महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय भारत का एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है।[1] विश्वविद्यालय की स्थापना भारत सरकार ने सन् १९९६ में संसद द्वारा पारित एक अधिनियम द्वारा की थी। इस अधिनियम को भारत के राजपत्र में ८ जनवरी सन् १९९७ को प्रकाशित किया गया। यह विश्वविद्यालय महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित है।
महात्मा गान्धी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय | |
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आदर्श वाक्य: | ज्ञान शान्ति मैत्री |
स्थापित | १९९७ |
प्रकार: | सार्वजनिक |
मान्यता/सम्बन्धता: | यूजीसी |
कुलपति: | प्रोफेसर कृष्ण कुमार सिंह |
अवस्थिति: | वर्धा, महाराष्ट्र, भारत |
परिसर: | ग्रामीण |
जालपृष्ठ: | www.hindivishwa.org |
गान्धी जी, हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं के प्रबल पक्षधर थे। इसलिये इस विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखना सर्वथा सार्थक है। वर्धा भारत के केन्द्र में स्थित होने के कारण इस विश्वविद्यालय के लिये यह स्थान भी सर्वथा उपयुक्त है।
विश्वविद्यालय के केन्द्र
संपादित करें- वर्धा
- इलाहाबाद केन्द्र
- कोलकाता केन्द्र
- रिद्धपूर
विद्यापीठ
संपादित करेंप्रारम्भ में इसके 8 विद्यापीठ अधिकल्पित किये गये थे, जिनके नाम तथा विभाग इस प्रकार हैं:
- भाषा विज्ञान एवं भाषा-प्रौद्योगिकी विभाग
- सूचना एवं भाषा अभियांत्रिकी केंद्र
- विदेशी भाषा एवं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र
साहित्य विद्यापीठ
संपादित करें- हिन्दी एवं तुलनात्मक साहित्य विभाग
- प्रदर्शनकारी कला विभाग
- अग्रेज़ी साहित्य विभाग
- उर्दू साहित्य विभाग
- संस्कृत साहित्य विभाग
- मराठी साहित्य विभाग
संस्कृति विद्यापीठ
संपादित करें- गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग
- स्त्री अध्ययन विभाग
- डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर सिदो कान्हू मुर्मू दलित एवं जनजातीय अध्ययन केंद्र
- डॉ॰ भदन्त आनन्द कौसल्यायन बौद्ध अध्ययन केंद्र
अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ
संपादित करें- अनुवाद अध्ययन विभाग
- प्रवासन एवं डायस्पोरा अध्ययन विभाग
मानविकी एवं समाजिक विज्ञान विद्यापीठ
संपादित करें- जनसंचार विभाग
- मानवविज्ञान विभाग
- महात्मा गांधी फ़यूजी-गुरूजी सामाजिक कार्य अध्ययन केंद्र
- शिक्षा विभाग
- मनोविज्ञान विभाग
प्रबंधन विद्यापीठ
संपादित करेंवाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग
विधि विद्यापीठ
संपादित करेंवर्धा समाज कार्य संस्थान
संपादित करेंसमाज कार्य विभाग
विश्वविद्यालय के अधिनियम की धारा 4 में उल्लिखित विश्वविद्यालय के उद्देश्यों में बताया गया है किविश्वविद्यालय का उद्देश्य - दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से हिन्दी को लोकप्रिय बनाना होगा'। साथ हीधारा 5 के उपबन्ध (5) के अन्तर्गत विश्वविद्यालय को प्रदत्त शक्तियों में यह बताया गया है कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से उन व्यक्तियों को जिनके बारे में वह निर्धारित करे, सुविधाएँ प्रदान करना है'|
इस पृष्ठभूमि के आलोक में 15 जून, 2007 को महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम का उदघाटन भारत के राष्ट्रपति महामहिम डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा किया गया।
विश्वविद्यालय संगणक केन्द्र
संपादित करेंलेबोरेट्री इन इनफार्मेटिक्स फार द लिबरल आर्ट्स (लीला )
