टामस कार्लायल (Thomas Carlyle ; १७९५ - १८८१) स्कॉटलैण्ड के विक्टोरियन युग के लब्धप्रतिष्ठ दार्शनिक, इतिहासकार, व्यंगकार, निबन्धकार तथा समालोचक थे।[1]। उन्होने अर्थशास्त्र (इकनॉमिक्स) को 'ड डिस्मल साइंस' (the dismal science) [2] कहते थे। उन्होने एडिनबर्ग इनसाइक्लोपीडिया में लेख लिखा [3] और एक विवादास्पद सामाजिक टीकाकार के रूप में उभरे।

टॉमस कार्लाइल

टामस कार्लायल का जन्म स्काटलैंड के एक साधारण गाँव में हुआ था। इनके माता-पिता तो इन्हें पादरी या धर्मोपदेशक के रूप में देखना चाहते थे, परंतु कार्लायल स्वयं गणित के प्रेमी थे और गणित के अध्यापन के साथ ही वह जीवन में प्रविष्ट हुए। कालांतर में जर्मन दर्शन ने उन्हें आकृष्ट किया और उनका जीवनप्रवाह दूसरी दिशा में मुड़ गया। १८३४ ई. में इन्होंने लंदन की ओर प्रस्थान किया और 'चेल्सिया' में आवास ग्रहण करके लेखन कार्य आरंभ किया। धनाभाव के साथ ही साथ अजीर्ण रोग का प्रकोप भी उनके मार्ग में बाधक बना रहा, परंतु उनका उत्साह अदम्य था और जीवनशक्ति अजेय, जिससे उनकी लेखनी निरंतर चलती रही और ग्रंथों का निर्माण करती रही। इसके फलस्वरूप उनके धन तथा यश में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रही और अंत में वह अपने युग के संत के रूप में प्रतिष्ठित हुए।

उनकी रचनाओं में निम्नलिखित ग्रंथ विशेष उल्लेखनीय हैं :

सार्टर रिसार्टस (Sartor Resartus) कार्लायल का सर्वप्रथम मुख्य ग्रंथ है, जिसमें उनकी सभी मुख्य विचारों के तत्व निहित हैं। उनका आध्यात्मिक दृष्टिकोण इसमें स्पष्ट है और विशिष्ट व्यक्तिवाद भी, जो आगे चलकर 'हीरो ऐंड हीरो वर्शिप' में विकसित हुआ, पूर्णरूपेण प्रतिपादित है। उन्होंने एक स्थान पर कहा है कि संसार के प्रसिद्ध पुरुष दैवी शक्ति से अनुप्राणित ईश्वरीय ग्रंथ के समान हैं जिसके अध्याय विभिन्न युगों में संकलित होकर इतिहास का रूप धारण करते हैं। कार्लायल का यह विस्फोटक ग्रंथ तत्कालीन पाठकों के लिए अत्यंत कटु तथा दुरूह सिद्ध हुआ, परंतु फ्ऱेंच रिवोल्यूशन के प्रकाशन के साथ ही उनकी ख्याति का क्षेत्र व्यापक हो गया। इस ग्रंथ में इतिहास की एक तूफानी पृष्ठभूमि में लेखक ने अपने नैतिक तथा दार्शनिक विचारों का प्रतिपादन किया है एवं क्रांतियुगीन मानव पात्रों को अत्याकर्षक करके शैली को काव्यमय कर दिया। इसके पश्चात् हीरोज़ ऐंड हीरो वर्शिप का सृजन करके उन्होंने अपनी लोकप्रियता के संवर्धन के साथ ही साथ अपने ऐतिहासिक तथा दार्शनिक सिद्धांतों की विशद व्याख्या की। इसके बाद तीन लघु ग्रंथों—चार्टिज़म (Chartism), पास्ट ऐंड प्रेज़ेंट, सैटरडे पैंफ़्लेट्स में उन्होंने अपने सामाजिक सिद्धांतों का विवेचन किया और पूँजीपतियों की कड़ी भर्त्सना के साथ श्रमजीवियों की वास्तविक उपयोगिता तथा उनके संगठन की आवश्यकता का समर्थन किया।

जीवनीलेखक के रूप में भी उनकी काफी प्रसिद्धि हुई और उनके इस कोटि के ग्रंथ—'क्रामवेल', 'लाइफ़ ऑव स्टर्लिग', 'फ्ऱेडरिक द ग्रेट' — उनके व्यापक अध्ययन, अथक परिश्रम, चयनकला तथा प्रभावशाली लेखनशैली के ज्वलंत उदाहरण हैं।

कार्लायल महोदय अपने युग के सफल लेखक ही नहीं अपितु एक प्रभावशाली नैतिक तथा आध्यात्मिक शक्ति थे, यद्यपि उनके सिद्धांत उस युग की विशिष्ट प्रवृत्तियों के विरुद्ध थे। विज्ञान तथा भौतिकवाद से प्रभावित समाज के समक्ष उन्होंने मुक्त कंठ से घोषित किया कि संसार ईश्वरमय है तथा मनुष्य नैतिक प्राणी, जिसका उत्कर्ष धन एवं वैभव पर नहीं, अपितु आध्यात्मिक विकास पर निर्भर है। इसके अतिरिक्त, समाज में बढ़ती हुई धनलोलुपता के भी वे कट्टर शत्रु थे और 'सादा जीवन, उच्च विचार' का सदैव समर्थन करते रहे।

उनकी शैली उनके व्यक्तित्व के समन ही बेढ़गी परंतु प्रभावशाली है उसमें माधुर्य तथा स्निग्धता का अभाव है और बहुत से वाक्य बिना सिर पैर के जंतु के समान फैले हुए दिखलाई पड़ते हैं, परंतु तीव्रता तथा ओज उनमें कूट कूटकर भरे हैं।

  1. Blunt, Reginald (1895). The Carlyle's Chelsea Home. London: George Bell & Sons.
  2. Chesterton, G.K. & J.E. Hodder Williams (1903). Thomas Carlyle. London: Hodder & Stoughton.
  3. Duffy, Charles Gavan, Sir (1892). Conversations with Carlyle. London: Sampson Low, Marston & Co.