त्रैरूप्य
त्रैरूप्य , बौद्ध तर्कशास्त्र का एक वैचारिक उपकरण है। त्रैरूप्य की संकल्पना वसुबन्धु के 'वादविधि' नामक ग्रन्थ में पहली बार देखने को मिलती है [1] जिसकी पुनर्रचना १९५७ में फ्राउवलनर ने की थी। [2]
त्रैरूप्य एक तार्किक कथन है जिसे प्रामाण तभी माना जायेगा जब उसके तीन 'लिङ्ग' हों- पक्ष, सपक्ष और विपक्ष।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Anacker, Stefan (2005, rev.ed.). Seven Works of Vasubandhu: The Buddhist Psychological Doctor. Delhi, India: Motilal Banarsidass. (First published: 1984; Reprinted: 1986, 1994, 1998; Corrected: 2002; Revised: 2005), p.31
- ↑ Frauwallner, Erich (1957). 'Vasubandhu's Vādavidhiḥ'. Wiener Zeitschrift für die Kunde Süd-und Ost-Asiens 1, 1957, 104ff.