जमात-ए-इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी जमात-ए-इस्लामी हिंद की स्थापना साल 1948 में अप्रैल में हुई थी। 240 सदस्यों ने इस पार्टी की एक मीटिंग में भाग लिया और मौलाना अबुलैस नदवी को अपना नेता चुना। लखनऊ के मलीहाबाद में इस पार्टी का हेडक्वॉर्टर बनाया गया। 1949 में इसे रामपुर शिफ्ट किया गया और 1960 में नई दिल्ली को जमात-ए-इस्लामी हिंद का हेडक्वॉर्टर बना दिया गया। जमात-ए-इस्लामी एक इस्लामिक राजनीतिक पार्टी है, जिसकी स्थापना 1941 में इस्लामी विचारक मौलाना अबुल आला मौदूदी ने खुदा की सल्तनत स्थापित करने के मकसद से की थी। उन्होंने इस्लाम को धार्मिक मार्ग से परे एक राजनीतिक विचारधारा प्रदान करने वाले रास्ते के रूप में देखा था।(उर्दू: جَماعَتَ-ے-اِسْلامِی ; देवनागरीकरण : जमात-ए-इस्लामी (उर्दू: جَماعَتَ-ے-اِسْلامِی ; देवनागरीकरण : जमाअ़त-ए-इस्लामी ) इस्लामी पन्थशास्त्री एवं सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक सैयद अबुल अला मौदुदी द्वारा 1941 में भारत में स्थापित एक इस्लामी आन्दोलन है।इस्लामी पन्थशास्त्री एवं सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक सैयद अबुल अला मौदुदी द्वारा 1941 में भारत में स्थापित एक इस्लामी आन्दोलन है।जमाअ़त-ए-इस्लामी ) जमात-ए-इस्लामी हिन्द की विचारधारा इस्लाम है। इसकी संरचना ईश्वर की एकता और सम्प्रभुता (एकेश्वरवाद), पैगम्बर-हुड की अवधारणा और ...इस्लामी पन्थशास्त्री एवं सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक सैयद अबुल अला मौदुदी[2] द्वारा 1941 में भारत में स्थापित एक इस्लामी आन्दोलन है। 1928 में स्थापित मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ, जमात-ए-इस्लामी मूल और सबसे प्रभावशाली इस्लामी सङ्गठनों में से एक था[1],जमात-ए-इस्लामी हिंद की स्थापना साल 1948 में अप्रैल में हुई थी। 240 सदस्यों ने इस पार्टी की एक मीटिंग में भाग लिया और मौलाना अबुलैस नदवी को अपना नेता चुना। लखनऊ के मलीहाबाद में इस पार्टी का हेडक्वॉर्टर बनाया गया। 1949 में इसे रामपुर शिफ्ट किया गया और 1960 में नई दिल्ली को जमात-ए-इस्लामी हिंद का हेडक्वॉर्टर बना दिया गया
جَماعَتَ-ے-اِسْلامِی जमाअ़त-ए-इस्लामी | |
अरबी लिखावट में जमात-ए-इस्लामी | |
उत्तराधिकारी | |
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Founded | 1941 |
संस्थापक | मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी |
स्थापना हुई | औरङ्गाबाद, Hyderabad, भारत |
प्रकार | इस्लामी सङ्गठन |
उद्देश्य |
Pan-Islamism इस्लामी रूढ़िवाद Islamic revivalism इस्लामी समाजवाद नव-सूफीवाद शिया-सुन्नी सम्बन्ध साम्यवाद विरोधी |
संबद्धता | मुस्लिम ब्रदरहुड[1] |
जमात-ए-इस्लामी एक इस्लामिक राजनीतिक पार्टी है, जमात-ए-इस्लामी देश की सबसे बड़ी इस्लामी राजनीतिक पार्टी है। 1971 में होने वाली स्वतंत्रता युद्ध में इस दल ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। बाद में यह बांग्लादेश के इस्लामिकरन के प्रयास में जुटकर एक सक्रिय दल के रूप में उभरी। भारत की राजनीति संविधान के ढाँचे में काम करती हैं।जिसकी स्थापना 1941 में इस्लामी विचारक मौलाना अबुल आला मौदूदी ने खुदा की सल्तनत स्थापित करने के मकसद से की थी। उन्होंने इस्लाम को धार्मिक मार्ग से परे एक राजनीतिक विचारधारा प्रदान करने वाले रास्ते के रूप में देखा था। और "इस्लाम की आधुनिक क्रान्तिकारी अवधारणा पर आधारित एक विचारधारा" विकसित करने वाला अपनी तरह का पहला सङ्गठन था।