जूट की खेती उपयोग की दृष्टि से कपास के बाद जूट सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक रेशों में से एक है। दुनियाँ की लगभग 85% जूट की खेती जलवायु, मौसम और मिट्टी पर निर्भर करती है। जूट की खेती मुख्यतः गंगा डेल्टा के मैदानी इलाकों में की जाती है। भौगोलिक दृष्टि से देखें तो यह भारत के पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के उपजाऊ भूमि पर की जाती है। भारत के अलावा ये नेपाल, भूटान, म्यांमार, चीन और पाकिस्तान में भी जूट की खेती की जाती है‌।

बांग्लादेश में जूट का खेत

इतिहास संपादित करें

पुरातन शास्त्रों में, प्लिनी ने सिद्ध किया है कि प्राचीन मिस्र में जूट के पौधों का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता था।[1] सत्रहवीं शताब्दी में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान जूट का उपयोग सेना में किया जाता था। ब्रिटिश जूट व्यापारी, जूट प्रसंस्करण और जूट से निर्मित उत्पाद बेचते थे। इसके बाद बैरन्स और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल में कई जूट मिलें स्थापित कीं। इसका उपयोग मछली पकड़ने का चारा बनाने, सूती वस्त्र, और हथियार उद्योग में किया जाता था।[2]

जुताई संपादित करें

जूट की कृषि के लिए, किसान खेती वाली मिट्टी पर बीज बिखेरते हैं। जब पौधे लगभग 15-20 सेमी लंबे हो जाते हैं, तो उन्हें पतला कर दिया जाता है। रोपण के लगभग चार महीने बाद कटाई शुरू हो जाती है। जूट उगाने के लिए उपयुक्त जलवायु गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उत्कृष्ट माना जाता है, इसके लिए 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान और 70%-90% की सापेक्ष आर्द्रता अनुकूल है। जूट को सालाना 160-200 सेमी वर्षा की आवश्यकता होती है और बुआई के दौरान इसकी अतिरिक्त आवश्यकता होती है। 4.8 और 5.8 के बीच इंच लम्बी नदी बेसिन, जलोढ़ या दोमट मिट्टी जूट की खेती के लिए सर्वोत्तम हैं।

जूट उत्पादन संपादित करें

गंगा के डेल्टा क्षेत्रों में 80% का जूट उत्पादन का उत्पादन होता है इसके अलावा (ब्रह्मपुत्र जलोढ़) क्षेत्र के अन्तर्गत बांग्लादेश के ढाका, मैमनसिंह, तंगैल और कोमिला जिलों का हिस्सा आते हैं।[3]इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष बाढ़ के पानी द्वारा लायी जाने वाली मलवे के जमाव से अम्लीय मिट्टी प्राप्त होता है। इसकी बनावट रेत और दोमट मिट्टी से भिन्न होती है। व्यावसायिक गुणवत्ता की दृष्टि से इस क्षेत्र में उत्तम किस्म की जूट उत्पन्न होती है।

संदर्भ संपादित करें

  1. पियरोनी, एंड्रिया (2005). प्रिंस, गिलियन; नेस्बिट, मार्क (संपा॰). पौधों का सांस्कृतिक इतिहास. रूटलेज. पृ॰ 31. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0415927463.
  2. "बीबीसी टू—ब्रायन कॉक्स की जूट यात्रा". बीबीसी. 2010-02-24. अभिगमन तिथि 2016-09-20.
  3. Roul, Chhabilendra (2009). अंतर्राष्ट्रीय जूट उद्योग प्रणाली. Northern Book Centre. पृ॰ 104. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7211-274-5.