शुरु में इसका नाम मिस्र के शाशक मोहम्मद अली के अंतर्गत कार्यरत एक फ्रांसीसी सेनाध्यक्ष सुलेमान पाशा के नाम पर सुलेमान पाशा मार्ग था। इसका यह नाम मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्दल नासीर ने शहर को शाशक मुहम्मद अली और अंग्रेजों के बचे हुए निशानों से मुक्ति दिलाने के लिए १९५४ में बदलकर उन्नीसवीं सदी के प्रमुख मिस्री अर्थशास्त्रीतलात हर्ब के नाम पर रख दिया गया।[1]
यहाँ के इमारतों की एतिहासिक वास्तुकला पर्यटकों को इस मार्ग के शानदार और जीवंत इतिहास की याद दिलाते हैं। १९५४ में इसके नाम बदले जाने से पहले तक यह सुलेमान पाशा मार्ग के नाम से जाना जाता था और काहिरा व यूरोप के संभ्रांत लोगों के बीच बहुत सारी सामाजिक गतिविधियों व मेल मिलाप का केंद्र था। तलात चौराहे पर यह कॉसर एल्नील मार्ग से मिलता है जहाँ आसपास एसे बहुत सारे भवन है जिनपे सुलेमान पाशा के काल की फ्राँसीसी वास्तुकला की स्पष्ट झलक दिखती है। यहाँ काहिरा की कुछ बेहद मशहूर दुकाने, व व्यापारिक संस्थान भी मौजूद हैं।
१९५० से १९६० के मध्य मिस्र के औपनिवेशिक इतिहास को मिटाने या यूँ कहे छुपाने के नासीर के तमाम प्रयासों के बावजूद तलात हर्ब मार्ग पर स्थित भवनों के अग्रभाग व दीवारों की ढाँचागत रूपरेखा इसके एक से अधिक औपनिवेशिक इतिहास का नमूना पेश करते हैं। इसके भवनों की नवनिर्मित व पुन:निर्मित फर्शों व दीवारों के अग्रभाग मिस्र के इतिहास के विभिन्न कालखँडों के दौरान रही वास्तुकला को दर्शाते हैं। इनमें से अधिकांश भवन १९वीं सदी के खेदिव इस्माईल के जमाने की याद दिलाते हैं जो यहाँ यूरोप के तरह दिखने वाले नगर बनाना चाहता था। उसने यहाँ बड़े बड़े मैदानों, बागानों, क्रीड़ाँगनो व यूरोपिय शैली के भवनों व कालोनियों के निर्माण के लिए बहुत बल दिया।[2]