जौहर : सतीत्व रक्षार्थ सर्वस्व समर्पण

जौहर पुराने समय में भारत में स्त्रियों द्वारा की जाने वाली क्रिया थी। जब युद्ध में हार निश्चित हो जाती थी तो पुरुष मृत्युपर्यन्त युद्ध हेतु तैयार होकर वीरगति प्राप्त करने निकल जाते थे तथा स्त्रियाँ जौहर कर लेती थीं अर्थात जौहर कुंड में आग लगाकर खुद भी उसमें कूद जाती थी। जौहर कर लेने का कारण युद्ध में हार होने पर शत्रु राजा द्वारा हरण किये जाने का भय होता था।जौहर शब्द में शौर्य , त्याग , बलिदान नारी जीवन की अस्मिता , निष्कलंकता और प्राणोत्सर्ग की उद्दात भावना का समावेश रहा है। जिस प्रकार जौहरी रत्नों की निष्कलुशिता की परख करता है। उसी प्रकार जौहर ने समाज एवं संस्कृति को पतित होने से रोकने में अपना जीवन समर्पित कर दिया है।