ताजिक (ताजिक: Tojik, फ़ारसी: تاجيک‎, तॉजिक) मध्य एशिया (विशेषकर ताजिकिस्तान, अफ़्ग़ानिस्तान, उज़बेकिस्तान और पश्चिमी चीन) में रहने वाले फ़ारसी-भाषियों के समुदायों को कहा जाता है। बहुत से अफ़्ग़ानिस्तान से आये ताजिक शरणार्थी ईरान और पाकिस्तान में भी रहते हैं। अपनी संस्कृति और भाषा के मामले में ताजिक लोगों का ईरान के लोगों से गहरा सम्बन्ध रहा है।[1] चीन के ताजिक लोग अन्य ताजिक लोगों से ज़रा भिन्न होते हैं क्योंकि वे पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलते हैं जबकि अन्य ताजिक फ़ारसी बोलते हैं।[2]

अफ़्ग़ान सांसद नीलोफ़र इब्राहिमी एक ताजिक हैं
ताजिकिस्तान का एक परिवार ईद-उल-फ़ित्र की ख़ुशियाँ मनाते हुए

ताजिकों की एक बड़ी संख्या स्पष्ट मंगोलियाई मिश्रण दिखाती है.[3]

नाम की उत्पत्ति

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ताजिकी लोग पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाले प्राचीन सोग़दाई, बैक्ट्रियाई और पार्थियाई लोगों के वंशज हैं। ईरान के शक्तिशाली हख़ामनी और सासानी साम्राज्यों के प्रभाव से वे समय के साथ-साथ फ़ारसी के भिन्न रूप बोलने लगे, जो एक पश्चिमी ईरानी भाषा है। फिर भी ताजिकी फ़ारसी में प्राचीन सोग़दाई और पार्थियाईके कई शब्द मिलते हैं, जो ईरानी फ़ारसी में नहीं मिलते। मध्य एशिया में ईरानियों के अलावा दूसरा बड़ा प्रभाव तुर्की भाषियों का रहा है। 'ताजिक' नाम तुर्कियों ने ही फ़ारसी-भाषियों को दिया और इसका अर्थ 'ग़ैर-तुर्की' हुआ करता था। किसी ज़माने में 'ताजिक' शब्द को एक गाली माना जाता था लेकिन जब ताजिकिस्तान सोवियत संघ का भाग बना तो इसे गर्व से मध्य एशिया में बस रहे फ़ारसी-भाषियों की पहचान के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। उसी सोवियत काल से 'ताजिक' शब्द सम्मानजनक बना हुआ है।[4]

ताजिक लोग फ़ारसी की एक पूर्वी उपभाषा बोलते हैं, जिसे 'दरी' या 'दरी फ़ारसी' कहा जाता है। 'दरी' शब्द 'दरबारी' को सिकोड़कर बनाया गया है। ताजिकिस्तान में ताजिकी भाषा को लिखने के लिए सिरिलिक लिपि इस्तेमाल की जाति है, हालाँकि पुराने ज़माने में इसे अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखा जाता था। आधुनिक ताजिकी भाषा पर रूसी भाषा, उज़बेकी भाषा और उइग़ुर भाषा के गहरे प्रभाव मिलते हैं।[5] कुछ फ़ारसी-भाषी लोग ताजिकी को ईरानी फ़ारसी से ज़्यादा शुद्ध मानते हैं, क्योंकि ईरान पर अरब आक्रमण और क़ब्ज़े के बाद बहुत भारी अरबी भाषा का प्रभाव पड़ा। ईरानी फ़ारसी की तुलना में ताजिकी फ़ारसी में अरबी के शब्द कम हैं और प्राचीन फ़ारसी मूल के शब्द अधिक हैं। ताजिकिस्तान में दो तरह की फ़ारसी बोली जाती है। एक तो रोज़ाना बोली जाने वाली फ़ारसी है, जिसे 'ज़बान-ए-कूचा' कहते हैं, यानी 'गली-कूचे की भाषा'। दूसरी औपचारिक तौर पर बोले जाने वाली 'ज़बान-ए-अदबी' है, यानी 'अदब की भाषा'।

ऐतिहासिक रूप से ताजिक लोगों में प्राचीन आर्य धर्म, बौद्ध धर्म और ज़रथुष्ट्री धर्म का ज़ोर रहा है। इस्लाम के आने के बाद अधिकतर ताजिक लोग सुन्नी मुस्लिम बन गए, हालांकि इनमें शिया मुस्लिम भी पाए जाते हैं। सन् २००५ में ताजिकिस्तान की आबादी ९५% सुन्नी और ३% शिया थी। ध्यान दीजिये कि यह ईरान का उल्टा है, जहाँ ज़्यादातर लोग शिया हैं। इस समय ताजिक लोग पुर्णत: इस्लाम धर्म के मानने बाले है|


इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. The new Central Asia: the creation of nations, Olivier Roy, I.B.Tauris, 2000, ISBN 978-1-86064-278-4
  2. Xinjiang: the land and the people, New World Press, 1989, ISBN 978-7-80005-078-7, ... belongs to the Eastern Iranian branch of the Indo-European family. Generally, Tajiks use the Uygur script ...
  3. https://www.kyrgyzjer.com/en/kg/section27/section304/3351.html
  4. Central Asia in historical perspective, Beatrice Forbes Manz, Westview Press, 1994, ISBN 978-0-8133-8801-4, ... The Symbiosis of Turk and Tajik ...
  5. The Handbook of Language Contact Archived 2014-09-22 at the वेबैक मशीन, Raymond Hickey, John Wiley and Sons, 2010, ISBN 978-1-4051-7580-7