थप्पड़ या तमाँचा किसी व्यक्ति की ओर से किसी दूसरे व्यक्ति पर आक्रामक रूप से चहरे पर किए जाने वाले वार को कहा जाता है। इसके लिए विशेष रूप से हाथ और उसमें में भी हथेली का इस्तेमाल किया जाता है। साधारण रूप से सभ्य समाज में जहाँ हिंसा या आक्रामकता का कोई स्थान नहीं है वहाँ लोग इस प्रकार से आक्रोश को प्रकट करने से बचते हैं। फिर भी कुछ संदर्भों में थप्पड़ का चलना आम है, जैसे कि कई बार माँ बाप बच्चों को सुधारने के लिए उन्हें थप्पड़ मारते हैं और इसी प्रकार से कई बार स्कूलों में कम आयु के बालक-बालिकाओं को उनकी टीचरें मारा करती हैं।

आदमी को थप्पड़ मारा जा रहा है
एक महिला उससे बुरा व्यव्हार करने वाले पुरुष को थप्पड़ मारती हुई।

वैज्ञानिकों की खोज

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भारत में बच्चों को सजा देने के लिए गार्जियन या माता-पिता अक्सर थप्पड़ मारते हैं। कई वयस्क लोगों में से भी कई लोग ऐसे होंगे, जिनका बचपन ऐसी यादों से भरा हुआ होगा। लेकिन, अब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि बच्चों को थप्पड़ मारने से उनके दिमाग के विकास पर असर पड़ सकता है। इस सच्चाई का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने 147 बच्चों के दिमाग पर थप्पड़ के प्रभाव की जांच की 2021 में जाँच की थी। शोध ने पाया कि थप्पड़, कुपोषण और हिंसा एक समान रूप से बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं।[1]

इन्हें भी देखें

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