चार्ल्स मैटकाफ

ब्रिटिश औपनिवेशिक गवर्नर

सर चार्ल्स मैटकाफ (१७८५-१८४६) भारत के गवर्नर जनरल रहे थे।

The Right Honourable
The Lord Metcalfe
GCB PC
Portrait by George Chinnery, early 1820s

पद बहाल
20 March 1835 – 4 March 1836
राजा William IV
पूर्वा धिकारी Lord William Bentinck
उत्तरा धिकारी The Lord Auckland

पद बहाल
1839–1842
राजा Victoria
पूर्वा धिकारी Sir Lionel Smith, Bt
उत्तरा धिकारी The Earl of Elgin

पद बहाल
1843–1845
राजा Victoria
पूर्वा धिकारी Sir Charles Bagot
उत्तरा धिकारी The Earl Cathcart

जन्म 30 जनवरी 1785
Calcutta, Bengal Presidency, British India
मृत्यु 5 सितम्बर 1846(1846-09-05) (उम्र 61 वर्ष)
Malshanger, Oakley, Hampshire
राष्ट्रीयता British

इनका जन्म कलकत्ते में सेना के एक मेजर के घर सन् १७८५ ईसवीं में हुआ। प्रारंभ से ही इनका अनेक भाषाओं की ओर रुझान रहा। १५ वर्ष की उम्र में कंपनी की नौकरी में एक क्लर्क के रूप में प्रविष्ट हुए। शीघ्र ही गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली की, जिसे योग्य व्यक्तियों को पहचानने की अपूर्व क्षमता थी, निगाह इनके ऊपर पड़ी और आपने महाज सिंधिया के दरबार में स्थित रेजीडेंट के सहायक के पद से अपना कार्य प्रारंभ कर, अनेक पदों पर कार्य किया। सन् १८०८ में इन्होने अंग्रेजी राजदूत की हैसियत से सिक्ख महाराजा रणजीत सिंह को अपनी विस्तार नीति को सीमित करने पर बाध्य कर दिया तथा सन् १८०९ ई० की अमृतसर की मैत्रीपूर्ण संधि का महाराज रणजीत सिंह ने यावज्जीवन पालन किया। गर्वनर जनरल लार्ड हेंसटिंग्ज ने इनके माध्यम से ही विद्रोही खूखाँर पठान सरदार अमीर खान तथा अंग्रेजों के बीच संधि कराई। भरतपुर के सुदृढ़ किले को भी नष्ट करने में आपका योगदान था। सन् १८२७ में इन्हे नाइट पदवी से विभूषित किया गया। जब आगरे का नया प्रांत बना तो आपको ही उसका प्रथम गवर्नर मनोनीत किया गया। थोड़े ही दिनों में इनको अस्थायी गवर्नर जनरल बनाया गया। इस कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण कार्य भारतीय प्रेस को स्वतंत्र बनाना था। सन् १८३८ ईसवीं में ये स्वदेश लौट गए। तदुपरांत इन्होने जमायका के गवर्नर का तथा कनाडा के गर्वनर-जनरल का पदभार संभाला। अंत में १८४६ में कैंसर के भीषण रोग से इनकी मृत्यु हो गई।