दिलीप सिंह भूरिया

भारतीय राजनीतिज्ञ

आदिवासी समाज के कद्दावर नेता दिलीप सिंह भूरिया (18 जून 1944 – 24 जून 2015) भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद थे। २०१४ के चुनावों में वे मध्य प्रदेश के रतलाम से भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए।[1] [2] वो कुल छः बार लोक सभा के लिए निर्वाचित हुये।[3] इससे पहले वो कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े थे।[4] वे झब्बू भील की धरती झाबुआ के झाबुआ तहसील अंतर्गत ग्राम माछलिया के निवासी थे।वर्ष 1998-2001 तथा वर्ष 2002-2004 में अनुसूचित जाति जनजाति आयोग भारत सरकार नई दिल्ली के चेयरमैन रहें।वे इंडोनेशिया, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया,चीन,फ्रांस इत्यादि देशों की यात्रा कर चुके हैं।गरीब आदिवासियों और भूमि मजदूरों का उत्थान, दहेज और अंध -श्रद्धा को बढ़ावा देने जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष। आदिवासी सेवा संघ, झाबुआ, आदिवासी विकास परिषद, मप्र के माध्यम से आंदोलन, आदिवासी पहचान और नेतृत्व की स्थापना के लिए कार्यक्रमों का आयोजन और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, नई दिल्ली के सक्रिय सदस्य रहे। हमेशा ग्राम सभा को सशक्त और मजबूत बनाने वाले भूरिया जी ने अपने एक उद्बोधन में कहा था "ना लोकसभा ना विधानसभा सबसे ऊंची ग्राम सभा।"गांव वालों के फैसले को ना विधायक बदल सकता ना सांसद बदल सकता ना राष्ट्रपति बदल सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता राकेश देवडे़ बिरसावादी द्वारा बताया गया कि - "आदिवासी समाज की शान दिलीप सिंह भूरिया जी जैसे नेता आदिवासी समाज की असली धरोहर है जो समाज की वास्तविक स्थिति को संसद में डंके की चोट पर उठाते थे।

दिलीप सिंह भूरिया

सांसद - रतलाम
कार्यकाल
2014 से 2015

राष्ट्रीयता भारतीय


बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "भारतीय चुनाव आयोग की अधिसूचना, नई दिल्ली" (PDF). मूल से 30 जून 2014 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 18 सितंबर 2014.
  2. "Constituencywise-All Candidates". मूल से 18 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 मई 2014.
  3. "रतलाम से भाजपा सांसद दिलीप सिंह भूरिया का निधन". दैनिक भास्कर. 24 जून 2015. मूल से 24 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2015.
  4. "वीसी-नेताम-भूरिया फिर कांग्रेस में". बीबीसी हिन्दी. 21 सितंबर 2007. मूल से 20 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2015.