डाक्टर कन्हैयालाल नंदन (१ जुलाई १९३३ - २५ सितम्बर १०१०) हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, मंचीय कवि और गीतकार थे। पराग, सारिका और दिनमान जैसी पत्रिकाओं में बतौर संपादक अपनी छाप छोड़ने वाले नंदन ने कई किताबें भी लिखीं। कन्हैयालाल नंदन को भारत सरकार के पद्मश्री पुरस्कार के अलावा भारतेन्दु पुरस्कार और नेहरू फेलोशिप पुरस्कार से भी नवाजा गया।

उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के एक गांव परसदेपुर में हुआ। उन्होने डी.ए.वी.कालेज, कानपुर से बी.ए, प्रयाग विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से एम.ए और भावनगर विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की।

चार वर्षों तक बंबई विश्वविद्यालय, बंबई से संलग्न कालेजों में हिंदी-अध्यापन के बाद १९६१ से १९७२ तक वे टाइम्स ऑफ इंडिया प्रकाशन समूह के ‘धर्मयुग’ में सहायक संपादक रहे। १९७२ से दिल्ली में क्रमश: ’पराग’, 'सारिका’ और दिनमान के संपादक रहे। तीन वर्ष दैनिक नवभारत टाइम्स में फीचर सम्पादन किया। छ: वर्ष तक हिंदी ‘संडे मेल’ में प्रधान संपादक रह चुकने के बाद १९९५ से ‘इंडसइंड मीडिया’ में डायरेक्टर रहे।

उनकी डेढ़ दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित जिनमें ‘लुकुआ का शाहनामा’, 'घाट-घाट का पानी’, 'अंतरंग’, नाट्य-परिवेश’, 'आग के रंग’, 'अमृता शेरगिल, ’समय की दहलीज’, 'ज़रिया-नजरिया’ और ‘गीत संचयन’ बहुचर्चित और प्रशंसित है।

डाक्टर कन्हैयालाल नंदन अनेकानेक पुरस्कारों के साथ साहित्य में अवदान के लिये ‘परिवार-पुरस्कार’ से पुरस्कृत,’पद्मश्री’ से अलंकृत और नेहरू फेलोशिप से सम्मानित है।

कन्हैयालाल नंदन का निधन २५ सितंबर २०१० को दिल्ली के निजी अस्पताल में निधन हो गया। निधन के समय वे 77 वर्ष के थे।

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