तस्लीम
सलाम करना, किसी बात को स्वीकार करना, इस्लाम में तस्लीम अर्थात सलाम से नमाज़ पढ़ने की क्रिया पूरी ह
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तस्लीम (तसलीम, इंग्लिश: Taslim) शाब्दिक अर्थ है[1] सलाम करना, किसी बात को स्वीकार करना, इस्लाम में तस्लीम अर्थात सलाम से नमाज़ पढ़ने की क्रिया पूरी होती है।
तस्लीम कैसे करते हैं?
संपादित करेंनमाज़ की अंतिम क्रिया में जब बैठ कर पढ़ी जा रही होती है। तशहुद, दरूद और क़ुरआन पाठ के बाद नमाज़ का सलाम किया जाता है।
तस्लीम में क्या पढ़ते हैं?
संपादित करेंबैठा हुआ नमाज़ी जलसा-ए-नमाज़ में दो बार अंत में दोनों तरफ सलाम में अस्सलामु अलैकुम कहता है। जिसका अर्थ खुदा तुम्हे सलामत रखे है "शांति आप पर हो"।
शिया मुसलमान पढ़ते हैं[2] "अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह" जिसका अर्थ है अल्लाह तुम्हे सलामत रखे और अल्लाह की रहमत हो तुम पर।