[3] जमात-ए-इस्लामी (उर्दू: جماعتِ اسلامی) (लिट। 'सोसाइटी ऑफ इस्लाम') एक इस्लामवादी आंदोलन है जिसकी स्थापना 1941 में ब्रिटिश भारत में इस्लामवादी लेखक, सिद्धांतकार और सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक, सैयद अबुल अला मौदुदी द्वारा की गई थी। इसका विकास दारुल उलूम देवबंद की छत्रछाया में हुआ। जमात-ए-इस्लामी की स्थापना 1941 में ब्रिटिश भारत के लाहौर में मुस्लिम धर्मशास्त्री और सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक, अबुल अला मौदुदी द्वारा की गई थी, जो मुगल सम्राट औरंगजेब के शरिया आधारित शासनकाल से व्यापक रूप से प्रभावित थे।
1947 में भारत के विभाजन के पश्चात यह समूह भारत और पाकिस्तान में अलग-अलग स्वतन्त्र संगठनों में विभाजित हो गया - जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी हिन्द। जमात-ए-इस्लामी से सम्बन्धित या प्रेरित अन्य समूह बांग्लादेश में विकसित हुए, कश्मीर, ब्रिटेन और अफगानिस्तान (नीचे देखें)। जमात-ए-इस्लामी दल अन्य मुस्लिम समूहों के साथ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सम्बन्ध बनाये रखता है।[4]अगस्त 2013 को, बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण रद्द कर दिया और फैसला सुनाया कि पार्टी राष्ट्रीय चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य है। इसके पूर्ववर्ती, जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता और पाकिस्तान के टूटने का कड़ा विरोध किया।जमात-ए-इस्लामी (उर्दू: جماعتِ اسلامی) (लिट। 'सोसाइटी ऑफ इस्लाम') एक इस्लामवादी आंदोलन है जिसकी स्थापना 1941 में ब्रिटिश भारत में इस्लामवादी लेखक, सिद्धांतकार और सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक, सैयद अबुल अला मौदुदी द्वारा की गई थी। इसका विकास दारुल उलूम देवबंद की छत्रछाया में हुआ। जमात-ए-इस्लामी एक इस्लामिक राजनीतिक पार्टी है, जिसकी स्थापना 1941 में इस्लामी विचारक मौलाना अबुल आला मौदूदी ने खुदा की सल्तनत स्थापित करने के मकसद से की थी। उन्होंने इस्लाम को धार्मिक मार्ग से परे एक राजनीतिक विचारधारा प्रदान करने वाले रास्ते के रूप में देखा था 1 अगस्त 2013 को, बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण रद्द कर दिया और फैसला सुनाया कि पार्टी राष्ट्रीय चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य है। इसके पूर्ववर्ती, जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता और पाकिस्तान के टूटने का कड़ा विरोध किया। जमात-ए-इस्लामी हिन्द भारत में एक इस्लामी संगठन है। जिसकी स्थापना जमात-ए-इस्लामी की एक शाखा के रूप में की गयी थी।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ Roy, Olivier (1994). The Failure of Political Islam. Harvard University Press. पपृ॰ 35.
- ↑ https://books.google.com/books?id=pAm_YptXTPMC&pg=PA153&dq=jamaat+e+islami
- ↑ "Jamaat-e-Islami Pakistan Islamic Assembly Jamaat-e-Islami-e-Pakistan (JIP)". Globalsecurity.org. अभिगमन तिथि 9 November 2014.
- ↑ Haqqani, Pakistan: Between Mosque and Military, 2010: p.171