हनुमान चालीसा

गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित महाबलि हनुमान जी के गुणों की काव्यात्मक कृति
(चालीसा से अनुप्रेषित)

हनुमान चालीसा हनुमानजी को समर्पित १६वी शताब्दी में अवधी में लिखी गई एक काव्यात्मक कृति है[2] जिसमें हिन्दू धर्म के प्रभु राम के परमभक्त हनुमान के गुणों, पराक्रमो ओर निर्मल चरित्र का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। इसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास हैं।

हनुमान चालीसा
हनुमान जी के चित्र सहित संपूर्ण हनुमान चालीसा
जानकारी
धर्महिन्दू धर्म
लेखकगोस्वामी तुलसीदास
भाषाअवधी-हिन्दी[1]
हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा पढ़ते श्रद्धालु

यह अत्यन्त लघु रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। इसमें बजरंगबली‍ जी की भावपूर्ण वन्दना तो है ही, प्रभु श्रीराम का व्यक्तित्व भी सरल शब्दों में उकेरा गया है। 'चालीसा' शब्द से अभिप्राय 'चालीस' (40) का है क्योंकि इस स्तुति में 40 छन्द हैं (परिचय के 2 दोहों को छोड़कर)। हनुमान चालीसा को भक्त तुलसीदास जी द्वारा लिखा गया है।

धार्मिक महत्व

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वैसे तो पूरे भारत में यह लोकप्रिय है किन्तु विशेष रूप से उत्तर भारत में यह बहुत प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय है। लगभग सभी हिन्दुओं को यह कण्ठस्थ होती है। सनातन धर्म में हनुमान जी को वीरता, भक्ति और साहस की प्रतिमूर्ति माना जाता है। शिव जी के रुद्रावतार माने जाने वाले हनुमान जी को बजरंगबली, पवनपुत्र, मारुतीनन्दन, केसरी नन्दन, महावीर आदि नामों से भी जाना जाता है। मान्यता है कि हनुमान जी अजर-अमर हैं। हनुमान जी का प्रतिदिन ध्यान करने और उनके मन्त्र जाप करने से मनुष्य के सभी भय दूर होते हैं। कहा जाता है कि हनुमान चालीसा के पाठ से भय दूर होता है, क्लेश मिटते हैं , यह प्रशांतक के रूप में सिद्ध होती है। इसके गम्भीर भावों पर विचार करने से मन में श्रेष्ठ ज्ञान के साथ भक्तिभाव जागृत होता है।[3]

मंगलवार एवं शनिवार को बजरंगबली की पूजा आराधना करने से भक्तों को संकट से मुक्ति मिलती है और उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। इन दो दिनों को हनुमान चालीसा पढ़ने का एक विशेष महत्व है क्योंकि इससे जीवन के सभी दु:ख और संकट दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि हनुमान भक्तों पर शनिदेव भी कृपा बरसाते है। शनिवार के दिन हनुमान चालीसा पढ़ने से शनि साढ़ेसाती और ढैया का प्रकोप भी कम होता है।[4]

हनुमान चालीसा के लेखन का श्रेय तुलसीदास को दिया जाता है, जो एक कवि-संत थे, जो 16वीं सदी के एक हिंदू कवि, संत और दार्शनिक थे।[5] उन्होंने भजन के अंतिम श्लोक में अपने नाम का उल्लेख किया है। हनुमान चालीसा के 39वें श्लोक में कहा गया है कि जो कोई भी हनुमान जी की भक्ति के साथ इसका जप करेगा, उस पर हनुमान जी की कृपा होगी। विश्व भर के हिंदुओं में, यह एक बहुत लोकप्रिय मान्यता है कि चालीसा का जाप गंभीर समस्याओं में हनुमान जी के दिव्य हस्तक्षेप का आह्वान करता है।

लोकप्रिय संगीत

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हनुमान चालीसा सबसे महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक ग्रंथों में से एक है और कई लोकप्रिय भजन, शास्त्रीय और लोक गायकों द्वारा गाया गया है। हरिओम शरण के स्वर में, मूल रूप से १९७४ में ग्रामोफोन कंपनी ऑफ इंडिया द्वारा जारी किया गया था और १९९५ में सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज द्वारा फिर से जारी किया गया था, जो कि बहुत लोकप्रिय है और नियमित रूप से पूरे उत्तरी भारत के मंदिरों और घरों में बजाया जाता है।

हनुमान चालीसा गाने वाले लोकप्रिय गायकों में कर्नाटक गायक एम एस सुब्बुलक्ष्मी, साथ ही लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर, एस पी बालासुब्रह्मण्यम, शंकर महादेवन, अनुराधा पौडवाल, कैलाश खेर, सुखविंदर सिंह, सोनू निगम, और उदित नारायण शामिल हैं।

 
हृषीकेश परमार्थ निकेतन आश्रम हनुमान चालिसा पाठ

हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले, श्री हनुमान जी को नमस्कार करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।[6] जय श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के सभी संकटो का नाश होता है और हनुमान जी के साथ साथ श्री सीताराम जी के समस्त दरबार की कृपा प्राप्त होती है। अगर किसी इच्छा से पाठ करना है तो आप चालीसा पाठ संकल्प लेकर कर सकते है या बिना संकल्प के भी कर सकते है हनुमान जी से प्रार्थना करके। आप अगर मंगलवार का व्रत भी रहेंगे तो और अच्छा है।

------दोहा ---------

श्रीगुरु-चरन-सरोज-रज

निज-मन-मुकुर सुधारि ।

बरनउँ रघुबर-बिमल-जस

जो दायक फल चारि ॥

बुद्धि-हीन तनु जानिकै

सुमिरौं पवनकुमार ।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं

हरहु कलेश बिकार ॥

--------- चौपाई --------

जय हनुमान ज्ञान-गुण-सागर ।

जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥ १ ॥

राम-दूत अतुलित-बल-धामा ।

अंजनिपुत्र - पवनसुत - नामा ॥ २ ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।

कुमति-निवार सुमति के संगी ॥ ३ ॥

कंचन-बरन बिराज सुबेसा ।

कानन कुंडल कुंचित केसा ॥ ४ ॥

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।

काँधे मूँज-जनेऊ छाजै ॥ ५ ॥

शंकर स्वयं केसरीनंदन ।

तेज प्रताप महा जग-बंदन ॥ ६ ॥

बिद्यावान गुणी अति चातुर ।

राम-काज करिबे को आतुर ॥ ७ ॥

प्रभु-चरित्र सुनिबे को रसिया ।

राम-लखन-सीता-मन-बसिया ॥ ८ ॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।

बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥ ९ ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।

रामचंद्र के काज सँवारे ॥ १० ॥

लाय सँजीवनि लखन जियाये ।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥ ११ ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।

तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई ॥ १२ ॥

सहसबदन तुम्हरो जस गावैं ।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥ १३ ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा ।

नारद सारद सहित अहीशा ॥ १४ ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।

कबि कोबिद कहि सकैं कहाँ ते ॥ १५ ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।

राम मिलाय राज-पद दीन्हा ॥ १६ ॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना ।

लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥ १७ ॥

जुग सहस्र जोजन पर भानू ।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥ १८ ॥

प्रभु-मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।

जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥ १९ ॥

दुर्गम काज जगत के जे ते ।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे ते ते ॥ २० ॥

राम-दुआरे तुम रखवारे ।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ २१ ॥

सब सुख लहहिं तुम्हारी शरना ।

तुम रक्षक काहू को डर ना ॥ २२ ॥

आपन तेज सम्हारो आपे ।

तीनौं लोक हाँक ते काँपे ॥ २३ ॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।

महाबीर जब नाम सुनावै ॥ २४ ॥

नासै रोग हरै सब पीरा ।

जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥ २५ ॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै ।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ २६ ॥

सब-पर राम राय-सिरताजा ।

तिन के काज सकल तुम साजा ॥ २७ ॥

और मनोरथ जो कोइ लावै ।

तासु अमित जीवन फल पावै ॥ २८ ॥

चारिउ जुग परताप तुम्हारा ।

है परसिद्ध जगत-उजियारा ॥ २९ ॥

साधु संत के तुम रखवारे ।

असुर-निकंदन राम-दुलारे ॥ ३० ॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता ।

