डेविड ईस्टन (David Easton ; 24 जून, 1917 – 19 जुलाई, 2014) कनाडा में जन्मे एक अमेरिकी राजनैतिक विचारक थे। सन 1947 से 1997 तक वे शिकागो विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक रहे।

डेविड ईस्टन का निवेश निर्गत विश्लेषण

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डेविड ईस्टन का निवेश निर्गत विश्लेषण (Input Output Analysis) आधुनिक काल का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उन्होंने अपने इस विश्लेषण में राजनीतिक व्यवस्था को उसके पर्यावरण के संदर्भ में देखने की कोशिश की है। उनका मानना है कि पर्यावरण से निवेश (input) के रूप में मांगे उठती हैं और उन्हें व्यवस्था का समर्थन प्राप्त होता है। इन मांगों को राजनीतिक दल, दबाव समूह, समाचार पत्र व अन्य समुदाय समर्थन देकर व्यवस्था में रूपांतरण के लिए पहल करते हैं। इन मांगों के परिणामस्वरूप कुछ नये निर्णय लिए जाते हैं, पुराने निर्णयों में संशोधन किया जाता है, अथवा कुछ निर्णयों को स्थापित किया जाता है। इस प्रकार निर्णयों को लिया जाना तथा नीतियां निर्धारित करना ही 'निर्गत' (output) कहलाता है। यह कार्य रूपांतरण एक प्रक्रिया के माध्यम से होता है।

ईस्टन का मत है कि सत्ताधारियों के निर्णय व नीतियां निर्गत रूप से पुनः पर्यावरण में प्रवेश कर जाते हैं और उसमें परिवर्तन करके पुनः समाज में नई मांगे निवेश के रूप में उठ खड़ी होती हैं। इस कार्य को ईस्टन ने फीडबैक या पुनर्निवेश की संज्ञा दी है। इस प्रकार निवेश रूपांतरण तथा निर्गत की यह प्रक्रिया निरnतर चलती रहती है। ईस्टन का मत है कि राजनीतिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए निवेश रूपांतरण और निर्गत की इस प्रक्रिया का सदा चलते रहना आवश्यक है।

उपरोक्त आधार पर ईस्टन के सिद्धान्त तीन मुख्य बिंदु हैं-

  • (१) राजनीतिक व्यवस्था में निवेश – इसमें ईस्टन ने दो बातों की व्याख्या की है – मांग तथा समर्थन। पहला, मांग। प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में हर समय असंख्य इच्छायें, आकांक्षायें, आवश्यकतायें तथा अपेक्षायें विद्यमान रहती हैं। इसमें से केवल कुछ मांगे जैसे सार्वजनिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा व शिक्षा आदि ही राजनीतिक प्रणाली में प्रवेश कर पाती हैं और शेष रास्ते में ही खो जाती हैं या नियामक तंत्र द्वारा नियंत्रित कर दी जाती हैं। ईस्टन कहता है कि इन मांगों को उजागर करने का कार्य राजनीतिक दल, समाचार पत्र, हित समूह आदि के द्वारा होता है।
निवेश का दूसरा पक्ष समर्थन है। यह समर्थन अनेक प्रकार का हो सकता है जैसे सकारात्मक, नकारात्मक, प्रकट अथवा अप्रकट। व्यक्ति समूह, विचारधारा, ध्येय, संस्था या अन्य प्रकार से व्यवस्था के पक्ष में होना समर्थन कहलाता है। समर्थन एक महत्वपूर्ण निवेश है क्योंकि राजनीतिक व्यवस्था समर्थन के अभाव में कार्य नहीं कर सकती है। बिना समर्थन के मांगों का औचित्य ही समाप्त हो जाता है।
  • (२) मांगों का रूपान्तरण – रूपान्तरण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा निवेश को निर्गत में परिवर्तित किया जाता है। मांगों को व्यवस्था के सामने रखने का कार्य राजनीतिक दल, दबाव समूह तथा अन्य प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता है। सत्ताधारी इन मांगों के आधार पर पक्ष या विपक्ष में निर्णय लेते हैं और इस प्रकार मांगों का रुप बदल दिया जाता है। राजनीतिक व्यवस्था में रूपांतरण प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इसके द्वारा ही शासकों का समर्थन बढ़ता है या घटता है।
  • (३) राजनीतिक व्यवस्था के निर्गत – निर्गत उन नियमों तथा नीतियों को कहते हैं, जो निवेश के रूपांतरण के पश्चात् हमें प्राप्त होती है, अर्थात् निवेश को निर्गत में बदलने के लिए व्यवस्था के सामने लाया जाता है। राजनीतिक व्यवस्था इन निवेशों पर निर्णय लेती है ,और उत्पादित वस्तुओं के रूप में इन्हें बाहर निकाल देती है। इस प्रकार निर्गत व्यक्तियों द्वारा रखी गई मांगों पर राजनीतिक व्यवस्था द्वारा किये गये निर्णय होते हैं।

इन्हें भी देखें

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