तिरुप्पेरुन्तुरै
तिरुप्पेरुनतुरै तमिलनाडु के पुदुकोट्टै जिले में अरंथंगी के पास अवुदैयारकोइल गाँव में स्थित है।[1] इसे आत्मनस्वामी मंदिर भी कहा जाता है। इसका निर्माण भगवान शिव के सम्मान में किया गया था। तमिल शैव सिद्धांत के पवित्र ग्रंथों में से एक, माणिकवासागर द्वारा रचित तिरुवासकम, इस मंदिर में ही रचा गया था। कहा जाता है कि माणिकवासागर ने राजा को शैव मतावलम्बी बना दिया और जो धन युद्ध के घोड़ों के क्रय के लिये निर्धारित था, उससे मंदिर का निर्माण किया था।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Krishnamurthy, R. (6 November 2014). "Where Jackals turned into Horses". The Hindu. मूल से 1 December 2014 को पुरालेखित.
- ↑ Das, Sisir Kumar; Akademi, Sahitya (1991). A History of Indian Literature. Sahitya Akademi. पृ॰ 574. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7201-006-0. अभिगमन तिथि 2008-06-01.