चीन की विभिन्न संस्थाओं में लगभग 80 विदेशी भाषाएँ पढ़ाई जा रही हैं।[1] इनमें हाल के कुछ वर्षों में हिन्दी यहाँ की एक लोकप्रिय भाषा बनकर उभरी है।

हिन्दी की शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाएँ

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प्रारम्भिक रूप से चीन में पेकिंग विश्वविद्यालय (अंग्रेजी:Peking University), बेजिंग विदेशी अध्ययन विश्वविद्यालय (अंग्रेजी: Beijing Foreign Studies University) और चीन के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ाई जाती है। शिक्षकों के अनुसार हिन्दी की लोकप्रियता का एक मुख्य कारण इस भाषा से एक व्यवसाय के अवसर का जुड़ना है। भारतीय दूतावास के प्रयासों के कारण चीन में पाँच संस्थाओं भारतीय संस्कृति के विभिन अध्ययन क्षेत्रों के विभाग बने हैं जिनमें विभिन्न क्षेत्रों में जिनान विश्वविद्यालय (अंग्रेजी: Jinan University), शेनज़ेन विश्वविद्यालय (अंग्रेजी: Shenzhen University) और युन्नान विश्वविद्यालय (अंग्रेजी: Yunnan University) शामिल हैं।[1]

पेकिंग विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति के विभिन का उद्घाटन

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चीन की कुछ अन्य संस्थाओं की तरह पेकिंग विश्वविद्यालय में भी भारतीय संस्कृति के विभिन्न विभागों की स्थापना 2003 में भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों हुई थी। यहाँ मुख्य रूप से केन्द्र के बिन्दु हिन्दी शिक्षा के साथ-साथ संस्कृत, उर्दू और बंगाली भाषा के अध्ययन तथा भारत के सम्बंध में धर्म, इतिहास और संस्कृति से जुड़े कोर्स का पढ़ाना भी शामिल है। 2006 तक यहाँ 50 पूर्णकलिक के छात्र और छः पी एच डी छात्र पंजीकृत हो चुके थे। [2]

भारतीय ऐतिहासिक ग्रन्थों का अध्ययन

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चीन में हिन्दी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र अपनी पढ़ाई के दौरान ऐतिहासिक भारतीय ग्रन्थ जैसे कि रामायण का भी अध्ययन करते हैं।[3]

भारत में हिन्दी का अध्ययन

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हिन्दी भाषा का अध्ययन करने वाले छात्र अपनी शिक्षा को पूर्ण करने के लिए कुछ समय भारत में बिताते हैं। इसके अतिरिक्त प्रति वर्ष कई छात्र महात्मा गान्धी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, भारत में प्रवेश पाते हैं। यह लोग डिप्लोमा से लेकर पी-एच डी० तक के कोर्स यहाँ पर पूरे करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह लोग साधारण रूप से अपनी पहचान भी भारतीय नामों से करवाते हैं।[4]

रेडियो चाइना इण्टरनेशनल

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चीन से प्रसारित होने वाले रेडियो चाइना इण्टरनेशनल के कार्यक्रम भारत में काफ़ी लोकप्रिय हो चुके हैं। कुछ जगहों पर भारतीय श्रोताओं के क्लब भी बन चुके हैं। इस कारण से यह रेडियो सेवा कई चीनी लोगों को रोजगार का एक नया अवसर प्रदान करती है। [5]

चीन में हिन्दी के प्रचार के लिए आकाशवाणी की विदेश सेवा

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आकाशवाणी ने 15 अगस्त 2015 से चीन की जनता में हिन्दी भाषा सीखने की रुचि को देखते हुए हर रविवार को बीस मिनट का एक कार्यक्रम शुरू किया है जिसका नाम Xue Xi Yindiyu Jie Mu या "आओ हिन्दी सीखें" है। इसके अंतर्गत एक चीनी परिवार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक शिक्षक के समक्ष हिन्दी भाषा सीखते हुए सुनाई देता है।[6]

चीन में हिन्दी दिवस

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चीन के विश्वविद्यालयों और शिक्षा केन्द्रों में हिन्दी दिवस धूम-धाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रतियोगिताएँ भी आयोजित होती है। इन समारोहों का एक मुख्य केन्द्र भारतीय दूतावास भी है।[1]

हिन्दी सीखने वाले छात्रों की शिकायत

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हिन्दी सीखकर भारत व्यापार, व्यवसाय या केवल यात्रा पर आने वाले चीनी छात्र आश्चर्य में पड़ जाते हैं कि आधिकारिक मामलों में भारत में हिन्दी की तुलना में अंग्रेजी का प्रयोग अधिक है। इसके विपरीत चीन में लगभग सभी कार्य चीनी भाषा में ही सम्पन्न होते हैं। [2]

  1. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 23 जनवरी 2016. Retrieved 14 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  2. http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-opinion/interest-in-hindi-growing-in-china/article3068353.ece
  3. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 20 फ़रवरी 2015. Retrieved 14 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  4. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 25 नवंबर 2015. Retrieved 14 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)
  5. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 9 जनवरी 2015. Retrieved 14 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  6. "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 17 नवंबर 2015. Retrieved 14 नवंबर 2015. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)

बाहरी कड़ियाँ

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