ढब्बावाली माता मंदिर, खासरवी

ढब्बावाली माता मंदिर (English: Dhabbawali Mata Temple ) एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है जो राजस्थान के जालौर जिले में स्थित है। इसमें देवी ढब्बावाली माता[1] की मूर्ति स्थापित है। यह साँचोर से ३५ किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दिशा में खासरवी में स्थित है।[2] राजस्थान की पूज्य भूमि पर एक देवी पीठ जो जिला सांचोर के ग्राम खासरवी की पावन भूमि पर विराजमान हैं।  यह सिद्ध देवी पीठ माँ भगवती ढब्बावाली के नाम से संसार भर में विख्यात हैं।  इस महाशक्ति के दरबार में राजस्थान से लेकर नेपाल तक कामरू से लेकर कश्मीर तक व कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनगिनत भक्त और साधक आते हैं। माता ढब्बावाली की प्राचीन मुर्ति काष्ठ की है। " ढब्बाजी कोली ने माताजी के शक्तिपीठ के लिए उन्नत धोरे का चयन किया। ढब्बाजी मा के परम भक्त थे।[1]

ढब्बावाली माता मंदिर
ढब्बावाली माता मंदिर
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
अवस्थिति जानकारी
ज़िलासांचौर जिला
राज्यराजस्थान
देशभारत
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ढब्बावाली माता मंदिर (English: Dhabbawali Mata Temple ) एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है जो राजस्थान के जालौर जिले में स्थित है। इसमें देवी ढब्बावाली माता[1] की मूर्ति स्थापित है। यह साँचोर से ३५ किलोमीटर उत्तर-पश्चिम दिशा में खासरवी में स्थित है।[2] राजस्थान की पूज्य भूमि पर एक देवी पीठ जो जिला जालोर तहसील सांचोर के ग्राम खासरवी की पावन भूमि पर विराजमान हैं।  यह सिद्ध देवी पीठ माँ भगवती ढब्बावाली के नाम से संसार भर में विख्यात हैं।  इस महाशक्ति के दरबार में राजस्थान से लेकर नेपाल तक कामरू से लेकर कश्मीर तक व कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनगिनत भक्त और साधक आते हैं। माता ढब्बावाली की प्राचीन मुर्ति काष्ठ की है। हाल ही में खासरवी स्थित श्री ढब्बा वाली माताजी मंदिर की मूर्ति स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन किया गया। [3]

मेला और खास बात संपादित करें

माताजी के इस मंदिर में हर माह की पूर्णिमा[4] को मेला[5] लगता हैं जिसमे हजारों की संख्या में श्रद्धालु माँ के द्वार माथा टेकने आते हैं। यहाँ से जुड़ी एक खास दिलचस्प बात यह हैं कि माताजी को भोग लगाई हुई प्रसाद हम खासरवी क्षेत्र से बाहर नहीं ले जा सकते।[6][7][2]

आवागमन संपादित करें

मां ढब्ब्वाली के मंदिर तक पहुंचने के लिए सांचौरऔर वेड़िया से बस, जीप व टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं। हर मास की पूर्णिमा को भारी संख्या में लोग यहां पहुंचकर मनौतियां मनाते हैं। यहां तक की आज़ादी से पहले इस मंदिर में पाकिस्तान से भी श्रद्धालु आते थे।[8] श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मंदिर के पास धर्मशाला भी हैं।[7][2]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. महासिद्ध शक्ति माँ ढब्बावाली देवी India, by Shaktidan Maliya. Published by Rajasthani Granthagar Sojati Gate Jodhpur, 2004. Page 48.
  2. Rajpurohit, Kiran (Jun 23, 2022). "यह हैं सांचौर का वह मंदिर जहाँ हर पूर्णिमा को लगता हैं मेला, पाकिस्तान से भी आते थे श्रद्धालु". Sangri Today.
  3. "ढब्बावाली माता प्रतिष्ठा : 9 कुंड और 35 जोड़ों ने आहुति देकर बने महोत्सव के साक्षी | Dabbawali Mata's Pran Pratishtha Mahotsav". Patrika News. 2022-05-04. अभिगमन तिथि 2022-06-23.
  4. "यह हैं सांचौर का वह मंदिर जहाँ हर पूर्णिमा को लगता हैं मेला,पाकिस्तान से भी आते थे श्रद्धालु". मरुधर भारती (अंग्रेज़ी में). 2018-04-07. मूल से 13 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-10-14.
  5. "धर्म-समाज:ढब्बावाली माता मंदिर प्रतिष्ठा के चढ़ावे 27 व 28 मार्च को". Bhaskar.
  6. "जानें सांचौर के इस मंदिर से जुड़ी दिलचस्प बात". Talk Pedia - टॉक पीडिया. मूल से 15 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2019-09-19.
  7. "खासरवी का ढब्बावाली मंदिर: जब तक मंदिर की छत नहीं बनी तक तक घरों पर नहीं डाली थी छत". Bhaskar.
  8. "आजादी से पहले इस मंदिर में पाकिस्तान से आते थे श्रद्धालु". www.patrika.com. मूल से 14 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-10-14.