ढेंकी (अंग्रेज़ी: Dhenki), धान या चावल कुटने-छांटने का एक पारंपरिक यंत्र है। यह मुख्यत् लकड़ी से बनी होती है।[1] इसके अगले सिरे पर एक लकड़ी का छोटा टुकड़ा लगा होता है। इसे पैरों के माध्यम से चलाया जाता है।[2] आमतौर पर यह यंत्र भारत में पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, ओडिशा, असम, बिहार और छत्तीसगढ़ तथा नेपाल के ग्रामीण इलाकों में पाया जाता है।

ढेंकी

आधुनिक युग में, इस पौराणिक यंत्र का उपयोग केवल त्योहारों और शादी, जन्म, मृत्यु से संबंधित समारोह के दौरान ही देखा जाता है।[3]

प्रक्रिया संपादित करें

ढेंकी एक लंबी कठोर लकड़ी से बनी होती है, जिसके अगले सिरे पर एक लकड़ी का छोटा टुकड़ा लगा होता है। इसके पिछले सिरे को पैर से दबाया जाता है। अगले सिरे में ज़मीन पर छोटा सा गड्ढा होता है, जिसमें चावल भरा जाता है। इसके पिछले हिस्से को लगातार पैरों से दबाया जाता है, जब चावल की बालियों में भार के कारण बल पड़ता है तो चावल का आटा (गुंड़ी) तैयार होता है।[4] गुंड़ी का उपयोग पकवान बनाने तथा आंगन-द्वारों में अल्पना बनाने में होता है। ढेंकी का प्रयोग गेंहू, मक्का, दलहन, आदि अनाजों को कुटने के लिए भी किया जाता है। पहले गांव के प्रत्येक घरों में ढेंकी होती थी। गांव में सुबह-सुबह ढेंकी की ढक-ढक की आवाज गूंजती रहती थी।

 
ढेंकी के पिछले सिरे को दबाती महिला
 
ढेंकी से चावल कुटती महिलाएं

चित्र दीर्घा संपादित करें

 
ढेंकी के अगले सिरे में लगी लकड़ी का टुकड़ा
 
अगले सिरे में लगा लोहा
 
ढेंकी
 
असम, भारत में ढेंकी
 
ओडिशा, भारत में ढेंकी
 
ओडिशा, भारत में ढेंकी
 
नेपाल में ढेंकी

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Siṃha, Rājendra Prasāda (1981). Hindī paheliyoṃ kā sāṃskr̥tika adhyayana. Vibhūl Prakāśana.
  2. Hardev, Dr. Rajpal Concise Hindi Shabdkosh. Rajpal & Sons. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7028-267-9.
  3. "अब पर्व त्योहार में ही दिखती है ढेंकी". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2023-05-24.
  4. "पारंपरिक ढेंकी ने महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर". Nai Dunia. 2022-03-08. अभिगमन तिथि 2023-05-24.