चिपलून
चिपलून (Chiplun) भारत के महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरि ज़िले में स्थित एक शहर है। मुम्बई से गोवा जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 66 पर चिपलून एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह वाशिष्ठी नदी के किनारे बसा हुआ है।[1][2]
चिपलून Chiplun चिपळूण | |
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परशुराम घाट से वाशिष्ठी नदी का दृश्य | |
निर्देशांक: 17°32′N 73°31′E / 17.53°N 73.52°Eनिर्देशांक: 17°32′N 73°31′E / 17.53°N 73.52°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | महाराष्ट्र |
ज़िला | रत्नागिरि ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 55,139 |
भाषा | |
• प्रचलित | मराठी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 415605 |
दूरभाष कोड | 02355 |
वाहन पंजीकरण | MH-08 |
पर्यटन विकास
संपादित करेंएक पिकनिक स्थान के रूप में चिपलुन के जन्म की कहानी बड़ी ही रोचक है। हुआ यूं कि 80 के दशक में मुंबई से गोवा जाने के लिए प्रतिदिन उड़ाने संचालित नहीं होती थी। उस समय सप्ताह में एक या दो उड़ाने संचालित होती थी। इसलिए पर्यटकों ने सड़क मार्ग द्वारा गोवा जाना आरंभ कर दिया। लेकिन यह रास्ता काफी लंबा पड़ता था। इसलिए रास्ते में एक ऐसे स्थान की जरुरत महसूस की गई जहां पर्यटक आराम कर सकें। ऐसे स्थान को चुनने के लिए होटल ताज ग्रुप ने समाचारपत्रों में विज्ञापन दिया और पर्यटकों से विभिन्न स्थानों के लिए वोटिंग करने को कहा। वोटिंग में 80 प्रतिशत दर्शकों ने चिपलुन के पक्ष में मतदान किया। इस प्रकार एक पर्यटक स्थल के रूप में चिपलुन का जन्म हुआ।
मुख्य आकर्षण
संपादित करेंनगर
संपादित करेंपूरे चिपलुन शहर को एक दिन में आराम से घूमा जा सकता है। अगर कार या टैक्सी की व्यवस्था हो जाय तो एक ही दिन में इसके आसपास के स्थानों को भी घूमा जा सकता है।
परशुराम मंदिर और गांव
संपादित करेंपिथे परशुराम गांव चिपलुन के नजदीक ही स्थित है। इस गांव के संबंध में कई अनुश्रुतियां फैली हुई हैं। एक अनुश्रुति के अनुसार परशुराम जोकि गुस्सैल संत थे, अपने को गुरु के सामने सच्चा संन्यासी सिद्ध करने के लिए अपनी पूरी भूमि दान कर दी। इसके बाद वह पिथे परशुराम आ गए। एक बार गुस्से में उन्होंने अपना फरसा (एक प्रकार का हथियार) समुद्र में फेंक दिया। उस समय समुद्र चिपलुन के निकट था। अनुश्रुति के अनुसार परशुराम के गुस्से के कारण समुद्र ने अपने को पीछे खींच लिया। जहां फरसा गिरा वह स्थान परशुराम ने अपने निवास के लिए चुन लिया।
पिथे परशुराम वर्तमान में एक पयर्टक स्थल के रूप में विकसित हो चुका है। यहां एक 700 वर्ष पुराना मंदिर है जो कि भव्य तो नहीं है लेकिन इसकी महत्ता काफी अधिक है। पर्यटक इस मंदिर के आसपास स्थित दुकानों से नकली गहने खरीदते हैं।
वाशिष्ठी नदी
संपादित करेंवाशिष्ठी नदी में मोटरबोटिंग का आनंद उठाया जा सकता है। इस नदी में कभी-कभी घडियाल भी दिख जाता है। इसके अलावा मछली पकड़ने का भी लुत्फ उठाया जा सकता है।
निकटवर्ती दर्शनीय स्थान
संपादित करेंवालवलकर शिवाजी संग्रहालय
संपादित करें(15 किलोमीटर) यह संग्रहालय मुंबई-गोवा राजमार्ग पर स्थित है। इस संग्रहालय में शिवाजी के जीवन में घटित विभिन्न घटनाओं को चित्रित किया गया है।
