जयदेव वीं शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ थे। उन्होने चक्रवाल विधि को और अधिक उन्नत बनाया।[1] चक्रवाल विधि के बारे में हर्मन हंकेल (Hermann Hankel) का कथन है कि यह विधि संख्या सिद्धान्त के क्षेत्र में अट्ठारहवीं शती में लाग्रेंज के पहले खोजी गयी 'सबसे सुन्दर' चीज है। जयदेव ने सांयोजिकी (combinatorics) के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किया है।

जयदेव की कृतियाँ अप्राप्य हैं किन्तु उदयदिवाकर ने 'सुन्दरी' नामक अपनी रचना में इनके २० श्लोक उद्धृत किये हैं।

जयदेव ने चक्रवाल विधि का उपयोग करते हुए निम्नलिखित समीकरण का सबसे पहले सम्पूर्ण हल प्रस्तुत किया।

उनका हल यह था-

ध्यातव्य है कि यह समस्या अपनी कठिनाई के लिये कुख्यात है और यूरोप में विलियम ब्राउन्कर 1657–58 में जाकर इसका हल निकाल पाये थे।

  1. Goonatilake, Susantha (1998). Toward a Global Science: Mining Civilizational Knowledge. Indiana: Indiana University Press. pp. 127,128. ISBN 0-253-33388-1.

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें