त्रिलोकपुर मंदिर
त्रिलोकपुर मंदिर (Trilokpur temple) भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के सिरमौर ज़िले के त्रिलोकपुर ग्राम में स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह नाहन नगर से लगभग 24 किमी दूर है और 430 मीटर (1,410 फीट) की ऊँचाई पर एक पहाड़ी पर स्थित है। इस क्षेत्र में एक त्रिकोण के तीन कोनों पर स्थित दुर्गा के तीन मन्दिर हैं, जिनमें उन देवी के अलग-अलग स्वरूप विराजमान हैं। त्रिलोकपुर में स्थित मुख्य मन्दिर में भगवती त्रिपुर बाला सुन्दरी का मन्दिर है, जिसमें दुर्गा का बालावस्था का रूप है। यहाँ से 3 किमी दूर भगवती ललिता देवी का मन्दिर है और 13 किमी पश्चिमोत्तर में तीसरा मन्दिर है।[1][2][3] भगवती बाला सुंदरी का यह मंदिर पिछले कुछ दशकों से बहुत अधिक विख्यात हुआ है। हिमाचल प्रदेश के प्रमुख मंदिरों जैसे चिंतपूर्णी, नैना देवी, ज्वाला देवी, कांगड़ा, चामुण्डा और बगलामुखी आदि मंदिरों से भी ज्यादा श्रद्धालु नवरात्र मे यहां दर्शन करने आते हैं। इसी तरह का अन्य प्रसिद्ध मंदिर शाकम्भरी देवी का है जो उत्तर प्रदेश के सहारनपुर मे स्थित है यहाँ भी लाखों की भीड़ नवरात्र मे उमडती है।[उद्धरण चाहिए]
त्रिलोकपुर मंदिर | |
---|---|
Trilokpur temple | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | दुर्गा माता |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | त्रिलोकपुर ग्राम (नाहन से लगभग 24 किमी दूर) |
ज़िला | सिरमौर ज़िला |
राज्य | हिमाचल प्रदेश |
देश | भारत |
भौगोलिक निर्देशांक | 30°32′25″N 77°12′31″E / 30.54035°N 77.20855°Eनिर्देशांक: 30°32′25″N 77°12′31″E / 30.54035°N 77.20855°E |
वास्तु विवरण | |
निर्माता | सिरमौर राजघराना व लाला राम दास (स्थानीय व्यापारी) |
इतिहास
संपादित करेंमान्यता है कि सन् 1570 में राम दास नामक एक स्थानीय व्यापारी ने एक नमक की बोरी खरीदी, जिसमें एक पिण्डी पाया गया। यह देवी माँ के बालसुन्दरी जी रूप का प्रतीक एक पवित्र पत्थर था। लाला राम दास बोरी से नमक बेचते रहे, लेकिन बोरी भरी की भरी ही रही। फिर देवी राम दास को एक स्वप्न में प्रकट हुई। उन्होंने राम दास को बताया कि कैसे वे देवबन से अदृश्य हुई थीं और उसे इस पिण्डी स्वरूप को लेकर त्रिलोकपुर में एक मन्दिर बनाकर स्थापित करते का आदेश दिया। यहाँ उन्होंने महामाया बालासुन्दरी को समर्पित पूजा का आदेश दिया, जो माता वैष्णो देवी का बाल स्वरूप हैं।[उद्धरण चाहिए]
लाल राम दास के पास मन्दिर बनवाने के लिए पर्याप्त घन नहीं था, इसलिए वे सिरमौर राज्य के राजा के पास पैसा मांगने गए, जो उन्हें दे दिया गया। राम दास ने मन्दिर निर्माण आरम्भ करा और उसी वर्ष जयपुर से संगमरमर का मन्दिर बनवाने के लिए निपुण कारीगर बुलवाए। मन्दिर सन् 1573 में बनकर पूरा हुआ और देवी बाल सुन्दरी को समर्पित कर दिया गया। यहाँ राजघराने ने भी पूजा करनी आरम्भ कर दी। सन् 1823 में महाराज फतेह प्रकाश और फिर 1851 में महाराज रघुबीर प्रकाश ने मन्दिर की मरम्मत करवाई।[उद्धरण चाहिए]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Himachal Pradesh, Development Report, State Development Report Series, Planning Commission of India, Academic Foundation, 2005, ISBN 9788171884452
- ↑ "Himachal Pradesh District Factbook," RK Thukral, Datanet India Pvt Ltd, 2017, ISBN 9789380590448
- ↑ "Nahan Population Census 2011". Census2011. मूल से 24 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 June 2016.