जगन्नाथ शंकरशेठ मुरकुटे


जगन्नाथ शंकरशेठ मुरकुटे (10 फरवरी 1803 – 31 जुलाई 1865) भारत के एक परोपकारी एवं शिक्षाविद थे। उन्हें 'नाना शंकरशेठ' भी कहते हैं। उन्हे ‘मुंबई का आद्य शिल्पकार’ भी माना जाता है।

जगन्नाथ शंकरशेठ मुरकुटे

जगन्नाथ शंकरशेठ मुरकुटे (सन 1863 में)
जन्म 10 फ़रवरी 1803
Murbad, British India
मृत्यु 31 जुलाई 1865
Bombay, Bombay Presidency, British India
राष्ट्रीयता भारत
भारत सरकार ने शंकरशेठ की स्मृति में १९९१ में डाकटिकट जारी किया

यद्यपि उनका जन्म स्वर्णकार परिवार में हुआ था किन्तु उन्होने अपना पारम्परिक व्यवसाय का कार्य छोड़कर मुंबई में पारसी और अफगानी व्यापारियों के साथ व्यवसाय कर मुंबई में व्यवसाय को बढ़ाने के साथ ही मुंबई के विकास और शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अनेक शालाओं की स्थापना कराई। इसके लिए उन्होंने स्कूल सोसाइटी और नैटिव स्कूल ऑफ़ बम्बई की स्थापना की थी। उन्होंने लड़कियों के लिए भी विद्यालय खोले थे। सन 1856 में उनके द्वारा स्थापित बम्बई विश्वविद्यालय के सबसे पुराने कॉलेजों में एक एलिफिंस्टन एडुकेशनल इंस्टीटूशन का एलिफिंस्टन कॉलेज एक है जिसमें अपने-अपने जीवनकाल में प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री, समाजसेवी और नेता बालशास्त्री जंभेकर, दादा भाई नौरोजी, महादेव गोविन्द रानाडे, रामकृष्ण गोपाल भांडारकर, गोपालकृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक जैसे महान व्यक्तियों शिक्षा पायी।

उन्होंने दक्षिण मुम्बई के गिरगांव में खोले गए स्टूडेंट लाइब्रेरी के लिए काफी धन दिए। हिन्दू समाज के भारी विरोध की बावजूद लड़कियों के इस स्कूल की स्थापना में भी ढेर सारा धन लगाया। उन्होंने अपने स्कूलों में अंग्रेजी के साथ ही संस्कृत पढ़ाने की भी व्यवस्था की थी। साथ ही गिरगांव में ही उन्होंने संस्कृत सेमिनरी और संस्कृत लाइब्रेरी की भी स्थापना की थी।

26 अगस्त 1852 को उन्होंने 'बॉम्बे एसोसएशन' के नाम से राजनीतिक दल की भी स्थापना की थी जिसमें तत्कालीन मुंबई की अनेक प्रसिद्ध व्यक्ति थे। इसके पहले अध्यक्ष सर जमशेदजी जेजीभाई बने थे। बाद में दादाभी नौरोजी और अन्य युवा भी इससे जुड़े।

गिरगांव में नाना चौक के पास के भवानी-शंकर मंदिर और राम मंदिर भी जगन्नाथ सेठ की ही देन है। पुराने मुंबई के अनेक क्षेत्रों में जगन्नाथ सेठ की कृतियां आज भी मुंबई के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान की साक्षी हैं। तत्कालीन ब्रिटिश राज को उन्होंने मुंबई के अनेक विकास कार्यों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की थी।

मार्च २०२० में महाराष्ट्र सरकार ने 'मुम्बई सेन्ट्रल' का नाम बदलकर 'नाना शंकर सेठ टर्मिनस' करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।[1]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "मुंबई सेंट्रल का नाम बदलकर होगा नाना शंकरसेठ टर्मिनस, महाराष्ट्र विधानसभा में प्रस्ताव पारित". मूल से 15 मार्च 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मार्च 2020.