संपादित करेंलीला प्रयोगशाला सभी आईटी शिक्षण संबंधित लर्निंग, रिसर्च, और विश्वविद्यालय के आईटी विस्तार से संबंधित गतिविधियों का समर्थन करता है. यह छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी की सुविधाएं प्रदान करता है। लीला प्रयोगशाला विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों- स्थापना, वित्त, लाइब्रेरी, स्कूल, केंद्र और इस विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के लिए कार्यालय स्वचालन उपकरण के विकास के लिए काम किया जा रहा है, साथ ही विश्वविद्यालय के वेबसाइट का रखरखाव एवं अद्यतन कार्य भी लीला लैब की जिम्मेदारी है।
विश्वविद्यालय की सभी सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित गतिविधियों के लिए लीला की परिकल्पना एक केंद्रीय सुविधा के रूप में की गई है। पाठयक्रमों में सूचना प्रौद्योगिकी के घटकों को पूर्ण करना लीला विभाग के दायित्वो मे से एक है। इसके तहत एक सर्टिफिकेट कोर्स कंप्यूटर फंडामेंटलस् एवं अनुप्रयोग एम ए पाठ्यक्रमों के लिए चलाया जा रहा है। यह पाठ्यक्रम एम ए के सभी पाठ्यक्रमों में एक अनिवार्य विषय के रूप में है। लीला द्वारा एम फिल एवं पीएच डी के शोधार्थियों के शोध कोर्स-वर्क के लिए दिये गये दिशा निर्देशो के अनुरूप पाठ्यक्रम का निर्माण एवं संचालन किया जा रहा है। इस पाठ्यक्रम का नाम कम्प्यूटर ऑपरेशन एवं अनुप्रयोग है।
विदेशी शिक्षण प्रकोष्ठ
संपादित करेंपरिचय
संपादित करेंहिंदी दुनिया की सबसे प्रमुख भाषाओं में से एक है। भारत और दुनिया के दूसरे देशों में इसे बोलने और समझने वालों की संख्या बहुत बड़ी है। पिछले दशकों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी हिंदी के प्रभाव और हस्तक्षेप को महसूस किया गया है। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रमुख दायित्वों में से एक हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना भी है। अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी के विकास के लिए केंद्रीय और समन्वयक अभिकरण के रूप में कार्य करने के लिए विश्वविद्यालय निरंतर प्रयत्नशील है। आठवें और नवें विश्व हिंदी सम्मेलनों में विश्वविद्यालय को इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य सौंपे गए थे। नवें विश्व हिंदी सम्मेलन में विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी शिक्षण के लिए मॉडल पाठ्यक्रम निर्माण का विशेष दायित्व भी विश्वविद्यालय को सौंपा गया है।
विश्वविद्यालय ने सौंपे गए और अपेक्षित दायित्वों को पूरा करने के लिए विदेशी शिक्षण प्रकोष्ठ की स्थापना की है। प्रकोष्ठ का लक्ष्य सब प्रकार से हिंदी को एक समर्थ अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में विकसित करने के साथ-साथ ही दुनिया के दूसरे भाषा-भाषी देशों के साथ सांस्.तिक संबंध के विस्तार और संवाद के सेतु का निर्माण करना भी है। यह प्रकोष्ठ विदेशी विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों का संचालन, प्रबंधन, नियमन और शिक्षण करता है। प्रकोष्ठ द्वारा विदेशी विद्यार्थियों के लिए विदेशी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण के कई पाठ्यक्रम संचालित हैं। इनमें 3-4 सप्ताह के गहन हिंदी प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम, तीन माह और छह माह के प्रमाणपत्र तथा एक वर्ष का डिप्लोमा पाठ्यक्रम मुख्य है। अब तक इन पाठ्यक्रमों में यूरोप, अमेरिका और एशिया के कई देशों - जर्मनी, पोलैंड, बेल्जियम, क्रोएशिया, हंगरी, श्रीलंका, थाइलैंड, मॉरिशस, चीन, मलेशिया, जापान, सिंगापुर, नेपाल, कोरिया, यू.एस.ए. आदि के विद्यार्थी अध्ययन कर चुके हैं। कई देशों के विद्यार्थी विभिन्न अनुशासनों में नियमित एम.ए./एम.फिल./पी-एच.डी. पाठ्यक्रमों में अध्ययन और शोध परियोजनाओं में कार्य कर रहे हैं।
