, पुष्पा (२०१६). चाक. नई दिल्ली: राजकमल पेपरबैक्स.
- ↑ मैत्रेयी, पुष्पा (२०१६). चाक. नई दिल्ली: राजकमल पेपरबैक्स. पृ॰ ५. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-267-1727-9.