हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश (अंग्रेज़ी: Himachal Pradesh) उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित एक राज्य है। यह 21,629 मील² (56019 किमी²)[3] से अधिक क्षेत्र में फ़ैला हुआ है तथा उत्तर में जम्मू और कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में पंजाब (भारत), दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखण्ड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा हुआ है। हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ "बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत" है।[7] हिमाचल प्रदेश को "देव भूमि" भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में आर्यों का प्रभाव ऋग्वेद से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के हाथ में आ गया। सन 1857 तक यह महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य (पंजाब हिल्स के सीबा राज्य को छोड़कर) का हिस्सा था।[8] सन 1956 में इसे केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन 1971 में इसे, हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971 के अन्तर्गत इसे 25 जनवरी 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बनाया गया।
हिमाचल प्रदेश
Himachal Pradesh | ||
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राज्य | ||
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नाम व्युत्पत्ति: हिमाचल का स्थान | ||
उपनाम: देवभूमि, वीरभूमि | ||
ध्येय: सत्यमेव जयते | ||
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निर्देशांक: 31°6′12″N 77°10′20″E / 31.10333°N 77.17222°E | ||
देश | ![]() | |
क्षेत्र | उत्तर भारत | |
गठन | 25 जनवरी 1971 | |
राजधानी और सबसे बड़ा शहर | शिमला | |
ज़िले | 12 | |
शासन | ||
• सभा | हिमाचल प्रदेश सरकार | |
• राज्यपाल | शिव प्रताप शुक्ल[1] | |
• मुख्यमंत्री | सुखविंदर सिंह सुक्खू | |
• उपमुख्यमंत्री | मुकेश अग्निहोत्री | |
• विधानमण्डल | एकसदनीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा[2] (68 सीटें) | |
• उच्च न्यायालय | हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय | |
क्षेत्रफल[3] | ||
• राज्य | 55673 किमी2 (21,495 वर्गमील) | |
क्षेत्र पद | 18वाँ | |
आकार | ||
• लम्बाई | 300 किमी (200 मील) | |
• चौड़ाई | 200 किमी (100 मील) | |
ऊँचाई[4] | 350 मी (1,150 फीट) | |
अधिकतम उच्चता (रो पुर्ग्यिल) | 6,813 मी (22,352 फीट) | |
निम्नतम उच्चता | 232 मी (761 फीट) | |
जनसंख्या (2011)[5] | ||
• राज्य | ![]() | |
• पद | 21वीं | |
• महानगर | 10.03% | |
• देहात | 89.97% | |
वासीनाम | हिमाचली | |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+05:30) | |
ISO 3166 कोड | IN-HP | |
वाहन पंजीकरण | HP | |
HDI (2021) | ![]() | |
साक्षरता (2011) | ![]() | |
लिंगानुपात (2011) | 972 /1000 | |
वेबसाइट | himachal |
हिमाचल प्रदेश प्रतिव्यक्ति आय के अनुसार भारत के राज्यों में पन्द्रहवें स्थान पर है।[9] बारहमासी नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को पनबिजली बेचता है जिनमे प्रमुख हैं दिल्ली, पंजाब (भारत) और राजस्थान। राज्य की अर्थव्यवस्था तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करती है जो हैं, पनबिजली, पर्यटन और कृषि।[10] हिंदु राज्य की जनसंख्या का 95% हैं और प्रमुख समुदायों में राजपूत, ब्राह्मण, घिर्थ (चौधरी), गद्दी, कन्नेत, राठी और कोली शामिल हैं। ट्रान्सपरेन्सी इंटरनैशनल के 2005 के सर्वेक्षण के अनुसार, हिमाचल प्रदेश देश में केरल के बाद दूसरी सबसे कम भ्रष्ट राज्य है।
इतिहास
संपादित करेंहिमाचल प्रदेश का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि मानव अस्तित्व का अपना इतिहास है। इस बात की सत्यता के प्रमाण हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में हुई खुदाई में प्राप्त सामग्रियों से मिलते हैं। प्राचीनकाल में इस प्रदेश के आदि निवासी दास, दस्यु और निषाद के नाम से जाने जाते थे। उन्नीसवीं शताब्दी में रणजीत सिंह ने इस क्षेत्र के अनेक भागों को अपने राज्य में मिला लिया। जब अंग्रेज यहां आए, तो उन्होंने गोरखा लोगों को पराजित करके कुछ राजाओं की रियासतों को अपने साम्राज्य में मिला लिया।
- शिमला हिल स्टेट्स की स्थापना
1945 ई. तक प्रदेश में प्रजा मंडलों का गठन हो चुका था। 1946 ई. में सभी प्रजा मंडलों को एचएचएसआरसी में शामिल कर लिया तथा मुख्यालय मंडी में स्थापित किया गया। मंडी के स्वामी पूर्णानंद को अध्यक्ष, पदमदेव को सचिव तथा शिव नंद रमौल (सिरमौर) को संयुक्त सचिव नियुक्त किया। एचएचएसआरसी के नाहन में 1946 ई. में चुनाव हुए, जिसमें यशवंत सिंह परमार को अध्यक्ष चुना गया। जनवरी, 1947 ई. में राजा दुर्गा चंद (बघाट) की अध्यक्षता में शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन की स्थापना की गई। जनवरी, 1948 ई. में इसका सम्मेलन सोलन में हुआ। हिमाचल प्रदेश के निर्माण की घोषणा इस सम्मेलन में की गई। दूसरी तरफ प्रजा मंडल के नेताओं का शिमला में सम्मेलन हुआ, जिसमें यशवंत सिंह परमार ने इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल प्रदेश का निर्माण तभी संभव है, जब शक्ति प्रदेश की जनता तथा राज्य के हाथ सौंप दी जाए। शिवानंद रमौल की अध्यक्षता में हिमालयन प्लांट गर्वनमेंट की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय शिमला में था। दो मार्च, 1948 ई. को शिमला हिल स्टेट के राजाओं का सम्मेलन दिल्ली में हुआ। राजाओं की अगवाई मंडी के राजा जोगेंद्र सेन कर रहे थे। इन राजाओं ने हिमाचल प्रदेश में शामिल होने के लिए 8 मार्च 1948 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। 15 अप्रैल 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश राज्य का निर्माण किया था। उस समय प्रदेश भर को चार जिलों में बांटा गया और पंजाब हिल स्टेट्स को पटियाला और पूर्व पंजाब राज्य का नाम दिया गया। 1948 ई. में सोलन की नालागढ़ रियासत कों शामिल किया गया। अप्रैल 1948 में इस क्षेत्र की 27,000 वर्ग कि॰मी॰ में फैली लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इस राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
- 1950 ई. में प्रदेश का पुनर्गठन
1950 ई. में प्रदेश के पुनर्गठन के अंतर्गत प्रदेश की सीमाओं का पुनर्गठन किया गया। कोटखाई को उपतहसील का दर्जा देकर खनेटी, दरकोटी, कुमारसैन उपतहसील के कुछ क्षेत्र तथा बलसन के कुछ क्षेत्र तथा बलसन के कुछ क्षेत्र कोटखाई में शामिल किए गए। कोटगढ़ को कुमारसैन उपतहसील में मिला गया। उत्तर प्रदेश के दो गांव संसोग और भटाड़ जुब्बल तहसील में शामिल कर दिए गए। पंजाब के नालागढ़ से सात गांव लेकर सोलन तहसील में शामिल किए गए। इसके बदले में शिमला के नजदीक कुसुम्पटी, भराड़ी, संजौली, वाक्ना, भारी, काटो, रामपुर। इसके साथ ही पेप्सी (पंजाब) के छबरोट क्षेत्र कुसुम्पटी तहसील में शामिल कर दिया गया।
- बिलासपुर जिला का विलय
बिलासपुर रियासत को 1948 ई. में प्रदेश से अलग रखा गया था। उन दिनों इस क्षेत्र में भाखड़ा-बांध परियोजना का कार्य चलाने के कारण इसे प्रदेश में अलग रखा गया। एक जुलाई, 1954 ई. को कहलूर रियासत को प्रदेश में शामिल करके इसे बिलासपुर का नाम दिया गया। उस समय बिलासपुर तथा घुमारवीं नामक दो तहसीलें बनाई गईं। यह प्रदेश का पांचवां जिला बना। 1954 में जब ‘ग’ श्रेणी की रियासत बिलासपुर को इसमें मिलाया गया, तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 28,241 वर्ग कि.मी.हो गया।
- किन्नौर जिला की स्थापना
एक मई, 1960 को छठे जिला के रूप में किन्नौर का निर्माण किया गया। इस जिला में महासू जिला की चीनी तहसील तथा रामपुर तहसील को 14 गांव शामिल गए गए। इसकी तीन तहसीलें कल्पा, निचार और पूह बनाई गईं।
- पंजाब का पुनर्गठन
वर्ष 1966 में पंजाब का पुनर्गठन किया गया तथा पंजाब व हरियाणा दो राज्य बना दिए गए। भाषा तथा तिहाड़ी क्षेत्र के पंजाब से लेकर हिमाचल प्रदेश में शामिल कर दिए गए। संजौली, भराड़ी, कुसुमपटी आदि क्षेत्र जो पहले पंजाब में थे तथा नालागढ़ आदि जो पंजाब में थे, उन्हें पुनः हिमाचल प्रदेश में शामिल कर दिया गया। सन 1966 में इसमें पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों को मिलाकर इसका पुनर्गठन किया गया तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 55,673 वर्ग कि॰मी॰ हो गया।
