जब जब फूल खिले
1965 की सूरज प्रकाश की फ़िल्म
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2018) स्रोत खोजें: "जब जब फूल खिले" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
जब जब फ़ूल खिले 1965 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
जब जब फ़ूल खिले | |
---|---|
फ़िल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | सूरज प्रकाश |
लेखक | बृज कात्याल |
अभिनेता |
शशि कपूर नन्दा |
संगीतकार | कल्याणजी आनंदजी |
प्रदर्शन तिथि |
1965 |
लम्बाई |
मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
मुख्य कलाकार
संपादित करेंसंगीत
संपादित करेंसभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत कल्याणजी-आनंदजी द्वारा रचित।
गीतों की सूची | |||
---|---|---|---|
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
1. | "अफ्फू खुदाया" | मोहम्मद रफ़ी | 3:24 |
2. | "एक था गुल और एक थी बुलबुल" | मोहम्मद रफ़ी, नन्दा | 7:31 |
3. | "कभी पहले देखा नहीं ये" | मोहम्मद रफ़ी | |
4. | "मैं जो चली हिंदुस्तान से" | लता मंगेशकर | |
5. | "ना ना करते प्यार तुम्ही से" | सुमन कल्याणपुर, मोहम्मद रफ़ी | 3:16 |
6. | "परदेसियों से ना अँखियाँ मिलाना" | लता मंगेशकर | 3:15 |
7. | "परदेसियों से न अँखियाँ मिलाना" (खुश) | मोहम्मद रफ़ी | 3:18 |
8. | "परदेसियों से न अँखियाँ मिलाना" (उदास) | मोहम्मद रफ़ी | 3:13 |
9. | "यहाँ मैं अजनबी हूँ" | मोहम्मद रफ़ी | 4:59 |
10. | "ये समां समां है प्यार का" | लता मंगेशकर | 3:18 |