ठाकुरदास भार्गव (1886 - 1962 ) वह पंजाब के पहले मुख्यमंत्री 'गोपीचंद भार्गव' के बड़े भाई थे। इनका जन्म 1886 ई. में हरियाणा के रेवाड़ी ज़िले में हुआ था। उन्होंने प्रेसीडेन्सी यूनिवर्सिटी, कलकत्ता से क़ानून की डिग्री प्राप्त कर पहले दिल्ली में और फिर बाद में हिसार में वकालत शुरू की।

देश के विभाजन के बाद ठाकुरदास भार्गव के छोट भाई डॉ. गोपीचंद भार्गव ने कांग्रेस की ओर से पंजाब के पहले मुख्यमंत्री के रूप नेतृत्व किया।

राजनीति में प्रवेश

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एक समाजसेवी के रूप में कार्य करते हुए उनका राजनीति में भी पदार्पण हो गया। पंडित मदनमोहन मालवीय, लाला लाजपतराय आदि ने ‘नेशनलिस्ट पार्टी’ का गठन किया था। उसकी ओर से ठाकुरदास भार्गव 1926 में केन्द्रीय असेम्बली (भारतीय ब्रिटिश संसद) के सदस्य चुने गए थे।

1946 में कांग्रेस सदस्य के रूप में ठाकुरदास भार्गव ने फिर से केन्द्रीय असेम्बली (भारतीय ब्रिटिश संसद) में प्रवेश किया। कानूनी विद्वान होने के कारण उन्हें भारत की संविधान सभा का सदस्य चुना गया। संविधान सभा में ठाकुरदास भार्गव ने महिलाओं को समान अधिकार प्रदान किये जाने के पक्ष में अपने विचार व्यक्त किए।

1957 के संसदीय चुनावों में हिसार संसदीय सीट से लोकसभा के सदस्य चुने गए। ठाकुरदास भार्गव बड़े उदार विचारों के व्यक्ति थे। वे मानव-मात्र की एकता में विश्वास करते थे और महिलाओं को समान अधिकार देने के पक्षपाती थे। हरिजन उत्थान के कार्यों में उन्होंने वह उत्साह से भाग लिया करते थे। उन्होंने 13 दिसंबर 1962 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया