जगदीश चन्द्र जैन
डॉ जगदीश चन्द्र जैन (20 जनवरी 1909 – 28 जुलाई 1993) प्रसिद्ध विद्वान, भारतविद, शिक्षाशास्त्री, लेखक, तथा भारतीय स्वतन्त्रता के सेनानी थे। उन्होने ८० से अधिक पुस्तकों की रचना की जो विविध विषयों की हैं, जैसे जैन दर्शन, प्राकृत साहित्य, बच्चों के लिए हिन्दी की पाठ्यपुस्तकें आदि। उनकी रची पुस्तकें आज भी पूरे भारत के विद्यालयों में पढायी जातीं हैं।
प्रो. डॉ. जगदीश चन्द्र जैन | |
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Jagdish Chandra Jain in Kiel, Germany in 1974 | |
जन्म |
20 जनवरी 1909 Basera, in Western Uttar Pradesh |
मौत |
28 जुलाई 1994 Mumbai, India | (उम्र 85 वर्ष)
मौत की वजह | Cardiac arrest |
राष्ट्रीयता | Indian |
शिक्षा | Gurukula, Banaras Hindu University and Shantiniketan under Rabindranath Tagore |
प्रसिद्धि का कारण | Writer, professor, thinker, and freedom fighter during the Indian independence movement |
धर्म | Moral, ethical values and universal laws |
डॉ जैन गाँधी हत्या के मुकदमे में प्रमुख गवाह थे। कहा जाता है कि उन्होने सरकार को गांधी हत्या के षडयन्त्र के प्रति पहले ही सावधान कर दिया था।
जीवन परिचय
संपादित करेंडॉ जगदीश चन्द्र जैन का जन्म सन १९०९ में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के पास बसेड़ा नामक ग्राम में हुआ था।
कृतियाँ
संपादित करें- जैन साहित्य का वृहद इतिहास,
- भारतीय दर्शन : एक नई दृष्टि, विद्याभवन राष्ट्रभाषा ग्रंथमाला,
- दो हजार वर्ष की पुरानी कहानियाँ,
- History and Development of Prakrit Literature,
- Life in ancient India as depicted in the Jain canons and commentaries, 6th century BC to 17th century AD,
- Studies in early Jainism: selected research articles,
- The murder of Mahatma Gandhi, prelude and aftermath,
- Prakrit Narrative Literature: Origin And Growth,
- Amidst the Chinese people,
- The gift of love and other ancient Indian tales about women
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करें- दो हजार वर्ष पुरानी कहानियाँ (गूगल पुस्तल ; लेखक जगदीश चन्द्र जैन)