- 1972 ई. में पुनर्गठन
हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा 25 जनवरी 1971 को प्रदान किया गया और यह देश का 18वां राज्य बना। 1972 मे हिमाचल प्रदेश का पुनर्गठन किया गया जिसमे काँगड़ा को विभाजित करके हमीरपुर और उना जिले का निर्माण किया गया। साथ ही महासु जिले का विलय करके शिमला जिला व सोलन जिला बनाया गया।
भूगोल
संपादित करेंहिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणी का हिस्सा है। शिवालिक पर्वत श्रेणी से ही घग्गर नदी निकलती है। राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में सतलुज और व्यास शामिल है। हिमाचल हिमालय का सुदूर उत्तरी भाग लद्दाख के ठंडे मरुस्थल का विस्ता है और लाहौल एवं स्पिति जिले के स्पिति उपमंडल में है। हिमालय की तीनों मुख्य पर्वत श्रंखलाएँ, बृहत हिमालय, लघु हिमालय; जिन्हें हिमाचल में धौलाधार और उत्तरांचल में नागतीभा कहा जाता है और उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली शिवालिक श्रेणी, इस हिमालय खंड में स्थित हैं। लघु हिमालय में 1000 से 2000 मीटर ऊँचाई वाले पर्वत ब्रिटिश प्रशासन के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र रहे हैं।
नदियां
संपादित करेंहिमाचल प्रदेश में पांच प्रमुख नदियां बहती हैं। हिमाचल प्रदेश में बहने वाले पांचों नदियां एवं छोटे-छोटे नाले बारह मासी हैं। इनके स्रोत बर्फ से ढकी पहाडि़यों में स्थित हैं। हिमाचल प्रदेश में बहने वाली पांच नदियों में से चार का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। उस समय ये अन्य नामों से जानी जाती थीं जैसे अरिकरी (चिनाब) पुरूष्णी (रावी), अरिजिकिया (ब्यास) तथा शतदुई (सतलुज) पांचवी नदी (कालिंदी) जो यमुनोत्तरी से निकलती है उसका सूर्य देव से पौराणिक संबंध दर्शाया जाता है।
रावी नदीः रावी नदी का प्राचीन नाम ‘इरावती और परोष्णी’ है। रावी नदी मध्य हिमालय की धौलाधार शृंखला की शाखा बड़ा भंगाल से निकलती है। रावी नदी ‘भादल’ और ‘तांतागिरि’ दो खड्डों से मिलकर बनती है। ये खड्डें बर्फ पिघलने से बनती है। यह नदी चंबा से खेड़ी के पास पंजाब (भारत) में प्रवेश करती है और पंजाब से पाकिस्तान में प्रवेश करती है। यह भरमौर और चंबा शहर में बहती है। यह बहुत ही उग्र नदी है। इसकी सहायक नदियां तृण दैहण, बलजैडी, स्यूल, साहो, चिडाचंद, छतराड़ी और बैरा हैं। इसकी लंबाई 720 किलोमीटर है, परंतु हिमाचल में इसकी लंबाई 158 किलोमीटर है। सिकंदर महान के साथ आए यूनानी इतिहासकार ने इसे ‘हाइड्रास्टर और रहोआदिस’ का नाम दिया था।
ब्यास नदीः ब्यास नदी का पुराना नाम ‘अर्जिकिया’ या ‘विपाशा’ था। यह कुल्लू में व्यास कुंड से निकलती है। व्यास कुंड पीर पंजाल पर्वत शृंखला में स्थित रोहतांग दर्रे में है। यह कुल्लू, मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा में बहती है। कांगड़ा से मुरथल के पास पंजाब में चली जाती है। मनाली, कुल्लू, बजौरा, औट, पंडोह, मंडी, कांढापतन ( मिनी हरिद्धार ), सुजानपुर टीहरा, नादौन और देहरा गोपीपुर इसके प्रमुख तटीय स्थान हैं। इसकी कुल लंबाई 460 कि॰मी॰ है। हिमाचल में इसकी लंबाई 260 कि॰मी॰ है। कुल्लू में पतलीकूहल, पार्वती, पिन, मलाणा-नाला, फोजल, सर्वरी और सैज इसकी सहायक नदियां हैं। कांगड़ा में सहायक नदियां बिनवा न्यूगल, गज और चक्की हैं। प्रदेश की जीवनदायिनी नदियों में से एक है।
चिनाव नदीः चिनाव नदी जम्मू-कश्मीर से होती हुई पंजाब राज्य में बहने वाली नदी है। पानी के घनत्व की दृष्टि से यह प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है। यह नदी समुद्र तल से लगभग 4900 मीटर की ऊँचाई पर बारालाचा दर्रे (लाहौल स्पीति) के पास से निकलने वाली चन्द्रा और भागा नदियों के तांदी नामक स्थान पर मिलने से बनती है। इस नदी को वैदिक साहित्य में ‘अश्विनी’ नाम से संबोधित किया गया है। ऊपरी हिमालय पर टांडी में ‘चन्द्र’ और ‘भागा’ नदियां मिलती हैं, जो चिनाव नदी कहलाती है। महाभारत काल में इस नदी का नाम ‘चंद्रभागा’ भी प्रचलित हो गया था। ग्रीक लेखकों ने चिनाव नदी को ‘अकेसिनीज’ लिखा है, जो अश्विनी का ही स्पष्ट रूपांतरण है। चंद्रभागा नदी मानसरोवर (तिब्ब्त) के निकट चंद्रभागा नामक पर्वत से निस्तृत होती है और सिंधु नदी में गिर जाती है। चिनाव नदी की ऊपरी धारा को चद्रभागा कहकर, पुःन शेष नदी का प्राचीन नाम अश्विनी कहा गया है। इस नदी को हिमाचल से अदभुत माना गया है। इस नदी का तटवर्ती प्रदेश पूर्व गुप्त काल में म्लेच्छों तथा यवन शव आदि द्वारा शासित था।
