चान्द्र अयन एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग चंद्रमा से संबंधित तीन अलग-अलग अयन गतियों के लिए किया जाता है। एक तो चन्द्रमा का अपने अक्ष पर अयन अर्थात अक्षीय अयन , और इसके अतिरिक्त चन्द्रमा की कक्षा की दो अयन गतियाँ , एक स्तब्धिकीय अयन और एक चंद्रपातीय अयन ।

चंद्र ठहराव : हर 18.6 साल में, चंद्रमा के दिक्पात की सीमा अधिकतम या न्यूनतम तक पहुंच जाती है।

अक्षीय अयन

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चंद्रमा का घूर्णन अक्ष भी अयन करता है। चूँकि चंद्रमा के अक्ष का झुकाव क्रांतिवृत्त (या पृथ्वी की कक्षा के तल ) से केवल 1.5° है, इसका प्रभाव बहुत कम है। हर 18.6 साल में एक बार, [1] चंद्रमा का उत्तरी ध्रुव शिशुमार नक्षत्र में एक बिंदु के चारों ओर एक छोटा सा वृत्त बनाता है , जबकि चंद्र दक्षिणी ध्रुव नक्षत्र डोराडो तारामंडल के एक बिंदु के चारों ओर एक छोटा सा वृत्त बनाता है । पृथ्वी के समान, चंद्रमा का अक्षीय अयन पश्चिम की और है [2]

स्तब्धिकीय अयन

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यह छवि पृथ्वी के भौगोलिक दक्षिणी ध्रुव के ऊपर की और से है। चंद्रमा की कक्षा का दीर्घवृत्ताकार आकार यहाँ पर बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया है जबकि वास्तव में ये लगभग वृत्त ही है। चंद्रमा की कक्षा का घूमना (या अयन ) सफेद से धूसर रंग की और दिखाया गया है।

स्तब्धिकीय अयन चंद्रमा की दीर्घवृत्ताकार कक्षा के प्रधान अक्ष की दिशा बदलने की गति को कहा जाता है। चन्द्रमा की कक्षा के प्रधान अक्ष को स्तब्धिका कहा गया है।[3] इसलिए इस अक्ष के अयन को स्तब्धिकीय अयन कहा गया है । चंद्रमा की दीर्घवृत्ताकार कक्षा का प्रधान अक्ष प्रत्येक 8.85 वर्ष में चक्र पूरा करते हुए उसी दिशा में घूमता है जिस दिशा में चंद्रमा स्वयं घूमता है।

पृथ्वी के चारो ओर घूमते चन्द्रमा की कक्षा दिखाई गई है। धीरे धीरे कक्षा का अक्ष घूम रहा है और कक्षा का तल भी घूम रहा है ।
      चन्द्रमा ·       पृथ्वी
ऊपर: ध्रुवीय दृश्य; नीचे: भूमध्यीय दृश्य

पातीय अयन

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चंद्रपात वे बिंदु हैं जहां चंद्रमा की कक्षा क्रांतिवृत्त काटती है।

चंद्रमा की कक्षा का एक और प्रकार का अयन चंद्रमा की कक्षा के तल का है। चन्द्रमा के तल के अयन के कारण चन्द्रपात स्थान बदलते हैं। चंद्रमा के पातीय अयन की अवधि को आरोही चन्द्रपात को वसंत विषुव (दक्षिणी गोलार्ध में शरद विषुव) के सापेक्ष 360° से आगे बढ़ने में लगने वाले समय के रूप में परिभाषित किया गया है। यह अवधि लगभग 18.6 वर्ष की है। चन्द्रपातों के घूमने की दिशा पश्चिम की ओर है, अर्थात आकाशीय उत्तर से देखने पर सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा के विपरीत दिशा में। यही कारण है कि एक राहू मास या चन्द्रमा का पातक्रमण काल (चंद्रमा को अपनी कक्षा में उसी चन्द्रपात पर वापस आने में लगने वाला समय) नाक्षत्र महीने से छोटा होता है। एक पातीय अयन की अवधि के बाद, राहू महीनों की संख्या नाक्षत्र महीनों की संख्या से ठीक एक से अधिक हो जाती है। यह अवधि लगभग 6,793 दिन (18.60 वर्ष) है।

इस पातीय अयन के परिणामस्वरूप, सूर्य के उसी चंद्रपात पर लौटने का समय, ग्रहण वर्ष , एक नक्षत्र वर्ष की तुलना में लगभग 18.6377 दिन छोटा है।

चंद्रमा के पातीय अयन की अवधि के दौरान सौर परिक्रमाओं (वर्षों) की संख्या

=( एक वर्ष में दिन / 18.6377) - 1

= (365.2422/18.6377) - 1

अयन चक्र ज्वार की ऊंचाई को प्रभावित करता है। आधे चक्र के दौरान उच्च और निम्न ज्वार चक्र के दूसरे आधे भाग से कम तीव्र होते हैं अर्थात एक भाग में उच्च ज्वार औसत से अधिक ऊँचे और निम्न ज्वार औसत से अधिक नीचे होते हैं । [4]

हिन्दी शब्द स्रोत

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स्तब्धिकीय Apsidal के लिए भारत सरकार के शब्द संग्रह में परिभाषित है। [5]

यह सभी देखें

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  • चंद्र सिद्धांत
  • चंद्रमा की कक्षा

 

  • Seidelmann, P.K., संपा॰ (1992). Explanatory Supplement to the Astronomical Almanac. U.S. Naval Observatory / University Science Books. पपृ॰ 114–115, 701.
  1. Patrick Moore (1983). The Guinness Book of Astronomy Facts & Feats. पृ॰ 29. In 1968 the north pole star of the Moon was Omega Draconis; by 1977 it was 36 Draconis. The south pole star is Delta Doradus.
  2. "Re: Can precession occur in the opposite direction?". अभिगमन तिथि 2021-10-20.
  3. वैज्ञानिक शब्दवली आयोग, विज्ञान. "apside". csttpublication.
  4. Greicius, Tony (7 July 2021). "Study Projects a Surge in Coastal Flooding, Starting in 2030s". NASA. मूल से 3 जून 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-07-15.
  5. वैज्ञानिक व तकनिकी शब्दावली आयोग. "बृहद पारिभाषिक शब्द संग्रह विज्ञान". csttpublication.mhrd.gov.in.