अनुबन्ध
संपादित करेंविश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक/अकादमिक गतिविधियों के विस्तार कार्यक्रम के अंतर्गत दुनिया के 7 देशों के 9 विश्वविद्यालयों/ संस्थान के साथ शैक्षणिक अनुबंध किया है और भविष्य में कई अन्य विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ अनुबंध की योजना है। इन अनुबंधों के अंतर्गत महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय और अनुबंधित विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों/शोधार्थियों और शिक्षकों के बीच परस्पर शैक्षणिक/अकादमिक गतिविधियों के आवश्यकताओं के अनुरूप आदान-प्रदान के कार्यक्रम होते हैं।
अनुबंधित विश्वविद्यालय/संस्थान | ||
श्रीलंका | यूनिवर्सिटी ऑफ केलानिया, केलानिया | Http://Www.Kln.Ac.Lk/ |
श्रीलंका | सबरगामुवा यूनिवर्सिटी, बेलिहुलोया | Http://Www.Sab.Ac.Lk/ |
मॉरिशस | महात्मा गांधी इंस्टीट़यूट, मोका | Http://Www.Mgirti.Org |
हंगरी | इतवॉस लोरांद यूनिवर्सिटी, बुदापेस्त | Http://Www.Elte.Hu/En |
बेल्जियम | घेंट यूनिवर्सिटी, घेंट | Http://Www.Ugent.Be/En |
इटली | यूनिवर्सिटी ऑफ टूरिन, टूरिन | Http://Www.Unito.It/ |
जर्मनी | यूनिवर्सिटी ऑफ टयूबेंगिन, जर्मनी | Http://Www.Uni-Tuebingen.De/En |
जर्मनी | यूनिवर्सिटी ऑफ हम्बुर्ग, जर्मनी | Http://Www.Uni-Hamburg.De/ |
रूस | मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी, मॉस्को | Http://Www.Msu.Ru/ |
जापान | टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ़ फॉरेन स्टडीज, टोक्यो | http://www.tufs.ac.jp/english/ |
चीन | जियान इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी | |
फ्रांस | इनाल्को (INALCO), पेरिस | http://www.inalco.fr/ |
सिंगापुर | नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर | http://www.nus.edu.sg/ |
चीन | बीजिंग फॉरेन स्टडीज यूनिवर्सिटी,बीजिंग | http://global.bfsu.edu.cn/en/ |
चीन | कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी ऑफ़ चाइना | http://en.cuc.edu.cn/ |
संचालित पाठ्यक्रम
संपादित करेंक्र. सं. | पाठ्यक्रम का नाम | अवधि |
1. | अल्पावधि गहन प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम | 4 सप्ताह |
2. | आधार पाठ्यक्रम | 4 सप्ताह |
3. | डिप्लोमा पाठ्यक्रम | 2 सेमेस्टर |
4. | बी.ए. हिंदी : भाषा, साहित्य और संस्कृति | 6 सेमेस्टर |
5. | एम.ए.हिंदी | 4 सेमेस्टर |
शुल्क/सुविधाएँ
संपादित करें240 यू.एस. डॉलर प्रतिमाह
(उल्लिखित सुविधाओं सहित)
नागपुर एयरपोर्ट अथवा वर्धा/सेवाग्राम रेलवे स्टेशन से विश्वविद्यालय परिसर तक आगमन एवं प्रस्थान के समय
फादर कामिल बुल्के अंतरराष्ट्रीय छात्रावास (एसी) में आवासीय सुविधा
- भोजन (शाकाहारी एवं मांसाहारी)
- एसी क्लास-रूम
- लैंग्वेज लैब
- 24 घंटे बिजली
- 'आर ओ' प्रशोधित पेयजल प्रशोधित पेय जल
- इंटरनेट
- केंद्रीय पुस्तकालय
- जिम
- विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र
- खेलकूद
विश्वविद्यालय के प्रकाशन
संपादित करें- पुस्तक-वार्ता
- बहुवचन
- Hindi Language Discourse Writing
- हिंदी-विश्व विश्वविद्यालय की द्विमासिक समाचार पत्रिका
- संचयिताएं
विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित संचयिताएं | |||||