जलवायु
संपादित करेंहिमाचल में तीन ऋतुएं होती हैं - ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु और वर्षा ऋतु। हिमाचल प्रदेश की समुद्रतल से ऊँचाई की विविधता के कारण जलवायु में भी भिन्नता है। कहीं सारा वर्ष बर्फ गिरती है, तो कहीं गर्मी होती हे। हिमाचल में गर्म पानी के चशमें भी हैं और हिमनद भी है। ऐसा समुद्रतल से ऊँचाई की भिन्नता की वजह से है।
कृषि
संपादित करेंकृषि हिमाचल प्रदेश का प्रमुख व्यवसाय है। यह राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह 69 प्रतिशत कामकाजी आबादी को सीधा रोजगार मुहैया कराती है। कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र से होने वाली आय प्रदेश के कुल घरेलू उत्पाद का 22.1 प्रतिशत है। कुल भौगोलिक क्षेत्र 55.673 लाख हेक्टेयर में से 9.79 लाख हेक्टेयर भूमि के स्वामी 9.14 लाख किसान हैं। मंझोले और छोटे किसानो के पास कुल भूमि का 86.4 प्रतिशत भाग है। राज्य में कृषि भूमि केवल 10.4 प्रतिशत है। लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा-सिंचित है और किसान बारिश पर निर्भर रहते हैं।
बागवानी
संपादित करेंप्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को व्यापक कृषि जलवायु परिस्थितियां प्रदान की हैं जिसकी वजह से किसानों को विविध फल उगाने में सहायता मिली है। बागवानी के अंतर्गत आने वाले प्रमुख फल हैं-सेब, नाशपाती, आडू, बेर, खूमानी, गुठली वाले फल, नींबू प्रजाति के फल, आम, लीची, अमरूद और झरबेरी आदि। 1950 में केवल 792 हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी के अंतर्गत था, जो बढ़कर 2.23 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसी तरह,1950 में फल उत्पादन 1200 मीट्रिक टन था, जो 2007 में बढ़कर 6.95 लाख टन हो गया है।
वानिकी
संपादित करेंराज्य का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किलोमीटर है। वन रिकार्ड के अनुसार कुल वन क्षेत्र 37,033 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 16,376 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ऐसा है जहां पहाड़ी चरागाह वाली वनस्पतियां नहीं उगाई जा सकतीं क्योंकि यह स्थायी रूप से बर्फ से ढका रहता है।
राज्य में 5 राष्ट्रीय पार्क और 32 वन्यजीवन अभयारण्य हैं। वन्यजीवन अभयारण्य के अंतर्गत कुल क्षेत्र 5,562 कि.मी., राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत 1,440 कि॰मी॰ है। इस तरह कुल संरक्षित क्षेत्र 7,002 कि॰मी॰ है।
सड़कें
संपादित करेंहिमाचल प्रदेश राज्य में यहां की सड़कें ही यहां की जीवन रेखा हैं और ये संचार के प्रमुख साधन हैं। इसके 55,673 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से 36,700 किलोमीटर में बसाहट है, जिसमें से 16,807 गांव अनेक पर्वतीय श्रृखलाओं और घाटियों के ढलानों पर फैले हुए हैं। जब यह राज्य 1948 में अस्तित्व में आया, तो यहां केवल 288 कि॰मी॰ लंबी सड़कें थीं जो 15 अगस्त 2007 तक बढ़कर 30,264 हो गई हैं।
सिंचाई और जलापूर्ति
संपादित करेंसाल 2007 तक हिमाचल प्रदेश में कुल बुवाई क्षेत्र 5.83 लाख हेक्टेयर था। गांवों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराई गई और अब तक राज्य में 14,611 हैंडपंप लगाए जा चुके हैं। हिमाचल प्रदेश में भूजल की उलब्धता 36,615.92 हैक्टेयर मीटर (है।मी.) है।[11]
पर्यटन
संपादित करेंपर्यटन उद्योग को हिमाचल प्रदेश में उच्च प्राथमिकता दी गई है और हिमाचल सरकार ने इसके विकास के लिए समुचित ढांचा विकसित किया है जिसमें जनोपयोगी सेवाएं, सड़कें, संचार तंत्र हवाई अड्डे यातायात सेवाएं, जलापूर्ति और जन स्वास्थ्य सेवाएं शामिल है। राज्य पर्यटन विकास निगम राज्य की आय में 10 प्रतिशत का योगदान करता है। राज्य में तीर्थो और नृवैज्ञानिक महत्व के स्थलों का समृद्ध भंडार है। राज्य को व्यास, पाराशर, वसिष्ठ, मार्कण्डेय और लोमश आदि ऋषियों के निवास स्थल होने का गौरव प्राप्त है। गर्म पानी के स्रोत, ऐतिहासिक दुर्ग, प्राकृतिक और मानव निर्मित झीलें, उन्मुक्त विचरते चरवाहे पर्यटकों के लिए असीम सुख और आनंद का स्रोत हैं।
