चौपाल (सार्वजनिक स्थान)
चौपाल (چوپال) उत्तर भारत और पाकिस्तान में ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक भवन अथवा स्थान को कहा जाता है।[1] यह ग्रामीणों, विशेष रूप से पुरुष निवासियों के लिए सामुदायिक जीवन का केन्द्र होता है। छोटे गाँवों में यह नीम, बरगद अथवा पीपल के पेड़ की छाया में साधारण चबुतरे पर ही होती है। बड़े गाँवों में सामुदायिक अतिथि गृह (अथवा मेहमान ख़ाना) के रूप में विस्तृत सरंचना भी हो सकती है।[2][3]
चौपाल का निर्माण और रखरखाव सामुदायिक कोष से किया जाता है जो कई बार गाँव के समुदायों से चन्दे के रूप में इकट्ठा किया जाता है।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ एस॰के॰ चंढोक, Nature and structure of rural habitations [ग्रामीण बस्तियों की प्रकृति और संरचना] (अंग्रेज़ी में), कांसेप्ट पब्लिशिंग कंपनी, 1990, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7022-253-8
- ↑ अ आ मेरेडेठ तुरशेन, ब्रियावेल होलकब, Women's lives and public policy: the international experience [महिलाओं का जीवन और लोक-नीति: अंतरराष्ट्रीय अनुभव] (अंग्रेज़ी में), ग्रीनवुड प्रकाशन समूह, 1993, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-275-94523-7
- ↑ बी॰एस॰ सैनी, The social & economic history of the Punjab, 1901-1939, including Haryana & Himachal Pradesh [हरियाणा और हिमाचल प्रदेश सहित पंजाब का सामाजिक तथा आर्थिक इतिहास, १९०१–१९३९] (अंग्रेज़ी में), ईएसएस ईएसएस प्रकाशन, 1975