क्र.सं. | पुस्तकों के नाम | लेखक/संपादक | प्रकाशक | वर्ष | मूल्य |
1. | हजारी प्रसाद द्विवेदी संचयिता | राधावल्लभ त्रिपाठी | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2001 | 400/- |
2. | अज्ञेय संचयिता | नंदकिशोर आचार्य | राजकमल प्रकाशन, दिल्ली | 2001 | 395/- |
3. | सूर्यकांत त्रिपाठी निराला संचयिता | डॉ. रमेशचन्द्र शाह | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2001 | 395/- |
4. | महादेवी वर्मा संचयिता | निर्मला जैन | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2002 | 400/- |
5. | मैथलीशरण गुप्त संचयिता | नंदकिशोर नवल | राजकमल प्रकाशन, दिल्ली | 2002 | 275/- |
6. | जैनेन्द्र कुमार संचयिता | डॉ. ज्योतिष जोशी | पूर्वोदय प्रकाशन, दिल्ली | 2002 | 425/- |
7. | त्रिलोचन संचयिता | ध्रुव शुक्ल | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2002 | 375/- |
8. | रामचंद्र शुक्ल संचयिता | रामचंद्र तिवारी | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 500/- |
9. | श्रीकांत वर्मा संचयिता | उदयन वाजपेयी | राजकमल प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 325/- |
10. | भवानी प्रसाद संचयिता | प्रभात त्रिपाठी | राजकमल प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 450/- |
11. | रघुवीर सहाय संचयिता&Amp;Amp;Nbsp; | कृष्ण कुमार | राजकमल प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 225/- |
12. | नामवर सिंह संचयिता | नंदकिशोर नवल | राजकमल प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 350/- |
13 | फणीश्वरनाथ रेणु संचयिता | सुवास कुमार | मेधा बुक्स, दिल्ली | 2003 | 590/- |
14. | केदारनाथ अग्रवाल संचयिता (HD) | डॉ. अशोक त्रिपाठी | साहित्य भंडार, इलाहाबाद | 2011 | 500/- |
15. | केदारनाथ अग्रवाल संचयिता (PB) | डॉ. अशोक त्रिपाठी | साहित्य भंडार, इलाहाबाद | 2011 | &Nbsp; |
16. | स्वामी अछूतानंद हरिहर संचयिता | कँवल भारती | स्वराज प्रकाशन, दिल्ली | 2011 | 450/- |
17. | उपाध्याय श्री बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन | डॉ. भवदेव पाण्डेय | शिल्पायन, दिल्ली | 2012 | 375/- |
18. | चंद्रकुँवर वर्त्वाल संचयिता | गंगा प्रसाद विमल | विजया बुक्स, दिल्ली | 2012 | 275/- |
19. | सूर संचयिता | प्रो. मैनेजर पाण्डेय | राजकमल प्रकाशन | 2012 | 250/- |
20. | कमलेश्वर संचयिता | गंगा प्रसाद विमल | किताबघर प्रकाशन, दिल्ली | 2013 | 850/- |
21. | निर्मला जैन संचयिता | रामेश्वर राय | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2013 | 495/- |
22. | रामविलास शर्मा संचयिता | मुरली मनोहर प्रसाद सिंह | आधार प्रकाशन, हरियाणा | 2014 | 500/- |
23. | प्रतापनारायण मिश्र संचयिता | ओमप्रकाश सिंह | शिल्पायन, दिल्ली | 2014 | 350/- |
विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पुस्तकें | |||||
24. | द्विज देव ग्रंथावली | विद्यानिवास मिश्र | प्रभात प्रकाशन, दिल्ली | 2000 | 200/- |
25. | द फर्स्ट पब्लिश एन्थोलॉजी ऑफ हिंदी पोइट्स | इमरे बंगा | रेनबो प्रकाशन | 2000 | 225/- |
26. | कविता का शुक्लपक्ष | बच्चन सिंह/अवधेश प्रधान | राजकमल प्रकाशन, दिल्ली | 2001 | 325/- |
27. | पंत सहचर | अशोक वाजपेयी/अपूर्वानंद | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2001 | 395/- |
28. | राकेश समग्र | नंदकिशोर नवल | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2001 | 395/- |
