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(जनवरी 2017) |
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जीवितप्पाता मलयालम भाषा के विख्यात साहित्यकार सी. गोविन्द पिशारिटि चेरुकाट द्वारा रचित एक आत्मकथा है जिसके लिये उन्हें सन् 1976 में मलयालम भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]