ताड़केश्वर महादेव मन्दिर
तड़केश्वर महादेव मंदिर एक हिंदू मंदिर है। यह भारतीय राज्य गुजरात के वलसाड जिले में अब्राम शहर के निकट वांकी नदी के तट पर है। [1]
ताड़केश्वर महादेव मन्दिर | |
---|---|
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | हिन्दू |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | अब्राम, वलसाड जिला, गुजरात |
देश | भारत |
भौगोलिक निर्देशांक | 20°35′24″N 72°56′12″E / 20.59000°N 72.93667°Eनिर्देशांक: 20°35′24″N 72°56′12″E / 20.59000°N 72.93667°E |
वास्तु विवरण | |
निर्माण पूर्ण | 800 वर्ष से अधिक प्राचीन |
यह मंदिर 800 वर्ष से अधिक प्राचीन है, एवं वलसाड जिले के सबसे पुरातन मन्दिरों में से एक है। इस मन्दिर की विशेषता यह है कि इस मन्दिर की परिकल्पना इसके अन्दर स्थित शिवलिंग पर सूर्य की किरणें पड़ने के अनुसार अभिकल्कोपित एवं निर्मित किया गया था अतः इसके ऊपर कोई शिखर, गुम्औबद या कोई छत नहीं है। इसलिए, इसे "ताड़केश्वर" के नाम से जाना जाता है। यहाँ स्थित शिवलिंग की लंबाई लगभग 6 से 8 फ़ीट की है।[2][3][4]
महाशिवरात्रि पर्व और श्रावण मास के अवसर पर पास में ही मेला लगता है।
इतिहास
संपादित करें6 फीट 10 इंच (2.08 मी॰) का अर्ध-गोलाकार शिवलिंग प्रतीत पत्थर मई 1215 में वांकी नदी के उत्तरी तट की झाड़ियों में देखा गया था। [5] उस समय स्थानीय लोगों ने इस पत्थर को अपने कब्जे में ले लिया और आंशिक रूप से इसे क्षतिग्रस्त भी कर दिया। तब इस पाषाण शिला में से बहुत से जहरीले ततैये व अन्य जीव निकले और मन्दिर के 1500 के घेरे में लगभग 60 लोगों को डंक मार दिया। उन सभी 60 लोगों की मृत्यु हो गई और उन्हें मंदिर स्थल पर दफनाया गया। तत्पश्चात इस स्थल पर एक दरगाह बनाई गई थी।
एक दिन भगवान शिव अब्राम के एक भक्त के स्वप्न में प्रकट हुए और उसे आज्ञा दी कि उस लिंग को वांकी नदी के किनारे से ले जाया जाए। भगवान शिव के दो भक्त इसे सरलता से उठा पाएंगे। जब लिंग बहुत भारी हो जाए तो उसे वहीं नीचे रख दें और उस स्थान पर स्थापना कर दें।"
इस स्थान पर एक मन्दिर निर्माण किया गया, जिसकी छत दो बार बनाई गई थी। पहली बार वह छत आग में छत नष्ट हो गई थी। दूसरी बार गिर गई। तब एक भक्त के स्वप्न में भगवान शिव प्रकट हुए और कहा कि मैं ताड़केश्वर महादेव हूं। मुझे सूरज की किरणें चाहिए। इसलिए, मंदिर की छत का पुनर्निर्माण न करें। उसी दिन से ताड़केश्वर महादेव के शिवलिंग को मंदिर में सुरक्षित रखा गया और छत का कभी पुनर्निर्माण नहीं किया गया।
मंदिर के शिखर से खुला आकाश दिखता रहता, जिसमें लगभग 22 फीट (6.7 मी॰) घेरे का खुला वृत्त है। दोपहर के समय सूर्य की किरणें सीधे उस वृत्त से शिवलिंग पर पड़ती हैं। [6]
संदर्भ
संपादित करें- ↑ "વલસાડ અબ્રામાના તડકેશ્વર મહાદેવની અનોખી ગાથા, શિવલિંગના દર્શનાર્થે લોકોની ભારે ભીડ". Divyabhaskar.
- ↑ "About - Tadkeshwar Mahadev Temple, Valsad". मूल से 15 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मई 2022.
- ↑ History of Tadkeshwar Mahadev Temple, Valsad
- ↑ "Tadkeshwar Mahadev Mandir, Valsad, Gujarat:KM News". Youtube.
- ↑ Samarpan magazine: "Tadkeshwar"
- ↑ History of Tadkeshwar Mahadev Temple: Image