सिपाही जेम्स जोसेफ डेली (24 दिसंबर 1899 - 2 नवंबर 1920), भारत में 1920 में ब्रिटिश सेना के कनॉट रेंजर्स द्वारा, आयरलैंड में ब्रिटिश सेना की ज्यादतियों के विरोध में किए गए विद्रोह में शामिल एक सक्रिय सदस्य थे। विद्रोह के बाद उन्हें ब्रिटिश शाही बलों द्वारा गोली मारकर, मार डाला गया था।

जेम्स डेली

जेम्स डेली-सिपाही
जन्म 24 दिसम्बर 1899
बल्लीमो, काउंटी गॉलवे, आयरलैंड
देहांत 2 नवम्बर 1920(1920-11-02) (उम्र 20 वर्ष)
दगशाई, हिमाचल प्रदेश, भारत
सेवा/शाखा ब्रिटिश सेना
उपाधि सिपाही (प्राइवेट; भाड़े का सैनिक)
दस्ता कनॉट रेंजर्स

जीवन और कैरियर

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जेम्स डेली का जन्म 24 दिसंबर 1899 को काउंटी गॉलवे के बल्लीमो में एक नानबाई के घर हुआ था।[1] उनका परिवार बाद में काउंटी वेस्टमीथ के टायरेल्सपास में रहने लगा। अप्रैल 1919 में डेली कनॉट रेंजर्स में शामिल हो गये और उन्हें भारत में तैनात किया गया।

विद्रोह की शुरुवात 27-28 जून 1920 को वेलिंगटन बैरकों, जलंधर (अब जालंधर), पंजाब से शुरु हुई, जिसमें डेली के भाई विलियम डेली शामिल थे। इसके बाद यह 200 मील दूर अन्य कनॉट रेंजर्स की कंपनियों तक फैल गया, जतोग (जहां यह विफल रहा) और सोलन जहां किलरुश, काउंटी क्लेयर के प्रथम विश्वयुद्ध के एक दिग्गज जोसेफ हावेस और जेम्स डेली के नेतृत्व में लगभग 150 आयरिश सैनिकों ने आयरलैंड में ब्रिटिश सेना की ज्यादतियों के विरोध में हथियार छोड़कर ड्यूटी पर लौटने से इनकार कर दिया।[2][3]

उन्होंने अपनी झोपड़ी को "लिबर्टी हॉल" का नाम दिया, झोपड़ी के ऊपर आयरिश तिरंगा फहराया और फिर शस्त्रागार पर हमला किया, लेकिन उनका प्रयास विफल रहा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। विद्रोह समाप्त हो गया और कैदियों को लखनऊ जेल ले जाया गया, जहाँ से वे अपने मूल देश लौट गए। 19 विद्रोहियों को मौत की सज़ा सुनाई गई, 59 को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई और 10 को बरी कर दिया गया। बाद में दोषियों की अपील पर इन सभी सज़ाओं को बदल दिया गया (डेली की सज़ा को छोड़कर) लेकिन दोषी ठहराए गए लोगों से उनकी पेंशन छीन ली गई और 1923 में रिहा होने तक वो सैन्य जेल में रहे। आयरिश सरकार द्वारा, कनॉट रेंजर्स (पेंशन) बी-5086 अधिनियम 1936 पारित होने तक इनमें से कुछ घोर वित्तीय संकट में थे।[2][4]

दो आयरिश विद्रोही, सिपाही पैट्रिक स्मिथ और पीटर सियर्स, विद्रोह के दौरान मारे गए थे। विद्रोही सिपाही जॉन मिरांडा, जो कि एक अंग्रेज था और लिवरपूल का मूल निवासी था, की मृत्यु दगशाई सैन्य जेल में आंत्र ज्वर से हो गई।

हावेस और विलियम कोमन जैसे अन्य प्रमुख विद्रोहियों के विपरीत जिनकी विद्रोह में भूमिका कम से कम शुरुवात में, डेली से कहीं बड़ी थी, उनकी सज़ा भी बदल दी गयी पर डेली को कोर्ट मार्शल के पश्चात गोली मारकर मारने की सज़ा दी गयी, जिसे 2 नवंबर 1920 को अंजाम दिया गया। डेली ब्रिटिश सशस्त्र बलों के वह अंतिम सदस्य थे जिन्हें विद्रोह के लिए गोली मारकर मारा गया था।[4][5]

1970 में, विद्रोह की 50वीं वर्षगांठ पर उनके पार्थिव शरीर को वापस आयरलैंड भेज दिया गया था। डेली के स्मरणोत्सव में जोसफ हावेस मौजूद थे।[6]

  1. "General Registrar's Office" (PDF). IrishGenealogy.ie. अभिगमन तिथि 30 June 2020.
  2. Ronan McGreevy (2014-01-17). "Connaught Rangers mutiny: a far-away conflict brought home in new archive". Irishtimes.com. अभिगमन तिथि 2018-08-10.
  3. "History Ireland". History Ireland. अभिगमन तिथि 2019-02-08.
  4. Fergal Keane (1999-01-09). "We must pardon Private Daly, the last man shot for mutiny". The Independent. अभिगमन तिथि 2019-02-08.
  5. "Connaught Rangers". National Army Museum. अभिगमन तिथि 16 July 2016.
  6. Bartlett, Thomas (Spring 1998). "The Connaught Rangers Mutiny India, July 1920". History Ireland. 6 (1). अभिगमन तिथि 9 August 2018.