पर्यटन आकर्षण
संपादित करेंचंबा घाटी
चंबा घाटी (915 मीटर) की ऊँचाई पर रावी नदी के दाएं किनारे पर है। पुराने समय में राजशाही का राज्य होने के नाते यह लगभग एक शताब्दी पुराना राज्य है और 6वीं शताब्दी से इसका इतिहास मिलता है। यह अपनी भव्य वास्तुकला और अनेक रोमांचक यात्राओं के लिए एक आधार के तौर पर विख्यात है।
डलहौज़ी
पश्चिमी हिमाचल प्रदेश में डलहौज़ी नामक यह पर्वतीय स्थान पुरानी दुनिया की चीजों से भरा पड़ा है और यहां राजशाही युग की भाव्यता बिखरी पड़ी है। यह लगभग 14 वर्ग किलो मीटर फैला है और यहां काठ लोग, पात्रे, तेहरा, बकरोटा और बलूम नामक 5 पहाडियां है। इसे 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश गवर्नर जनरल, लॉड डलहौज़ी के नाम पर बनाया गया था। इस कस्बे की ऊँचाई लगभग 525 मीटर से 2378 मीटर तक है और इसके आस पास विविध प्रकार की वनस्पति-पाइन, देवदार, ओक और फूलों से भरे हुए रोडो डेंड्रॉन पाए जाते हैं डलहौज़ी में मनमोहक उप निवेश युगीन वास्तुकला है जिसमें कुछ सुंदर गिरजाघर शामिल है। यह मैदानों के मनोरम दृश्यों को प्रस्तुत करने के साथ एक लंबी रजत रेखा के समान दिखाई देने वाले रावी नदी के साथ एक अद्भुत दृश्य प्रदर्शित करता है जो घूम कर डलहौज़ी के नीचे जाती है। बर्फ से ढका हुआ धोलाधार पर्वत भी इस कस्बे से साफ दिखाई देता है।
धर्मशाला
धर्मशाला की ऊँचाई 1,250 मीटर (4,400 फीट) और 2,000 मीटर (6,460 फीट) के बीच है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां पाइन के ऊंचे पेड़, चाय के बागान और इमारती लकड़ी पैदा करने वाले बड़े वृक्ष ऊंचाई, शांति तथा पवित्रता के साथ यहां खड़े दिखाई देते हैं। वर्ष 1960 से, जब से दलाई लामा ने अपना अस्थायी मुख्यालय यहां बनाया, धर्मशाला की अंतरराष्ट्रीय ख्याति भारत के छोटे ल्हासा के रूप में बढ़ गई है।
कुफरी
अनंत दूरी तक चलता आकाश, बर्फ से ढकी चोटियां, गहरी घाटियां और मीठे पानी के झरने, कुफरी में यह सब है। यह पर्वतीय स्थान शिमला के पास समुद्री तल से 2510 मीटर की ऊँचाई पर हिमाचल प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है। कुफरी में ठण्ड के मौसम में अनेक खेलों का आयोजन किया जाता है जैसे स्काइंग और टोबोगेनिंग के साथ चढ़ाडयों पर चढ़ना। ठण्ड के मौसम में हर वर्ष खेल कार्निवाल आयोजित किए जाते हैं और यह उन पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है जो केवल इन्हें देखने के लिए यहां आते हैं। यह स्थान ट्रेकिंग और पहाड़ी पर चढ़ने के लिए भी जाना जाता है जो रोमांचकारी खेल प्रेमियों का आदर्श स्थान है।
मनाली
कुल्लू से उत्तर दिशा में केवल 40 किलो मीटर की दूरी पर लेह की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर घाटी के सिरे के पास मनाली स्थित है। लाहुल, स्पीति, बारा भंगल (कांगड़ा) और जनस्कर पर्वत शृंखला पर चढ़ाई करने वालों के लिए यह एक मनपसंद स्थान है। मंदिरों से अनोखी चीजों तक, यहां से मनोरम दृश्य और रोमांचकारी गतिविधियां मनाली को हर मौसम और सभी प्रकार के यात्रियों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं।
कुल्लू
कुल्लू घाटी को पहले कुलंथपीठ कहा जाता था। कुलंथपीठ का शाब्दिक अर्थ है रहने योग्य दुनिया का अंत। कुल्लू घाटी भारत में देवताओं की घाटी रही है। यहां के मंदिर, सेब के बागान और दशहरा हजारों पर्यटकों को कुल्लू की ओर आकर्षित करते हैं। यहां के स्थानीय हस्तशिल्प कुल्लू की सबसे बड़ी विशेषता है।
शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी और ब्रिटिश कालीन समय में ग्रीष्म कालीन राजधानी शिमला राज्य का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन केन्द्र है। यहां का नाम देवी श्यामला के नाम पर रखा गया है जो काली का अवतार है। शिमला लगभग 7267 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और यह अर्ध चक्र आकार में बसा हुआ है। यहां घाटी का सुंदर दृश्य दिखाई देता है और महान हिमालय पर्वती की चोटियां चारों ओर दिखाई देती है। शिमला एक पहाड़ी पर फैला हुआ है जो करीब 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। इसके पड़ोस में घने जंगल और टेढ़े-मेढे़ रास्ते हैं, जहां पर हर मोड़ पर मनोहारी दृश्य देखने को मिलते हैं। यह एक आधुनिक व्यावसायिक केंद्र भी है। शिमला विश्व का एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यहां प्रत्येक वर्ष देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग भ्रमण के लिए आते हैं। बर्फ से ढकी हुई यहां की पहाडि़यों में बड़े सुंदर दृश्य देखने को मिलते हैं जो पर्यटकों को बार-बार आने के लिए आकर्षित करते हैं। शिमला संग्रहालय हिमाचल प्रदेश की कला एवं संस्कृति का एक अनुपम नमूना है, जिसमें यहां की विभिन्न कलाकृतियां विशेषकर वास्तुकला, पहाड़ी कलम, सूक्ष्म कला, लकडि़यों पर की गई नक्काशियां, आभूषण एवं अन्य कृतियां संग्रहित हैं। शिमला में दर्शनीय स्थलों के अतिरिक्त कई अध्ययन केंद्र भी हैं, जिनमें लार्ड डफरिन द्वारा 1884-88 में निर्मित भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां कुछ ऐतिहासिक सरकारी भवन भी हैं, जैसे वार्नेस कोर्ट, गार्टन कैसल व वाइसरीगल लॉज ये भी बड़े ही दर्शनीय स्थल हैं। चैडविक झरना भी एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। इसके साथ ही ग्लेन नामक स्थल भी है। इसके समीप बहता हुआ झरना और सदाबहार जंगल बहुत ही आकर्षक हैं।
राजनीति
संपादित करेंवर्ष 1971 में हिमाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिलने के बाद यहां कांग्रेस और भाजपा की बारी-बारी से सरकारें बनती रही है।
- विधान सभा
हिमाचल प्रदेश विधान सभा शिमला में स्थित है। वर्तमान हिमाचल प्रदेश विधानसभा एकसदनीय है।
- विधानसभा चुनाव 2017
नवम्बर 2022 में हिमाचल प्रदेश की हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए हुआ चुनाव था। कॉंग्रेस ने इस चुनाव में जीत हासिल की। 68 सीटो में से 40 सीट जीत कर कॉंग्रेस ने सरकार बनाई।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 परिणाम | |
राजनीतिक दल (संक्षिप्त नाम) | सदस्यों की संख्या |
---|---|
कॉंग्रेस | 40 |
भाजपा | |
अन्य | 3 |
कुल | 68 |
- सरकार
नवम्बर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने राज्य का विधानसभा चुनाव प्रो० प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में लड़ा। 18 दिसम्बर 2017 को घोषित नतीजों में धूमल की हार के बाद केन्द्रीय नेतृत्व ने हिमाचल की बागडोर मण्डी ज़िला के सराज विधानसभा क्षेत्र से पांच बार रहे विधायक जयराम ठाकुर को सौंपी। हिमाचल के इतिहास में यह पहली बार है जब मण्डी ज़िले से कोई मुख्यमंत्री बना है।
- मुख्यमंत्री
जयराम ठाकुर (जन्म 06 जनवरी 1965) हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। दिसंबर 27, 2017 को उन्होने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
- लोकसभा
लोकसभा में हिमाचल प्रदेश के 4 निर्वाचन क्षेत्र हैं। कांगड़ा, मंडी, शिमला और हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश से चार सदस्य चुने जाते हैं। प्रदेश विधानसभा में 68 विधानसभा चुनाव क्षेत्र हैं। लोकसभा के चार चुनाव क्षेत्रों के अंतर्गत प्रत्येक चुनाव क्षेत्र में 17-17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। लाहुल-स्पीति, किन्नौर तथा भरमौर जनजातीय क्षेत्र हैं और ठंडे व दुर्गम क्षेत्र हैं। इस कारण इन क्षेत्रों में चुनाव प्रायः गर्मियों में करवाए जाते हैं।
परिवहन
संपादित करेंसड़क मार्ग इस राज्य की यातायात का मुख्य माध्यम है। परंतु मानसून और ठंड के मौसम में भू-स्खलन और अन्य वजहों से यह काफी बाधित होता है।
हिमाचल प्रदेश के जिले
संपादित करेंहिमाचल प्रदेश के जिले | ||
काँगड़ा जिला | हमीरपुर जिला | |
मंडी जिला | बिलासपुर जिला | |
उना जिला | चंबा जिला | |
लाहौल और स्पीती जिला | सिरमौर जिला | |
किन्नौर जिला | कुल्लू जिला | |
सोलन जिला | शिमला जिला |
जनांकिक
संपादित करेंभारत की 2011 जनगणना के अनुसार हिमाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या 68,64,602 है। इनमें पुरुषों की जनसंख्या 34,81,873 तथा महिलाओं की जनसंख्या 33,82,729 है। 2011 की जनगणना आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश का लिंग अनुपात 972/1000 और साक्षरता दर 82.8% है।
