डॉ जयदेव विद्यालंकार () आर्यसमाजी, संस्कृत के विद्वान, आयुर्वेदाचार्य एवं अनेक ग्रन्थों के रचयिता हैं। उन्होंने विशेषकर आयुर्वेद के ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद किया है। जुलाई १९७९ से लेकर नवम्बर १९८६ तक वे महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक के संस्कृत, पालि और प्राकृत विभाग के विभागाध्यक्ष थे। [1]

कृतियाँ संपादित करें

  • चरक संहिता (मोतीलाल बनारसीदास द्वारा प्रकाशित)
  • अथर्ववेदभाष्य
  • रसेन्द्रचूडामणिः (संशोधन एवं टिप्पण)

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें