वस्तु एवं सेवा कर (भारत)
वस्तु एवं सेवा कर (संक्षेप मे: व॰से॰क॰ या जीएसटी अंग्रेज़ी: GST, अंग्रेज़ी: Goods and Services Tax) भारत में १ जुलाई २०१७ से लागू एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जिसे सरकार व कई अर्थशास्त्रियों द्वारा इसे स्वतंत्रता के पश्चात् सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया है।[1] [2] इसके लागू होने से केन्द्र सरकार एवम् विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही अप्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू हो गयी है।[3] इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिए भारतीय संविधान में संशोधन किया गया था।[4]
वस्तु एवं सेवा कर, वस्तु एवं सेवा कर परिषद द्वारा संचालित है। भारत के वित्त मंत्री इसके अध्यक्ष होते हैं। जीएसटी के तहत, वस्तुओं और सेवाओं को निम्न दरों पर लगाया जाता है, 0%, 5%, 12%, 18% और,28% (5 TYPES) । मोटे कीमती और अर्ध कीमती पत्थरों पर 0.25% की एक विशेष दर तथा सोने पर 3% की दर है।
कर की प्रकृति
संपादित करेंजीएसटी एक मूल्य वर्धित कर है जो कि विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है। प्रत्येक चरण पर भुगतान किये गये इनपुट करों का लाभ मूल्य संवर्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होगा जो प्रत्येक चरण में मूल्य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्यक रूप से एक कर बना देता है। अंतिम उपभोक्ताओं को इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा। इससे पिछले चरणों के सभी मुनाफे समाप्त हो जायेंगे।[5][6][7]
चुंगी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), राज्य स्तर के सेल्स टैक्स या वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फी, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री पर लगने वाले टैक्स, सामान के ट्रांसपोटेर्शन पर लगने वाले टैक्स इत्यादि अनेकों करों के स्थान पर अब यह एक ही कर लागू किया जा रहा है।[8]
GST पंजीकरण प्रक्रिया
संपादित करेंआप सरकारी पोर्टल के माध्यम से जीएसटी के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं,[9] या आप जीएसटी सेवा केंद्र में पंजीकरण कर सकते हैं।[10]
संभावित लाभ
संपादित करेंवित्त मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार इस व्यवस्था से निम्न लाभ संभावित हैं[5][11][12]:
व्यापार और उद्योग के लिए
संपादित करें- आसान अनुपालन, पारदर्शिता: एक मजबूत और व्यापक सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली भारत में जीएसटी व्यवस्था की नींव होगी इसलिए पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान आदि जैसी सभी कर भुगतान सेवाएं करदाताओं को ऑनलाइन उपलब्ध होंगी, जिससे इसका अनुपालन बहुत सरल और पारदर्शी हो जायेगा।
- कर दरों और संरचनाओं की एकरूपता: जीएसटी यह सुनिश्चित करेगा कि अप्रत्यक्ष कर दरें और ढांचे पूरे देश में एकसमान हैं। इससे निश्चिंतता में तो बढ़ोतरी होगी ही व्यापार करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे शब्दों में जीएसटी देश में व्यापार के कामकाज को कर तटस्थ बना देगा फिर चाहे व्यापार करने की जगह का चुनाव कहीं भी जाये।
- करों पर कराधान (कैसकेडिंग) की समाप्ति- मूल्य श्रृंखला और समस्त राज्यों की सीमाओं से बाहर टैक्स क्रेडिट की सुचारू प्रणाली से यह सुनिश्चित होगा कि करों पर कम से कम कराधान हों। इससे व्यापार करने में आने वाली छुपी हुई लागत कम होगी।
- प्रतिस्पर्धा में सुधार – व्यापार करने में लेन-देन लागत घटने से व्यापार और उद्योग के लिए प्रतिस्पर्धा में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।
- विनिर्माताओं और निर्यातकों को लाभ – जीएसटी में केन्द्र और राज्यों के करों के शामिल होने और इनपुट वस्तुएं और सेवाएं पूर्ण और व्यापक रूप से समाहित होने और केन्द्रीय बिक्री कर चरणबद्ध रूप से बाहर हो जाने से स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं और सेवाओं की लागत कम हो जाएगी। इससे भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में होने वाली प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। पूरे देश में कर दरों और प्रक्रियाओं की एकरूपता से अनुपालन लागत घटाने में लंबा रास्ता तय करना होगा।
केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए
संपादित करें- सरल और आसान प्रशासन - केन्द्र और राज्य स्तर पर बहुआयामी अप्रत्यक्ष करों को जीएसटी लागू करके हटाया जा रहा है। मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली पर आधारित जीएसटी केन्द्र और राज्यों द्वारा अभी तक लगाए गए सभी अन्य प्रत्यक्ष करों की तुलना में प्रशासनिक नजरिए से बहुत सरल और आसान होगा।
- कदाचार पर बेहतर नियंत्रण – मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे के कारण जीएसटी से बेहतर कर अनुपालन परिणाम प्राप्त होंगे। मूल्य संवर्धन की श्रृंखला में एक चरण से दूसरे चरण में इनपुट कर क्रेडिट कर सुगम हस्तांतरण जीएसटी के स्वरूप में एक अंत:निर्मित तंत्र है, जिससे व्यापारियों को कर अनुपालन में प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- अधिक राजस्व निपुणता – जीएसटी से सरकार के कर राजस्व की वसूली लागत में कमी आने की उम्मीद है। इसलिए इससे उच्च राजस्व निपुणता को बढ़ावा मिलेगा।
उपभोक्ताओं के लिए
संपादित करें- वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के अनुपाती एकल एवं पारदर्शी कर – केन्द्र और राज्यों द्वारा लगाए गए बहुल अप्रत्यक्ष करों या मूल्य संवर्धन के प्रगामी चरणों में उपलब्ध गैर-इनपुट कर क्रेडिट के कारण आज देश में अनेक छिपे करों से अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की लागत पर प्रभाव पड़ता है। जीएसटी के अधीन विनिर्माता से लेकर उपभोक्ताओं तक केवल एक ही कर लगेगा, जिससे अंतिम उपभोक्ता पर लगने वाले करों में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
- समग्र कर भार में राहत – निपुणता बढ़ने और कदाचार पर रोक लगने के कारण अधिकांश उपभोक्ता वस्तुओं पर समग्र कर भार कम होगा, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा।
समिति
संपादित करेंइसका सुझाव विजय केलकर समिति (2002) ने दिया था। यह कर वस्तु एवं सेवा कर परिषद् द्वारा निर्धारित किया जा रहा है जिसके अध्यक्ष केन्द्रीय वित्त (निर्मला सीतारमण) मंत्री हैं। असीम दास गुप्ता समिति ने स्वरूप दिया राज्य सभा मे असम में सबसे पहले स्वीकारकर कानून बना दिया।
दरें
संपादित करेंजीएसटी काउंसिल ने पाँच तरह के कर निर्धारित किये हैं, ये 0,5, 12, 18 एवं 28 प्रतिशत | हालांकि बहुत सी चीजों को जीएसटी से छूट दी गई है उन वस्तुओं पर कोई भी कर नहीं लगेगा या जीएसटी नहीं लगेगा जबकि लग्जरी एवं महंगे सामान पर जीएसटी के अलावा सेस भी लगेगा। सरकार के अनुसार इसमें से 81 प्रतिशत चीजें जीएसटी की 18 प्रतिशत की श्रेणी तक आएंगी |
आदर्श स्थिति में इस व्यवस्था में समस्त कर एक ही दर पर लगाए जाने चाहिएँ, किन्तु भारत में राज्य व केन्द्र तथा एक ही वस्तु या सेवा पर भिन्न-भिन्न राज्यों में भिन्न दरें आदि होने से प्रारम्भ में ४ दरें निर्धारित की गईं ताकि वर्तमान राजस्व में अधिक अंतर न पड़े। ये चार दरें 5%, 12%, 18% तथा 28% हैं।[12] आवश्यक वस्तुओं जैसे कि दूध, लस्सी, दही, शहद, फल एवं सब्जियां, आटा, बेसन, ताजा मीट, मछली, चिकन, अंडा, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टांप, न्यायिक दस्तावेज, छपी पुस्तकें, समाचार पत्र, चूड़ियाँ और हैंडलूम आदि वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगेगा। [13]40लाख से कम की वार्षिक बिक्री वाले व्यापारियों को इस कर व्यवस्था से छूट दी गई है। [13]
प्राप्तियाँ
संपादित करेंमास | कर-प्राप्ति | परिवर्तन |
---|---|---|
मई | ₹ 940.16 बिलियन (US$13.73 अरब) | |
अप्रैल | ₹ 1,034.58 बिलियन (US$15.1 अरब)[14] | |
मार्च | ₹ 892.64 बिलियन (US$13.03 अरब)[15] | |
February | ₹ 851.74 बिलियन (US$12.44 अरब)[16] | |
January | ₹ 863.18 बिलियन (US$12.6 अरब)[17] | |
December | ₹ 867.06 बिलियन (US$12.66 अरब)[18] | |
November | ₹ 808.08 बिलियन (US$11.8 अरब)[18] | |
October | ₹ 833.46 बिलियन (US$12.17 अरब)[18] | |
सितम्बर | ₹ 951.31 बिलियन (US$13.89 अरब)[18] | |
अगस्त | ₹ 931.41 बिलियन (US$13.6 अरब)[18] | |
जुलाई | ₹ 940.00 बिलियन (US$13.72 अरब)[19] |
वापसी
संपादित करेंलगभग ३८ लाख नए करदाता जीएसटी में पञ्जीकृत हुए हैं। इस प्रकार कुल करदाताओं की संख्या १ करोड़ पार कर गयी है (६४ लाख करदाता पहले से पंजीकृत थे)[20]
मास | वापसी की संख्या | परिवर्तन |
---|---|---|
December | 63 lakh[20] | |
November | 64 lakh[20] | |
October | 65 lakh[20] | |
September | 69 lakh[20] | |
August | 67 lakh[20] | |
July | 63 lakh[20] |
इन्हें भी देखें
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सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 30 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जून 2017.
- ↑ http://hindi.moneycontrol.com/news/market-news/gst-beginning-of-new-tax-regime_162197.html Archived 2017-07-04 at the वेबैक मशीन मनीकंट्रोल.कॉम
- ↑ "GST से क्या होगा सस्ता और क्या महंगा". मूल से 27 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 अक्तूबर 2017.
- ↑ "जीएसटी बिल की 7 अहम बातें". मूल से 9 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 अक्तूबर 2017.
- ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 18 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मई 2017.
- ↑ नवभारत टाइम्स. "जीएसटी लागू होने के बाद भी ई-कॉमर्स साइट्स पर मिल रहा 80% तक डिस्काउंट". मूल से 10 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जुलाई 2017.
- ↑ एनडीटीवी. "जीएसटी लागू : बचे माल पर नई कीमत नहीं छापी तो जेल की हवा खानी पड़ सकती है : रिपोर्ट". मूल से 7 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जुलाई 2017.
- ↑ "जीएसटी : टाटा मोटर्स ने 2,17,000 रुपये तक घटाए वाहनों के दाम". मूल से 6 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जुलाई 2017.
- ↑ "Online GST Registration process". etaxadvisor.com. मूल से 17 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जून 2020.
- ↑ "How to Register for GST Online". bajajfinserv.in. मूल से 25 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जून 2020.
- ↑ "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 22 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जून 2017.
- ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2019.
- ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 30 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 जून 2017.
- ↑ "In a first, GST collection for April tops Rs 1 lakh crore", Financial Express, 1 May 2018, मूल से 26 जून 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018
- ↑ "Upswing in GST revenue trends: Rs 892.64 bn collected in March, says Adhia", Business Standard, 2 April 2018[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "GST collection falls to Rs 85,174 crore in February; only 69% file returns", द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, 27 March 2018, मूल से 22 जुलाई 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018
- ↑ "GST collection for January comes in at Rs 86,318 crore", द इकॉनोमिक टाइम्स, 27 February 2018, मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018
- ↑ अ आ इ ई उ "GST revenue for December rises to Rs 86,703 crore; halts 2-month reverse trend", Business Today, 11 February 2018, मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018
- ↑ "GST collections dip for second month in Nov to Rs 80,808 crore", द इकॉनोमिक टाइम्स, 27 December 2017, मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए "Why many registered taxpayers are not filing GST returns", Business Today, 27 February 2018, मूल से 1 जुलाई 2018 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 जुलाई 2018