कोयना डैम
संपादित करें(43 किलोमीटर) यह डैम समुद्रतल से 3000 फीट उंचा है। यह डैम पर्यटकों का पसंदीदा पिकनिक स्पॉट होता था। लेकिन मोहम्मद अत्ता तथा उसके दोस्तों का यहां दुर्घटना होने के कारण अब इस डैम में सुरक्षा कारणों से प्रवेश निषेध कर दिया गया है।
यह डैम भारत के सबसे बड़े डैमों में से एक है। इस डैम के पास ही नेहरु स्मृति उद्यान (प्रवेश शुल्क 5 रु.) है। यह डैम मीठे पानी की मछलियों के लिए भी प्रसिद्ध है। इस डैम में बोटिंग की सुविधा भी है। बोटिंग का शुल्क 300 रु. है। इन सबके अलावा यहां कुछ मंदिर तथा झरने भी हैं। इस डैम को मानसून के मौसम में घूमना चाहिए।
महाबलेश्वर मंदिर
संपादित करें(65 किलोमीटर) चिपलुन का एक अन्य दर्शनीय स्थान महाबलेश्वर मंदिर है। यह मंदिर देवरुख रोड पर चिपलुन से 95 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर एक गुफा में प्राकृतिक रूप से निर्मित है। अगर आप भाग्यशाली हैं तो आपको इस गुफा में निवास करने वाले सर्प दिख सकते है। यहां एक झरना भी है।
सवतसडा क्षरना
संपादित करेंयह झरना चिपलुन शहर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां मानसून के समय में जाना चाहिए।
गणपतीपुळे, रत्नागिरी
संपादित करेंयह प्राचीन तीर्थकेंद्र है। यह मंदिर चिपलुन से 120 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर में भगवान गणेश की प्राकृतिक रूप से निर्मित मूर्त्ति है।
गावलकोट किला
संपादित करेंयह प्राचीन किला एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है। इस किले का निर्माण शिवाजी महाराज ने करवाया था। इस किले के सामने वितस्ता नदी बहती है। इस किले से घाटी तथा नदी का सुंदर नजारा दिखता है।
भोजन
संपादित करेंताज रेस्टोरेंट कोंकणी भोजन के लिए प्रसिद्ध है। यहां का स्थानीय भोजन बड़ा पाव तथा सोल कड़ी भी ताज रेस्टोरेंट में मिलता है। परशुराम मंदिर में भी अच्छा भोजन मिलता है। यहां भोजन प्रति व्यक्ित 30 रु. की दर से दिया जाता है। लेकिन यहां भोजन के लिए पहले से ही ऑर्डर देना होता है। रॉयल पैलेस में सूप, सुरमई फ्राई तथा मछली उचित कीमत पर मिलता है।
उत्पाद
संपादित करेंचिपलुन किचन के सामानों के लिए प्रसिद्ध है। ये सामान मुख्यत: पिथे परशुराम से खरीदे जा सकते है। यहां के दुकानों के बाहर ये सामान टंगे रहते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां का कुकम सबसे अच्छा होता है। यहां का बना कुकम शर्बत भी खरीदा जा सकता है। यह शर्बत प्लास्टिक के डिब्बों में मिलता है। चिपलुन में "नचनी" नामक एक प्रकार का अनाज होता है। यह काफी पौष्टिक होता है। इसे रोटी और पापड़ के साथ खाया जाता है। चिपलुन अल्फांसो आम के लिए भी प्रसिद्ध है। इसके अलावा चिपलुन में चमगादड़ का तेल भी मिलता है। 100 मिली लीटर चमगादड़ का तेल 37 रु. में मिलता है। यह तेल जोड़ों के दर्द तथा सूजन को दूर करने में काम आता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "RBS Visitors Guide India: Maharashtra Travel Guide Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Ashutosh Goyal, Data and Expo India Pvt. Ltd., 2015, ISBN 9789380844831
- ↑ "Mystical, Magical Maharashtra Archived 2019-06-30 at the वेबैक मशीन," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458