क्र.सं | जिला | क्षेत्रफल किमी² में | जनसंख्या | मुख्यालय |
---|---|---|---|---|
1 | बिलासपुर | 1,167 | 382,056 | बिलासपुर |
2 | चंबा | 6,528 | 518,844 | चंबा |
3 | हमीरपुर | 1,118 | 454, 293 | हमीरपुर |
4 | काँगड़ा | 5,739 | 1,507,223 | धर्मशाला |
5 | किन्नौर | 6,401 | 84,298 | रिकाँग पिओ |
6 | कुल्लू | 5,503 | 437,474 | कुल्लू |
7 | लाहौल और स्पीती | 13,835 | 31,528 | केलोन्ग |
8 | मंडी | 3,950 | 999,518 | मंडी |
9 | शिमला | 5,131 | 813,384 | शिमला |
10 | सिरमौर | 2,825 | 530,164 | नाहन |
11 | सोलन | 1,936 | 576,670 | सोलन |
12 | उना | 1,540 | 521,057 | उना |
संस्कृति
संपादित करेंराज्य की प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, काँगड़ी, पहाड़ी, पंजाबी और मंडियाली शामिल हैं। हिन्दू, बौद्ध और सिख यहाँ के प्रमुख धर्म हैं। पश्चिम में धर्मशाला, दलाई लामा की शरण स्थली है।
पहाड़ी चित्रकला
संपादित करेंहिमाचल प्रदेश में चित्रकला का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। प्रदेश की चित्रकला का राष्ट्र के इतिहास में उल्लेखनीय योगदान है। यहां की चित्रकला की संपदा अज्ञात थी। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हिमाचल तथा पंजाब के अनेक स्थानों पर चित्रों के नमूनों की खोज की गई। मैटकाफ प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने कांगड़ा के पुरात्न महलों में चित्रों की खोज की गुलेर, सुजानपुर टीहरा तथा कांगड़ा ऐसे ही स्थान थे, जहां पर यह धरोहर छिपी हुई थी।
खनिज संपदा
संपादित करेंहिमाचल में अनेक प्रकार के खनिज होते है। इनमें चूने का पत्थर, डोलोमाइट युक्त चूने की पत्थर, चट्टानी नमक, सिलिका रेत और स्लेट होते है। यहां लौह अयस्क, तांबा, चांदी, शीशा, यूरेनियम और प्राकृतिक गैस भी पाई जाती है।
चट्टानी नमकः चट्टानी नमक में स्थानीय भाषा में लेखन कहा जाता है। यह भारत की एकमात्र चट्टानी नमक की खान है। मैगली में नमकीन पानी को सुखाकर नमक तैयार किया जाता है। चट्टानी नमक दवाइयां और पशु चारे के काम में प्रयुक्त होता है।
प्राकृतिक तेल गैसः प्राकृतिक तेल गैस स्वारघाट (बिलासपुर) चौमुख (सुंदरनगर), चमकोल (हमीरपुर) तथा दियोटसिद्ध (हमीरपुर) में पाई जाती है। प्राकृतिक तेल गैस ज्वालामुखी (कांगड़ा) और रामशहर (सोलन) में भी पाई जाती है।
स्लेट : प्रदेश में स्लेट की लगभग 222 छोटी व बड़ी खाने हैं। खनियारा (धर्मशाला), मंडी, कांगड़ा और चंबा में अच्छी मात्रा में स्लेट प्राप्त होता है। मंडी में स्लेट से टाइलें बनाने का कारखाना है। स्लेट छत्त और फर्श बनाने में प्रयुक्त होता है। अच्छा स्लेट, भारी हिमपात से भी नहीं टूटता है।
सिलिका रेत : सिलिका रेत, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना और मंडी की खड्डों व नालों में पाई जाती है। ऊना जिला के पलकवा, हरोली, बाथड़ी खड्डों में चमकदार पत्थर व रेत पाई जाती है। यह भवन निर्माण, पुल, बांध और सड़कें बनाने में प्रयुक्त होती है।
यूरेनियम : छिंजराढा, जरी (बंजार), ढेला, गढ़सा घाटी (कुल्लू) और हमीरपुर में यूरेनियम होने की संभावना का पता चला है। यह नाभिकीय ऊर्जा का स्रोत है।
संचार माध्यम
संपादित करेंप्रदेश के विकास में संचार माध्यम अहम भूमिका निभा रहे है। प्रदेश के दुर्गम इलाकों तक इन संचार माध्यमों का विस्तार हो चुका है। वर्तमान प्रदेश में रेडियो, टेलिविजन, दूरभाष, तार, फैक्स, डाक, ई-मेल, इंटरनेट आदि सुविधाएं उपलब्ध है। 1914 में शिमला में देश का प्रथम स्वचालित दूरभाष केंद्र स्थापित किया गया था। पांच नवंबर, 1983 को लाहुल-स्पीति के हिक्किम क्षेत्र में विश्व का सर्वाधिक ऊँचाई वाला डाकघर खोला गया था। शिमला में प्रदेश का प्रथम आकाशवाणी केंद्र खोला गया। हमीरपुर, धर्मशाला, कुल्लू, कसौली और किन्नौर में आकाशवाणी केंद, प्रसारण केंद्र स्थापित किए गए है। तरंग टावर मंडी जिला के जोगिंदर नगर तहसील में स्थापित किया गया था।
प्रदेश की बिजली परियोजनाएं