अस बर दीन्ह जानकी माता ॥ ३१ ॥

राम-रसायन तुम्हरे पासा ।

सादर हे रघुपति के दासा ॥ ३२ ॥

तुम्हरे भजन राम को पावै ।

जनम जनम के दुख बिसरावै ॥ ३३ ॥

अंत-काल रघुबर-पुर जाई ।

जहाँ जन्म हरि-भगत कहाई ॥ ३४ ॥

और देवता चित्त न धरई ।

हनुमत सेइ सर्बसुख करई ॥ ३५ ॥

संकट कटैमिटै सब पीरा ।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ ३६ ॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं ।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ ३७ ॥

यह सत बार पाठ कर जोई ।

छूटहिं बंदि महा सुख होई ॥ ३८ ॥

जो यह पढ़ै हनुमान-चलीसा ।

होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ ३९ ॥

तुलसीदास सदा हरि-चेरा ।

कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ॥ ४० ॥

--------- दोहा ---------

पवनतनय संकट-हरन,

मंगल-मूरति-रूप ।

राम लखन सीता सहित,

हृदय बसहु सुर-भूप ॥

सियावर रामचंद्र की जय ।

पवनसुत हनुमान की जय ।

 
गोस्वामी तुलसीदास

एक बार अकबर ने गोस्वामी जी को अपनी सभा में बुलाया और उनसे कहा कि मुझे भगवान श्रीराम से मिलवाओ। तब तुलसीदास जी ने कहा कि भगवान श्री राम केवल अपने भक्तों को ही दर्शन देते हैं। यह सुनते ही अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को कारागार में बंद करवा दिया।[7]

कारावास में गोस्वामी जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी। जैसे ही हनुमान चालीसा लिखने का कार्य पूर्ण हुआ वैसे ही पूरी फतेहपुर सीकरी को बन्दरों ने घेरकर उस पर धावा बोल दिया । अकबर की सेना भी बन्दरों का आतंक रोकने में असफल रही। तब अकबर ने किसी मन्त्री की परामर्श को मानकर तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त कर दिया। जैसे ही तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त किया गया उसी समय बन्दर सारा क्षेत्र छोड़कर चले गये।[8] इस अद्भुत घटना के बाद, गोस्वामी तुलसीदास जी की महिमा दूर-दूर तक फैल गई और वे एक महान संत और कवि के रूप में जाने जाने लगे। उनकी रचनाएं, जिसमें रामचरितमानस भी शामिल है, हिंदू धर्म में उच्च मान्यता और उत्सवों के साथ मनाई जाती है!

इन्हें भी देखें

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  1. Nityanand Misra 2015, p. xviii.
  2. राजऋषि, तुलसीदास (2021). हनुमान चालीसा. नोशन प्रेस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781639979691.
  3. तुलसीदास (1998). सुंड, हरिवंश लाल (संपा॰). Goswami Tulsidas Ji's devised Sri Sankat Mochan Hanuman Charit Manas (अंग्रेज़ी में). नई दिल्ली: अरावली बुक्स इंटरनेशनल. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-86880-31-9.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
  4. "शनिवार के दिन पढ़ें हनुमान हनुमान चालीसा, जीवन के हर कष्ट होंगे दूर". प्रभात खबर. 2023-10-28. अभिगमन तिथि 2024-09-24.
  5. "Hanuman Chalisa In English Or Hinglish - Hanuman Chalisa PDF HUB" (अंग्रेज़ी में). 2024-01-14. मूल से 14 फ़रवरी 2024 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2024-02-06.
  6. Patel, Jignesh (2024-03-03). "Hanuman Chalisa PDF". hanumanchalisahindilyrics. अभिगमन तिथि 2024-03-03.
  7. "किसने लिखी थी हनुमान चालीसा, जिसके बारे में कही जाती हैं कई बातें". न्यूज़18 भारत. 9 April 2020. अभिगमन तिथि 2020-09-15.
  8. झा, प्रीति (3 मई 2016). "इस तरह उन्होंने हनुमान चालीसा की रचना की -". दैनिक जागरण. मूल से 8 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2024-09-24.