जैसलमेर जिला

राजस्थान, भारत का ज़िला
(जैसलमेर ज़िला से अनुप्रेषित)
जैसलमेर ज़िला
Jaisalmer district
मानचित्र जिसमें जैसलमेर ज़िला Jaisalmer district हाइलाइटेड है
सूचना
राजधानी : जैसलमेर
क्षेत्रफल : 38,401 किमी²
जनसंख्या(2011):
 • घनत्व :
6,72,008
 17/किमी²
उपविभागों के नाम: तहसील
उपविभागों की संख्या: 4
मुख्य भाषा(एँ): हिन्दी, राजस्थानी


जैसलमेर ज़िला भारत के राजस्थान राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय जैसलमेर है।[1][2]

ज़िले का पिनकोड 345001, दूरभाष कोड 02992 और वाहन कोड RJ 15 है। सन् 2001 में साक्षरता दर 57.2% था।

जैसलमेर राजस्थान के सुदूर पश्चिम में स्थित है और क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा जिला है। स्वतंत्रता से पुर्व यहां पर भाटी राजपुतों का राज था | इसकी स्थापना भाटी राजा जैसल ने 1155 ई. में की थी। इस जिले में सबसे कम जनसंख्या निवास करती है। साथ ही साथ यहां का जनसंख्या घनत्व भी सबसे कम है। यहां प्रति वर्ग किमी में औसतन केवल 17 व्यक्ति ही निवास करते हैं। जैसलमेर को 'स्वर्ण नगरी' के नाम से भी जाना जाता है। जैसलमेर का सोनार का किला अपने स्थापत्य कला के कारण विश्व प्रसिद्ध है। इस किले के निर्माण में पीले पत्थरों का प्रयोग किया गया है। जब सुर्य की किरणें किले पर पड़ती है तो वह सोने के समान चमकता है , इसीलिये इसे सोनार के किले के नाम से जाता है। यहां भारत का सबसे बड़ा मरूस्‍थल थार का मरूस्‍थल स्थित है। यहां गर्मियों में गर्मी अधिक व सर्दी में ठंडी अधिक पड़ती है।

भाडली गाँव

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भाडली जिला मुख्यालय से 110 किलोमीटर व बाड़मेर ज़िले की सीमा पर बसा गांव है। यहां पर प्रसिद्ध श्री करनी माता का मंदिर है, जहां हर साल मेला भरता है। यहां पर चमत्कारी बाबा श्री मोतीगिरी का मठ है, सांप डसने पर, जीवन दान के सम्बंध में श्री मोति गिरी के मठ में पूजन किया जाता है, यहां हर साल मेला भरता है, आस पास के गांवो से हर साल हजारो लोग आते है। गांव में माता रानी भटियाणी का मंदिर, नागणेच्या माताजी का मंदिर,संत जसा रामजी का मंदिर, खेतरपाल का मंदिर, हनुमान मंदिर ठाकुर जी का मंदिर, चमजी एवम रावतिंग डाडा का मंदिर है।

सिंचाई व कृषि

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इंदिरा गांधी नहर परियोजना का अंतिम छोर भी यहां मोहनगढ़ उपतहसील में है। इस नहर से जैसलमेर में बड़े क्षैत्र में खेती की जाती है।नहरी क्षेत्र में नाचना, मोहनगढ़,सुथार मंत्री, २पी की एम चौराहा, रामगढ़ आदि कृषि क्षेत्र है। इन क्षैत्रों में अधिकांश किसान गंगानगर, हनुमान गढ , बीकानेर, नागौर,चूरु व बाड़मेर के हैं। कुछ स्थानीय किसान भी खेती-बाड़ी करते हैं, सत्य यह भी माना जाता है कि नहरी कृषि करने कै तौर तरीके स्थानीय किसानों को अन्य जिलों से आए हुए किसानों की देन है। यहां की खेती में ग्वार,मूंग,मोठ,तिल, मूंगफली, सरसों, बाजरा, चना, जीरा, ईसबगोल प्रमुखता से बोया जाता है। हालांकि नहर के अलावा कुछ स्थानों पर ट्यूबवेल से भी खेती की जाती है, लेकिन कम की जाती है, इसके दो कारण हैं। एक तो यहां की भूमि में प्रचूर मात्रा में पानी नहीं है दूसरा अधिकांश जगह लवणीय पानी है। साथ में बारिश यहां औसत से भी कम होती है।अगर समय पर अच्छी बारिश हो तो यहां बारानी खेती भी की जाती है। यहां पर बरसाती पानी को संजो कर अपने खेत में रखा जाता है पानी सोखने पर वहां खेती की जाती है उसे स्थानीय भाषा में खड़ीन कहा जाता है।

इन्हें भी देखें

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  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975