जलसा-ए-नमाज़
इस्लाम में नमाज़ में बैठ कर जो उपासना में पढ़ा और किया जाता है उसे नमाज़ का जलसा कहते हैं। शाब्दिक
यह सुझाव दिया जाता है कि इस लेख का नमाज़ में विलय कर दिया जाए। (वार्ता) मई 2020 से प्रस्तावित |
जलसा (इंग्लिश: Sitting_in_salah) इस्लाम में नमाज़[1] में बैठ कर जो उपासना में पढ़ा और किया जाता है उसे नमाज़ का जलसा कहते हैं। शाब्दिक अर्थ है बैठक। इसे क़ायदा नमाज़ भी कहते हैं। विवरण: नमाज़ में एक से अधिक बार बैठना होता है इस लिए जलसा को बहुवचन में जलूस (जुुुलूूूस) या क़ायदा ए नमाज़[2] पहला और दूसरा भी कहते हैं।
जलसा मेंं क्या करते और पढ़ते हैं?
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संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Sheikh, Irfan. "Aurton Ki Namaz Ka Tarika In Hindi मुकम्मल Sunni Tareeqa". Irfani-Islam - इस्लाम की पूरी मालूमात हिन्दी. अभिगमन तिथि 2022-01-05.
- ↑ "Namaz Ka Sahi Tarika / नमाज़ का सही तरीका". https://irfani-islam.in. मूल से 5 अगस्त 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2022.
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