29. | अँधेरे में | कृष्ण बलदेव वैद | रेनबो प्रकाशन | 2001 | 150/- |
30. | समक्ष | आलोक राय/मुश्ताक अली | हंस प्रकाशन | 2002 | 375/- |
31. | हिंदी की जनपदीय कविता | विद्यानिवास मिश्र | लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद | 2002 | 600/- |
32. | कवि नायक अज्ञेय | इला डालमिया कोइराला | प्रभात प्रकाशन, दिल्ली | 2002 | 100/- |
33. | छंद छंद पर कुमकुम | वागीश शुक्ल | प्रभात प्रकाशन, दिल्ली | 2002 | 300/- |
34. | स्वच्छंद | डॉ. प्रभात रंजन | राजकमल प्रकाशन, दिल्ली | 2002 | 175/- |
35. | अन्त: करण का आयतन | अशोक वाजपेयी | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 395/- |
36. | स्मृति, मति और प्रज्ञा
धर्मपाल से उदयन वाजपेयी की बातचीत |
उदयन वाजपेयी | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 125/- |
37. | सूची पत्रक | तादेउष रुज़ेविच | पूर्वोदया प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 100/- |
38. | पूज्य पिता के सहज सत्य पर | ध्रुव शुक्ल | वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर | 2003 | 90/- |
39. | उर्दू साहित्य का देवनागरी में लिपिकरण | वागीश शुक्ल | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 195/- |
40. | अन्तर्लोक | प्रो. नंदकिशोर आचार्य | राजकमल प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 250/- |
41. | हिंदी साहित्यशास्त्र | नंदकिशोर नवल | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2003 | 300/- |
42. | हिंदी साहित्य का मौखिक इतिहास (चार खण्ड) | नीलाभ | म.गां.अं.हि.वि., वर्धा | 2004 | 1000/- |
43. | मीराँ संचयन | नंदचतुर्वेदी | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2006 | 175/- |
44. | तमिल शैव सन्त सुन्दरम् | डॉ. एन. सुंदरम्
रामानुज अस्थाना |
म.गां.अं.हि.वि., वर्धा | 2007 | 400/- |
45. | आठवॉ विश्व हिंदी सम्मेलन | प्रो. जी. गोपीनाथन | म.गां.अं.हि.वि., वर्धा | 2007 | 300/- |
46. | निर्मल विमर्श | प्रो. जी. गोपीनाथन
रामानुज अस्थाना |
म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2007 | 200/- |
47. | तुलनात्मक साहित्य विश्वकोश | प्रो. जी. गोपीनाथन | म.गां.अं.हि.वि., वर्धा | 2008 | 1700/- |
48. | विश्वभाषा हिंदी की अस्मिता | प्रो. जी. गोपीनाथन | म.गां.अं.हि.वि., वर्धा | 2008 | 60/- |
49. | पुस्तक और मैं | प्रो. जी. गोपीनाथन | म.गां.अं.हि.वि., वर्धा | 2008 | 60/- |
50. | हिंदी विमर्श | डॉ. डी. एन. प्रसाद | म.गां.अं.हि.वि., वर्धा | 2008 | 110/- |
51. | स्त्री विमर्श: भारतीय परिपेक्ष्य | के.एम. मालती | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2010 | 300/- |
52. | वाल्ट व्हिटमन: घास की पत्तियां संचयन | चंद्रबली सिंह | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2011 | 350/- |
53. | केदार शेष अशेष | नरेन्द्र पुण्डरीक | अनामिका प्रकाशन, इलाहाबाद | 2011 | 500/- |
54. | एमिलि डिकिन्सन की कविताएं संचयन | चंद्रबली सिंह | वाणी प्रकाशन, दिल्ली | 2011 | 550/- |
55. | कर्नाटक के शरणों के वचन | टी.जी. प्रभाशंकर प्रेमी | स्वराज प्रकाशन, दिल्ली | 2011 | 350/- |
56. | प्रेमचंद की शेष रचनाएं | डॉ. प्रदीप जैन | राजकमल प्रकाशन, दिल्ली | 2012 | 450/- |
57. | बीसवीं शदी का इतिहास तथा अन्य कविताएं | वी.के. हरिहरन उण्णित्तान | साहित्य भंडार, इलाहाबाद | 2012 | 200/- |
58. | हिंदी देवनागरी लिपि और यूनिकोड | जगदीप सिंह दाँगी | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2012 | 20/- |
59. | भारतीय डास्पोरा: विविधि आयाम | .. | राजकमल प्रकाशन | 2013 | 350/- |
60. | वर्धा हिंदी शब्दकोश | राम प्रकाश सक्सेना | भारतीय ज्ञानपीठ | 2013 | 1000/- |
61 | हिंदी समाज विज्ञान विश्वकोश (छ: खंड) | अभय कुमार दुबे | राजकमल प्रकाशन | 2013 | 6000/- |
.62. | गांधी चिंतन | डॉ. नृपेन्द्र प्रसाद मोदी | नयी किताब, दिल्ली | 2014 | 250/- |
- छवि संग्रह
विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पोस्टर, सी.डी. एवं छवि संग्रह | |||||
1. | पोस्टर | कवि सुमित्रानंदन पंत पर पोस्टर | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | ..... | 15/- |
2. | कविता सती सीडी | 36 कवियों द्वारा कविता-पाठ का वीडियों सी.डी | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | ...... | 1500/- |
3. | निर्मल वर्मा छवि संग्रह | .. | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2003 | 175/- |
4. | कुँवर नारायण छवि संग्रह | .. | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2003 | 175/- |
5. | कृष्णा सोबती छवि संग्रह | .. | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2003 | 175/- |
6. | भीष्म साहनी छवि संग्रह | .. | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2003 | 175/- |
7. | विष्णु प्रभाकर छवि संग्रह | .. | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2003 | 175/- |
8. | नेमिचन्द्र जैन छवि संग्रह | .. | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2003 | 175/- |
9. | मनोहर श्याम जोशी छवि संग्रह | .. | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2003 | 175/- |
10 | नामवर सिंह छवि संग्रह | .. | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2003 | 175/- |
11. | केदारनाथ सिंह छवि संग्रह | .. | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2003 | 175/- |
12. | त्रिलोचन छवि संग्रह | .. | म.गा.अं.हि.वि., वर्धा | 2003 | 175/- |
स्थापना
संपादित करेंशान्ति, अहिंसा, सत्याग्रह, खादी, चरखा, स्वराज और जनता के हित के लिये आत्मबल का सन्देश देने वाले महात्मा गान्धी हिन्दी के भी उतने ही बड़े हिमायती थे। वे मानते थे कि आजादी की लड़ाई में हिन्दी का उपयोग एक निर्णायक हथियार के रूप में किया जा सकता है। उन्होंने दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा और राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा की स्थापना की थी। इन दोनों संस्थाओं ने अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इन्हीं में से एक राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के प्रयासों से 1975 में नागपुर में हुए पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन में स्वीकृत एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव के अनुरूप 1997 में भारत की संसद में पारित एक विशेष अधिनियम के तहत वर्धा में अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही भारतेन्दु की एक अधूरी आकांक्षा भी पूरी हुई। भारतेन्दु की संचित अभिलाषा थी - 'अपने उद्योग से मैं एक शुद्ध हिन्दी यूनिवर्सिटी स्थापित करना।' गान्धी जी द्वारा हिन्दी के संवर्धन के लिये किये गये कार्यों को देखते हुए उन्हीं के नाम पर भारत के बीचों-बीच स्थित वर्धा में पाँच टीलों पर यह अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय बना।
उद्देश्य
