जोआकिम दु बेले (Joachim du Bellay या Joachim Du Bellay ; French: [ʒoaʃɛ̃ dy bɛlɛ]; 1522 ई – 1 जनवरी 1560) एक फ्रान्सीसी कवि, आलोचक एवं प्लीदे (Pléiade) का सदस्य था।

जोआकिम दु बेले
Joachim du Bellay
जन्मc. 1522
Liré, Anjou, फ्रान्स
मौत1 जनवरी 1560
पेरिस, फ्रान्स
पेशाकवि
राष्ट्रीयताफ्रान्सीसी
काल१६वीं शताब्दी
विधाकविता
उल्लेखनीय कामsLes Regrets

उसका जन्म आंजु के निकट लिरे में सन् १५२५ में हुआ था। छोटी अवस्था में ही उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। बड़े भाई ने उनकी शिक्षा पर समुचित ध्यान नहीं दिया। उसने २३ वर्ष की अवस्था में पातिएर में कानून का, और तदुपरांत पेरिस में साहित्य का अध्ययन किया। सन् १५४७ में पातिएर जाते समय मार्गस्थित एक पांथशाला में अकस्मात् रासार से उनकी भेंट हुई जिसके परिणामस्वरूप 'प्लेयाद' (सप्त-कवि-मंडल) की स्थापना हुई। प्लेयाद का नामकरण 'तोमेली' नामक राजा के समय के अलेग्ज़ैंड्रिव कवियों के आधार पर हुआ। दु बेले ने इस कविमंडल की एक घोषणा (१५४९) लिखी है जिसका नाम है 'ला दे फ्रांस ए लिलु स्त्रासियों दे ला लांग फ्रासेस'। उनकी पुस्तक 'आलिव' फ्रेंच साहित्य में अपने ढंग की प्रथम सॉनेट-शृंखला है। इसका स्वरूप पेट्रियार्कियन है और इसमें मादमासेल दि व्हिआल के प्रति आध्यात्मिक प्रेम का विशद वर्णन है।

जोआकिम अपने चचेरे भाई कार्डिनल दु बेले के साथ, जो रोम के राजदूत थे (१५५३), सेक्रेटरी बनकर गए। वहाँ चार वर्ष के प्रवासकाल में आपने ग्रीक, लैटिन और इटैलियन साहित्य का विस्तृत अध्ययन किया जिसके परिणामस्वरूप 'लेआंतिकिते द रोम' और 'ले रग्रे' की रचना हुई। वहाँ से फ्रांस लौटने पर आपने लेव्हैर रुतिक, 'ले पोएत कुर्जिजां' और लैटिन के दो पद्यसंग्रह प्रकाशित किए। निर्धनता एवं अस्वस्थता के कारण अल्पावस्था में ही १८ जनवरी, सन् १५६० को आपका देहांत हो गया।

आप स्वच्छंदतावाद की प्रतिष्ठा के पूर्व ही स्वच्छंतावादी (रोमेंटिसिस्ट) थे। आपकी कविताओं में मैत्री, देशभक्ति तथा प्रेम का चित्रण प्रधान है। आपकी कविताओं में रूपसौंदर्य के साथ साथ भावों की कोमलता भी दिखाई पड़ती है। फ्रांस में सानेट 'सें जैले' द्वारा आरंभ किया गया किंतु उसका प्रचलन दु बेले द्वारा ही हुआ। पोएम कुर्तिजा दरबारी कवियों का व्यंग्यचित्र है। इसी सर्वोकृष्ट व्यंग्यकाव्य ने फ्रेंच भाषा में व्यंग्य एवं परिहास का शुभारंभ किया। लेव्हेर रुस्तिक में सुंदर ग्राम्य चित्र हैं। ले जांतिकिते द रोम में, जो एडमंड द्वारा अंग्रेजी में अनूदित है, रोम की प्राचीन गारिमा के प्रतिकूल उसकी वर्तमान भ्रष्टताजनित कविहृदय के विषाद की अभिव्यक्ति है। ले रेग्रे में लायर नदी के तट के प्रति कवि का व्यक्त अनुराग तथा उसकी रोमन प्रेमिका फासतिना के वियोग में लिखे गए सानेट हैं। यदि आपकी कविताओं की तुलना आपके पूर्ववर्ती श्रेष्ठ कवियों की रचनाओं से की जाय तो आपमें बलवत्तर मूर्तिमत्ता, गीत की प्रलंबता, भाषा का अधिक सौष्ठव तथा अनुभव का बृहत्तर विस्तार दिखाई पड़ता है।

'ला देफास' फ्रेंच कवि 'मारो' के प्रतिकूल रॉसार संप्रदाय की काव्यसंबंधी घोषणा है। यह सिविले के 'आर पोएतिक' का खंडनमंडन-कारी पूरक ग्रंथ है। इसमें पुरातनता के अनुकरण, ग्रीक एवं लैटिन शब्दों के विवेकपूर्ण ग्रहण द्वारा फ्रेंच भाषा की समृद्धि, प्राचीन विस्मृत फ्रेंच शब्दों के पुनर्ग्रहण, टेकनिकल शब्दावली के प्रयोग और पुराने फ्रेंच स्वरूपों के स्थान पर क्लैसिकल स्वरूपों की स्थापना का समर्थन किया गया है। 'ला दे फ्रांस' ने कविता के सम्मान की स्थापना की और क्लैसिकल सिद्धांत पर बल दिया। 'प्लेयाद' (सप्तकविमंडल) ने स्वच्छंद क्रांति द्वारा फ्रेंच कविता की महत्ता बढ़ाने का प्रयत्न किया जो केवल विकासात्मक प्रणाली द्वारा प्रतिष्ठित करना तथा उसे सभी प्रकार के विषयों एवं विचारों की अभिव्यक्ति का साधन बनाना था।