दशावतार (हाथीदांत निर्मित लघुमंदिर)

हिन्‍दू धर्म में त्रिमूर्ति की मान्‍यता है - ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश।। ब्रह्मा सृष्टि के सर्जक, विष्‍णु पालक और शिव सृष्टि के संहारक माने जाते हैं। कहा जाता है कि विष्‍णु ने अलग-अलग युगों में भिन्‍न-भिन्‍न अवतार लिए। महाभारत, विष्‍णु पुराण, गरुड़ पुराण, श्रीमद्भागवत, वराहपुराण, अग्नि पुराण, मत्‍स्‍य पुराण, आदि जैसे प्राचीन ग्रंथों में विष्‍णु के दस अवतारों का उल्‍लेख मिलता है। मत्‍स्‍य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, [[कृष्‍ण्‍ा और कल्कि विष्णु के दस अवतार हैं। कुछ विद्वानों ने इन दशावतारों में सृष्टि की उत्‍पति और विकास के क्रम को भी ढूंढने का प्रयास किया है।[1]

विष्‍णु के दशावतारों को दर्शाता हाथीदांत निर्मित लघुमंदिर

भारत की समृद्ध कलात्‍मक परंपरा का सुन्‍दर उदाहरण प्रस्‍तुत करने वाली विष्‍णु के दशावतारों को दर्शाती परवर्ती 18वीं शताब्‍दी की यह कलाकृति सीढ़ीदार लघुमंदिर है। इसका आधार तो चंदन का है किन्‍तु विष्‍णु के दशावतारों का अंकन हाथीदांत में किया गया है। सबसे ऊपर की सीढ़ी पर विष्णु के मत्स्‍य अवतार को दर्शाया गया है। यह आकृति चतुर्भुजी है। इसके नीचे की सीढ़ी पर कूर्म और वराह अवतार दिखलाई देते हैं। तीसरी सीढ़ी पर नृसिंह, वामन और परशुराम अवतारों को देखा जा सकता है। सबसे आगे की सीढ़ी पर राम, बलराम, कृष्‍ण और कल्कि अवतारों का निदर्शन है। ये सभी आकृतियां दोहरे कमल वाली पीठिका पर खड़ी हैं। अपने-अपने आयुध उठाए हुए इन आकृतियों को सुन्‍दर वस्‍त्राभूषणों से सजाया गया है।[2]

इस लघुमंदिर के पृष्‍ठभाग को सुन्‍दर जालीदार काम वाली हाथीदांत निर्मित स्‍क्रीन से सजाया गया है। विष्‍णु के दशावतारों को दर्शाती सभी आकृतियों सही-सही देहानुपात में उकेरी गई हैं। त्रिवेन्‍द्रम के नक्‍काश इस प्रकार के सूक्ष्‍म उत्‍कीर्णन करने में निपुण थे जबकि काले रंग से चित्रित स्‍क्रीन मैसूर के शिल्‍पकारों की कलात्‍मक कुशलता का उदाहरण प्रस्‍तुत करती है।[3]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. डॉ॰ मनीष कुमार द्विवेदी भारतीय साहित्‍य एवं कला में दशावतार Archived 2013-09-02 at the वेबैक मशीन. कला प्रकाशन.
  2. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  3. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

सँग्रहालय में प्रदर्शित दशावतार लघुमंदिर