संपादित करें- हिन्दी भाषा और साहित्य का संवर्धन और विकास करना और उस प्रयोजन के लिए विद्या की सुसंगत शाखाओं में शिक्षण और अनुसंधान की सुविधाएँ प्रदान करना;
- हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में तुलनात्मक अध्ययन और अनुसंधान के सक्रिय अनुसरण के लिये व्यवस्था करना;
- देश और विदेश में सुसंगत सूचना के विकास और प्रसारण के लिये सुविधाएँ प्रदान करना;
- विदेशों में हिन्दी में अभिरुचि रखने वाले हिन्दी विद्वानों और समूहों तक पहुँचना और विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिये उन्हें सहबद्ध करना ;
- दूर शिक्षा पद्धति के माध्यम से हिन्दी को लोकप्रिय बनाना।
विश्वविद्यालय की परिकल्पना शिक्षा की एक वैकल्पिक संस्था के रूप में की गयी। यह सतत विचार प्रक्रिया का परिणाम है जिसमें अपने उद्देश्यों को पाने के लिय् शैक्षणिक तकनीकों में निरन्तर नवीनीकरण एवं मूल्यानुरूप नीतियों के लिये अनवरत प्रयास करना शामिल है। यह विश्वविद्यालय अपने ज्ञानात्मक आधारों में वैश्विक एवं अपनी संरचना में अन्तरराष्ट्रीय है। विश्वविद्यालय का यह प्रयास होगा कि -
- वह विभिन्न ज्ञानानुशासनों में अद्यतन मौलिक सृजन तथा विश्व की अन्य भाषाओं में विद्यमान ज्ञान सम्पदा का अनुवाद हिन्दी भाषा में कर सके,
- समस्त विश्व में फैले हुए भारतीय मूल के व्यक्तियों तथा विदेशी हिन्दी अध्येताओं / प्रेमियों के लिए एक सम्पर्क केन्द्र का कार्य कर सके,
- समस्त विश्व में हिन्दी भाषा से सम्बन्धित अध्ययन/शोध/अनुसंधान आदि का व्यापक डाटाबेस तैयार करे जिससे हिन्दी भाषा से सम्बन्धित जानकारी सरलता से व्यापक जन तक पहुँच सके,
- हिन्दी की बेहतरीन रचनाओं को विश्व की अन्य समृद्ध भाषाओं - फ्रेंच, स्पेनिश, चीनी, अरबी इत्यादि - में अनुवाद करे।
दृष्टिकोण
संपादित करेंराष्ट्रीय नेताओं एवं हिन्दी प्रेमियों की यह एक उत्कट आकांक्षा रही है कि हिन्दी भारतीयों की भावनाओं एवं विचारों की अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर अपना समुचित स्थान ग्रहण करे। दूसरी ओर उनकी यह सोच भी थी कि न केवल विदेशों में अपितु समूचे विश्व में फैले हुए भारतीय मूल के व्यक्तियों के बीच भाषायी आदान-प्रदान के समन्वय हेतु हिन्दी का एक अन्तर्राष्ट्रीय सचिवालय स्थापित किया जाए। इसके अतिरिक्त उनकी यह भी परिकल्पना थी कि अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी की सम्पूर्ण सम्भावनाओं के विकास और संवर्धन के लिये एक केन्द्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना की जाये।
ध्येय
संपादित करेंक्षेत्रीय भाषा, राष्ट्रभाषा और अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी का संवर्धन और विकास
कार्य लक्ष्य
संपादित करें- हिन्दी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाना
- अप्रतिम वैकल्पिक भाषा (जनसंचार/व्यवसाय, प्रबन्धन, विज्ञान व प्रौद्योगिकी तथा शिक्षा और प्रशासन में अपनी भूमिका के साथ)
- राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी संगठनों में सम्पर्क-सूत्र की भूमिका के निर्वाह के लिये नेटवर्क संयोजन
- भारतीय और अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी भाषाओं के साथ नेटवर्क संयोजन
- भारतीय संस्कृति की संवाहिका के रूप में हिन्दी
- हिन्दी द्वारे-द्वारे
- हिन्दी के एग्रेगेटर (संकलक) का निर्माण)
अधिनियम
संपादित करें- महात्मा गान्धी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय अधिनियम, 1996-1997 का क्रमांक 3
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की सूची". मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 जुलाई 2012.