दिल ने फिर याद किया
हिन्दी भाषा में प्रदर्शित चलवित्र
दिल ने फिर याद किया १९६६ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।
दिल ने फिर याद किया | |
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फ़िल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | सी. ऍल. रावल |
लेखक | जी. ऍल. रावल |
निर्माता | बी. ऍल. रावल |
छायाकार | तारु दत्त |
संपादक | प्राण मेहरा |
संगीतकार |
मास्टर सोनिक ओम प्रकाश शर्मा |
प्रदर्शन तिथि |
1966 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संक्षेप
संपादित करेंअशोक (धर्मेन्द्र) शहर में नौकरी करता है और गांव की आशु (नूतन) से प्यार करता है। उसके क़रीबी मित्र और सहकर्मी अमजद (रहमान) की शादी शबनम के साथ तय हो गयी है। अशोक आशु से शादी करने का मन बनाकर गांव जाता है लेकिन पाता है कि आशु को उसके भाई भगत (जीवन) ने अगवा कर लिया है। भगत पहले ही आशु के भाई भगवान (आई एस जौहर) का क़त्ल कर चुका है। किसी तरह अशोक आशु को बचा कर वहाँ से भगा ले जाता है। इसी बीच अमजद अशोक के आने तक अपनी शादी भी टालने को तैयार हो जाता है। लेकिन उसको तब एक बड़ा सदमा लगता है जब उसे यह ख़बर मिलती है कि जिस ट्रेन से अशोक और आशु आ रहे थे वह दुर्घटनाग्रस्त हो गई है और उसमें बहुत कम लोग ही बच पाये हैं। फ़िल्म में कहानी ने यहीं से मोड़ लिया है।
चरित्र
संपादित करें- धर्मेंद्र — अशोक
- नूतन — आशु
- जीवन — भगत
- रहमान — अमजद
- आई एस जौहर — भगवान
मुख्य कलाकार
संपादित करेंदल
संपादित करेंसंगीत
संपादित करें# | गीत | गायक |
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१ | "आजा रे प्यार पुकारे" | लता मंगेशकर |
२ | "दिल ने फिर याद किया" | मोहम्मद रफ़ी, मुकेश, सुमन कल्यानपुर |
३ | "मैं सूरज हूँ तू मेरी किरन" | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले |
४ | "लो चेहरा सुर्ख़ शराब हुआ" | मोहम्मद रफ़ी |
५ | "हमें तो ख़ुशी है" | आशा भोंसले |
६ | "कलियों ने घूंघट खोले" | मोहम्मद रफ़ी |
७ | "यह दिल है मुहब्बत का प्यासा" | मुकेश |
८ | "यों चाल चलो न मतवाली" | मोहम्मद रफ़ी |
९ | "हमने जलवा दिखाया तो जल जाओगे" | मन्ना डे, आशा भोंसले |
१० | "मैं तो नैना लड़ाके" | उशा खन्ना, उशा मंगेशकर, कृष्णा कल्ले |