संपादित करेंहिमाचल प्रदेश में कई प्रकार से विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है। यह नाभिकीय स्रोत, जल विद्युत, सौर ऊर्जा, कोयले और पेट्रोलियम पदार्थ आदि से प्राप्त होती है। हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत उत्पादन की अधिक क्षमता है, क्योंकि प्रदेश में पांच प्रमुख नदियां और अनेक सहायक नदियां हैं। नदियों पर बांध बनाकर जल विद्युत उत्पन्न की जाती है। प्रदेश में अनेक परियोजनाएं हैं, जिनमें से कुछ तो पूरी हो चुकी हैं और कुछ निर्माणाधीन हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है।
पौंग बांध परियोजना- यह बांध कांगड़ा जिला में व्यास नदी पर देहरा से 35 किलोमीटर दूर पौंग गांव की भूमि पर बना है, जो देश का सबसे ऊंचा राक-फिल डैम है। इसकी ऊँचाई 435 फुट है और इस पर 160 करोड़ रुपए व्यय हुए हैं। इसमें 5.6 मिलियन एकड़ फुट पानी जमा रखा जाता है, हालांकि इसमें कुल 6.6 एकड़ मिलियन फुट पानी जमा किया जा सकता है।
भाखड़ा बांध परियोजना-यह बांध सतलुज नदी पर जिला बिलासपुर के भाखड़ा गांव में बना है, जो सन् 1948 में शुरू होकर सन् 1963 में बनकर तैयार हुआ था। इसकी ऊँचाई 226 मीटर है। यह एशिया का सबसे ऊंचा बांध है। इसमें दो विद्युत घर हैं, जिनमें 1200 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है। इस बांध के कारण गोविंद सागर झील बनी है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "New Himachal governor Rajendra Arlekar is 1st Goan to occupy the post | Latest News India - Hindustan Times". 6 July 2021. Archived from the original on 11 December 2022. Retrieved 4 May 2023.
- ↑ "Himachal Pradesh Vidhan Sabha". Hpvidhansabha.nic.in. 18 April 2011. Archived from the original on 20 July 2011. Retrieved 15 June 2011.
- ↑ अ आ Statistical Facts about India, indianmirror.com, archived from the original on 26 October 2006, retrieved 26 October 2006 सन्दर्भ त्रुटि:
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अमान्य टैग है; "area" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ "Mountaineering & Rock Climbing - Himachal Tourism Official Website". Archived from the original on 25 April 2023. Retrieved 4 May 2023.
- ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;HPOP
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ Office of the Registrar General & Census Commissioner, India, Ministry of Home Affairs, "6. State of Literacy" (PDF), 2011 Census of India - Results, Government of India, archived (PDF) from the original on 6 July 2015, retrieved 13 February 2022,
[Statement 22(a)] Effective literacy rates – persons: 74.04%; males: 82.14%; females: 65.46%
- ↑ "हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ". www.himachalpradesh.us. Archived from the original on 10 जून 2007. Retrieved 2007-05-20.
- ↑ "हिमाचल का इतिहास". Suni system (P). Archived from the original on 6 जनवरी 2009. Retrieved 2007-04-28.
- ↑ "Comparing Indian States and Countries by GDP per capita - StatisticsTimes.com". statisticstimes.com. Archived from the original on 26 मई 2019. Retrieved 26 मई 2019.
- ↑ हिमाचल प्रदेश में अर्थव्यवस्था विकास Archived 2010-12-03 at the वेबैक मशीन yesbank.in अभिगमन तिथी- अप्रैल 2008
- ↑ http://hindi.indiawaterportal.org/ Archived 2009-11-01 at the वेबैक मशीन केंद्रीय भूजल बोर्ड
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- हिमाचल सरकार का आधिकारिक जालस्थल
- 2001 की जनगणना में हिमाचल के आंकड़े
- हिमाचल विकास रपट-भारतीय योजना आयोग
- हिमाचल सरकार का पर्यटन जालस्थल
- हिमाचल पर्यटन विकास निगम का जालस्थल
- हिमाचल में पर्यटन के बारे में और जानकारी
- हिमाचल के बारे में समाचार स्थल
- हिमाचल के विविध पक्षों पर आधारित जालस्थल - देवभूमि हिमाचल
- हिमाचल मित्र - हिमाचली समाज की रचनात्मक अभिव्यक्ति (हिन्दी वेब-पत्रिका)
- हिमाचल पर आधारित एक चिट्ठा (ब्लाग)
- हिमाचल प्रदेश के आर्टिकल्स