जॉर्ज लेमैत्रे
जॉर्ज हेनरी लेमैत्रे कैथलिक यूनिवर्सिटी ऑफ लियूवेन में एक बेल्जियम कैथोलिक पुजारी, खगोलविद और भौतिकी के प्रोफेसर थे।[1] उन्होंने सैद्धांतिक आधार पर प्रस्तावित किया कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, जिसे बाद में ऍडविन हबल द्वारा अवलोकन की पुष्टि की गई।[2] वह सबसे पहले हबल के कानून के रूप में जाना जाने वाला पहला व्यक्ति था और जिसे हबल के लेख से दो साल पहले 1927 में प्रकाशित किया गया था, उसका पहला अनुमान अब जिसे हबल कॉन्सटैंट कहा जाता है।[3] लेमैत्रे ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति की बिग बैंग सिद्धांत को भी प्रस्थापित किया था जिसे वह अपनी ‘हायपोथेसिस ऑफ द प्रीमेवल एटम’ या ‘कॉसमिक एग’ कहते थे। इन्होंने ब्रह्माण्ड कि उत्पत्ति लगभग 15 अरब वर्ष पूर्व बताया है।[4]
जॉर्ज लेमैत्रे | |
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जन्म |
17 जुलाई 1894 Charleroi, बेल्जियम |
मृत्यु |
20 जून 1966 ल्यूव्हेन, बेल्जियम | (उम्र 71 वर्ष)
राष्ट्रीयता | बेल्जियम |
क्षेत्र |
विश्वउत्पत्तिशास्त्र |
संस्थान | कैथलिक यूनिवर्सिटी ऑफ लियूवेन(1834–1968) |
शिक्षा |
Catholic University of Leuven St Edmund's House, Cambridge मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान |
डॉक्टरी सलाहकार |
चार्ल्स जीन डी ला वेल्ले-पॉसिन (ल्यूव्हेन) आर्थर एडिंग्टन (केंब्रिज) हॅलो शेपली (एम् आय टी) |
डॉक्टरी शिष्य | लुई फिलिप बौकेर्ट, रेने व्हॅन डेर बोर्गट |
प्रसिद्धि |
Theory of the expansion of the universe बिग बैंग सिद्धांत लैमतेरे निर्देशांक |
उल्लेखनीय सम्मान |
फ्रँकचि पुरस्कार (१९३४) एडिंग्टन मेडल (१९५३) |
लेमैत्रे एक रोमन कैथोलिक पादरी थे और साथ ही वैज्ञानिक भी। उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था।
प्रारंभिक जीवन
संपादित करेंलेमैत्रे का जन्म 17 जुलाई 1894 को बेल्जियम में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई सिविल इंजीनियरिंग से की थी।[5] लेकिन इस दौरान प्रथम विश्व युद्ध के समय वे आर्टिलरी ऑफिसर के तौर पर बेल्जियम आर्मी में शामिल हो गए, जिससे उनकी पढ़ाई वहीं पर रुक गई।
युद्ध खत्म होने के बाद उन्होंने फिजिक्स और मैथ्स से अपनी पढ़ाई फिर शुरू की। अध्यात्म की तरफ झुकाव होने की वजह से वे पुजारी भी बन गए। 1923 में वो कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हुए। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए हार्वड और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भी गए।
करियर
संपादित करें1927 में लेमैत्रे ने कैथलिक यूनिवर्सिटी ऑफ लियूवेन में एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर के तौर पर काम किया। यह वही साल था जब उन्होंने बिग बैंग थ्योरी का सिद्धांत दुनिया के सामने रखा। 1941 में जॉर्ज लेमैत्रे को रॉयल अकेडमी ऑफ साइंस ऐंड आर्ट्स ऑफ बेल्जियम का सदस्य भी चुना गया।
20 जून 1966 को ब्रह्मांड के कॉस्मिक माइक्रोवेव पृष्ठभूमि विकिरण की खोज के बारे में जानने के कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु हो गई, जिसने ब्रह्मांड के जन्म के बारे में उनके प्रस्ताव के लिए और सबूत दिए।[6]
17 जुलाई 2018 को गूगल डूडल ने बिग बैंग सिद्धांत के लिए जॉर्ज लेमैत्रे के 124 वें जन्मदिन मनाए।[7]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "गूगल डूडल: कौन थे जॉर्ज लेमैत्रे जिनकी थ्योरी की तारीफ आइंस्टीन ने भी की थी". मूल से 17 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जुलाई 2018.
- ↑ "Georges Lemaître Google Doodle: जॉर्ज लेमैत्रे की आइंस्टाइन से थी गहरी दोस्ती, बिग बैंग थ्योरी की दिखाई राह". मूल से 17 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जुलाई 2018.
- ↑ "ब्रह्मांड की उत्पत्ति: बिग बैंग थ्योरी". मूल से 29 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जून 2020.
- ↑ "Google Doodle:124वें जन्मदिन पर Georges Lemaître को किया याद". मूल से 17 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जुलाई 2018.
- ↑ "Georges Lemaître Google Doodle: जॉर्ज ल्यूमे के लेक्चर के बाद खड़े होकर अल्बर्ट आइंस्टीन ने की थी तारीफ". मूल से 17 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जुलाई 2018.
- ↑ "Georges Lemaître: Who was the Belgian priest who discovered the universe is expanding?". मूल से 17 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2018.
- ↑ "Who was Georges Lemaître? Google Doodle celebrates 124th birthday of the astronomer behind the Big Bang Theory". मूल से 16 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2018.