जादोपटिया चित्रकला

भारत में संथाल और भूमिज जनजाति द्वारा बनाई गई चित्रकारी

जादोपटिया चित्रकला, भारत में संताल और भूमिज जनजाति की एक परंपरिक लोक चित्रकला शैली है, जो इस समाज के इतिहास और दर्शन को पूर्णतः अभिव्यक्त करने की क्षमता रखती है।[1] यह चित्रकला पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, बीरभूम, बाँकुड़ा, हुगली, बर्धमान और मिदनापुर जिलों और झारखण्ड के संथाल परगना में लोकप्रिय है।[2] इस चित्रकला के कलाकार को ‘जादोपटुवा’ या ‘पटुवा’ कहा जाता है।

जादुपटुआ चित्रकला

यह कला संथाल और भूमिज जनजाति के मिथकों, सांस्कृतिक व्यवहार, परंपरा और पर्व-त्योहार पर आधारित है। यह चित्रकला कभी समृद्ध अवस्था में थी, किन्तु 1990 तक आते-आते यह लगभग लुप्त हो गयी थी।[3][4] डाॅ. आर. के. नीरद ने इस चित्रकला को बचाने का अभियान 1990 में चलाया और इसे पहचान दिलायी। कला इतिहासकार, मिल्ड्रेड आर्चर ने जाटुपटिया चित्रकला के अलग-अलग शैलियों की पहचान की है, जिनमें चक्षुदान पाट शैली, मृत्यु शैली, बाहा पोरोब, सृजन की कहानी, ठाकुर जिउ, सत्य पीर और जात्रा शैली शामिल हैं।

  1. Ray, Sudhansu Kumar (1961). The Ritual Art of the Bratas of Bengal (in अंग्रेज़ी). Firma K.L. Mukhopadhyay.
  2. Sabithasays: (2022-10-28). "Jadupatua Paintings: Jharkhand's Tribal Community's Vibrant Expression of Folklore and Traditions – The Cultural Heritage of India" (in ब्रिटिश अंग्रेज़ी). Archived from the original on 4 नवंबर 2023. Retrieved 2023-11-04. {{cite web}}: Check date values in: |archive-date= (help)CS1 maint: extra punctuation (link)
  3. "Jadupatua Scroll Painting of the Santhal Tribes of West Bengal – Asia InCH – Encyclopedia of Intangible Cultural Heritage" (in अमेरिकी अंग्रेज़ी). Retrieved 2023-04-28.
  4. Chatterjee, Ramananda (1983). The Modern Review (in अंग्रेज़ी). Prabasi Press Private, Limited.