दिल्ली गणतंत्र दिवस परेड

दिल्ली गणतंत्र दिवस परेड भारत में गणतंत्र दिवस समारोह को चिह्नित करने वाले परेडों में सबसे बड़ी और सबसे महत्त्वपूर्ण परेड है। यह परेड हर साल 26 जनवरी को भारत के नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित की जाती है। यह भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह का एक मुख्य आकर्षण है, जो तीन दिनों तक चलती है। इसकी शुरुआत 1950 में की गई थी और तब से यह हर साल आयोजित की जाती है। इसे भारत की एक सांस्कृतिक प्रतियोगिता के रूप में देखा जाता है, जो भारत के विभिन्न संस्कृतियों के मध्य एकता का प्रतीक है।[2][3]

दिल्ली गणतंत्र दिवस परेड

गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली का कर्तव्य पथ
शैली राष्ट्रीय देशभक्ति परेड
प्रारम्भ 26 जनवरी
अंत 26 जनवरी
आवृत्ति प्रत्येक साल
स्थान नई दिल्ली, भारत
उद्घाटन 26 जनवरी 1950
विगत 26 जनवरी 2023
अगला 26 जनवरी 2024
संयोजन कर्ता रक्षा मंत्रालय (भारत)[1]
जालस्थल indianrdc.mod.gov.in

यह परेड कर्तव्य पथ पर राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट और वहाँ से लाल किले तक होती है। परेड की शुरुआत भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ होती है। इसके बाद थलसेनानौसेना और वायु सेना की कई टुकड़ियों द्वारा मार्च किया जाता है। इस दौरान विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विशेषताओं को दर्शाने के लिए कुछ झाँकियाँ प्रदर्शित की जाती हैं। समारोह का अंत बीटिंग रिट्रीट परेड के साथ होती है।[4]

भारत की यह गणतंत्र दिवसीय परेड सर्वप्रथम 26 जनवरी 1950 को आयोजित की गई थी, जिसका नेतृत्व भारतीय थलसेना के गोरखा रेजिमेंट के तत्कालीन ब्रिगेडियर मोती सागर द्वारा किया गया था। इस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो उपस्थित थे। इस परेड के दौरान हार्वर्डकंसोलिडेटेड बी-24 लिबरेटर्सडकोटाहॉकर टेम्पेस्टस्पिटफ़ायर जैसे विमान और सौ से अधिक विमानों वाले जेट विमान का प्रदर्शन किया गया था। इस परेड के लिए आयोजन स्थल के रूप में इरविन एम्फीथिएटर को चुना गया था, जिसे अब मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम के रूप में जाना जाता है।[5]

ऐसे परेडों का उद्देश्य प्रतिद्वंद्वी राज्यों के समक्ष अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना होता है। इनकी शुरुआत ब्रिटिश राज के द्वारा की गई थी। अति प्राचीन काल से ही परेड अपने राष्ट्र की ताकत, साम्राज्यों और राष्ट्र-राज्य की रहस्यमय शक्ति, विजय की विरासत और राष्ट्र के प्रति प्रेरणादायक वफादारी को प्रदर्शित करने का प्रतीक रही है। पूर्व काल का पर्शिया राज्य आधुनिक सैन्य परेडों का अग्रणी था। भारतीय नेताओं ने औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ एक नए सार्वभौम मजबूत गणराज्य के विजय के उपलक्ष्य में गणतंत्र दिवस के साथ सैन्य परेडों को जोड़ने का निर्णय लिया। जो बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय विविधता को प्रदर्शित करते हुए एक बड़े राष्ट्रवाद के प्रतीक को परिपूर्ण करता है। समय के साथ भारत के विभिन्न औपनिवेशिक प्रतीकों को व्यवस्थित रूप से पूर्णतः हटा दिया गया और देश में भारतीयकरण का प्रसार हुआ है।[6]

इन्हें भी देखें

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  1. "Ceremonials | Department Of Defence". mod.gov.in. अभिगमन तिथि 21 December 2019.
  2. "गणतंत्र दिवस: कैसे प्रदर्शन बन गई भारत की सैन्य परेड". बीबीसी न्यूज़. 26 जनवरी 2022. अभिगमन तिथि 5 February 2022.
  3. "समारोह | रक्षा विभाग". mod.gov.in. अभिगमन तिथि 21 दिसम्बर 2019.
  4. "समारोह | रक्षा विभाग". mod.gov.in. अभिगमन तिथि 21 दिसम्बर 2019.
  5. "10 तथ्य जो आप गणतंत्र दिवस के बारे में नहीं जानते हैं।". इण्डिया टूडे. 26 जनवरी 2015. अभिगमन तिथि 16 January 2020.
  6. "भारत एक सैन्य परेड के साथ गणतंत्र दिवस क्यों मनाता है?". द इण्डिया एक्सप्रेस (अंग्रेज़ी में). 2023-01-26. अभिगमन तिथि 2023-01-26.